ड्यूटी पर तैनात विजिलेंस के सिपाही ने खुद को गोली से उड़ाया
विजिलेंस में सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात सिपाही ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार दी। आत्महत्या की वजह तनाव बताई जा रही है।
देहरादून, जेएनएन। विजिलेंस मुख्यालय में सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात सिपाही की गोली लगने से मौत हो गई। हादसा शनिवार की भोर तीन बजे के करीब हुआ। सुबह जानकारी होने पर भीतर से बंद संतरी कक्ष का दरवाजा तोड़ कर पुलिस अंदर पहुंची। एफएसएल की प्रारंभिक जांच और परिस्थितियों के आधार पर पुलिस इसे खुदकुशी मान रही है। फिलहाल एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि सिपाही को गोली लगने के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए जांच की जा रही है।
पुलिस के अनुसार बीती 18 जनवरी को सिपाही चंद्रवीर सिंह पुत्र स्व. करणवीर सिंह निवासी ग्राम सीकू, पोस्ट सीकूखाल पौड़ी गढ़वाल हरिद्वार जनपद से स्थानांतरित होकर देहरादून आया। यहां पुलिस लाइन में आमद कराने के बाद कुछ दिन तक सामान्य ड्यूटी दी। दो दिन पूर्व चंद्रवीर की विजिलेंस मुख्यालय में गार्ड के रूप में तैनाती हो गई। शुक्रवार को उसकी रात में ड्यूटी थी। शाम को परिवार से बातचीत के बाद वह विजिलेंस मुख्यालय पहुंच गया। शनिवार की भोर में करीब तीन बजे आसपास के लोगों ने संतरी कक्ष से गोली चलने की आवाज सुनी, लेकिन वह कुछ समझ नहीं पाए।
जिसके चलते इसकी जानकारी मुख्यालय के लोगों को पौ फटने के बाद हुई। लोगों ने खिड़की से संतरी कक्ष में झांक कर देखा तो चंद्रवीर कुर्सी पर लहूलुहान पड़ा हुआ था और उसकी रायफल भी पास में ही गिरी थी। संतरी कक्ष का दरवाजा भीतर से बंद होने के कारण एफएसएल की टीम और आला अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई। एसएसपी निवेदिता कुकरेती, एसएसपी विजिलेंस सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस, एसपी सिटी श्वेता चौबे भी मौके पर पहुंचे और वीडियोग्राफी कराते हुए संतरी कक्ष का दरवाजा तोड़ा गया। पुलिस के अनुसार गोली रायफल से ही चली है और पेट व सीने के बीच से आर पार हो गई है। गोली लगने से संतरी कक्ष की दीवार में भी गड्ढा हो गया था। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। मामले के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए परिवार के लोगों और हरिद्वार में उसके सहकर्मियों से जानकारी प्राप्त की जा रही है।
पिता की मौत के बाद आ गया था डिप्रेशन में
चंद्रवीर के पिता करणवीर सिंह शिक्षक थे। उन्होंने सेवाकाल के ही दौरान डोईवाला में तेलपुरा के पास मकान बनवा लिया था। जहां बड़े बेटे चंद्रवीर और छोटे बेटे के साथ वह रहते थे। चंद्रवीर वर्ष 2012 में पुलिस में भर्ती हो गया, जबकि उसका भाई 40वीं वाहिनी पीएसी में बतौर कांस्टेबिल पोस्ट हो गया। बीते साल सितंबर में करणवीर की एक हादसे में मौत हो गई। इसके बाद से चंद्रवीर काफी तनाव में रहने लगा।
मनोचिकित्सक कर रहे थे काउंसलिंग
चंद्रवीर एक साल पहले तब तनाव में आया, जब कि उसके एक-एक कर तीन दोस्तों ने खुदकुशी कर ली। यह सभी वर्ष 2012 बैच के थे और प्रशिक्षण के बाद हरिद्वार में तैनात हो गए थे। दोस्तों की मौत के बाद चंद्रवीर भी काफी परेशान रहने लगा और नौकरी छोडऩे की सोचने लगा। तब हरिद्वार की एसपी सिटी ममता वोरा ने चंद्रवीर को मनोचिकित्सक डॉ.मुकुल शर्मा के पास भेजा। यहां पिछले तीन-चार महीने तक उसकी काउंसिलिंग की गई। जिसके बाद वह नौकरी करने को राजी हुआ। इस बीच परिवार वालों के अनुरोध पर उसका हरिद्वार से देहरादून तबादला कर दिया गया, ताकि वह परिवार के साथ रहे और उसका तनाव दूर हो।
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