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उत्तराखंड आरटीओ टैक्स की फर्जी रसीदें काटने में तीन गिरफ्तार, सभी आठवीं फेल

उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बैठकर उत्तराखंड में आने वाले व्यावसायिक वाहनों की परिवहन विभाग के नाम पर फर्जी टैक्स रसीदें काटने के मामले में तीन आरोपित पुलिस ने दबोच लिए।

By Edited By: Published: Fri, 24 May 2019 09:09 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:54 AM (IST)
उत्तराखंड आरटीओ टैक्स की फर्जी रसीदें काटने में तीन गिरफ्तार, सभी आठवीं फेल

देहरादून, जेएनएन। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बैठकर उत्तराखंड में आने वाले व्यावसायिक वाहनों की परिवहन विभाग के नाम पर फर्जी टैक्स रसीदें काटने के मामले में तीन आरोपित पुलिस ने दबोच लिए। आरोपित परिवहन विभाग के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर लंबे समय से काले कारनामे को अंजाम दे रहे थे। 

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अधिकारियों का अनुमान है कि अब तक 50 लाख तक के राजस्व की चपत आरोपित लगा चुके हैं। पुलिस द्वारा एक आरोपित को रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) से दबोचा गया। बाकी दो आरोपित होडल (पलवल हरियाणा) से दबोचे गए। फर्जीवाडे़ में एक आरोपित अभी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है। 

आरोपितों की गिरफ्तारी की संयुक्त जानकारी एसएसपी निवेदिता कुमार कुकरेती और एआरटीओ अरविंद पाडे द्वारा संयुक्त प्रेस वार्ता में दी गई। एआरटीओ ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से फर्जी टैक्स रसीदों पर व्यावसायिक वाहनों के उत्तराखंड में प्रवेश की शिकायत मिल रही थी। इसकी चेकिंग शुरू की गई। 

एक मई को वे मसूरी रोड पर कुठालगेट में चेकिंग कर रहे थे कि राजस्थान नंबर का एक टैंपो ट्रेवलर पकड़ा। इसकी टैक्स रसीद फर्जी थी। उसके चालक ने बताया कि उसने हरियाणा में टैक्स रसीद कटवाई थी। एआरटीओ की ओर से मामले में वाहन स्वामी तुषार मूलचंदानी के नाम से थाना राजपुर में तहरीर दी थी। 

पुलिस जांच में पता चला कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में बैठकर गिरोह इस पूरे कारनामे को अंजाम दे रहा। एआरटीओ की ओर से फर्जीवाडे़ में डालनवाला कोतवाली में भी 22 मई को मुकदमा कराया गया। एसएसपी कुकरेती ने बताया कि आरोपितों ने फर्जी वेबसाइट को गोडेडी-डॉट-कॉम के जरिये पंजीकृत किया हुआ था। 

एसएसपी ने बताया कि डालनवाला व राजपुर पुलिस को संयुक्त जांच में लगाया गया। इसमें मालूम चला कि मुख्य आरोपित पलवल हरियाणा से पूरा नेटवर्क चला रहा। पुलिस ने पलवल में दबिश दी व मुख्य आरोपित पवन कुमार पुत्र गिरधारी निवासी गांव-करमन तहसील होडल जिला-पलवल हरियाणा को गिरफ्तार कर लिया। 

पवन ने ही फर्जी वेबसाइट बना इसे अपने नाम से पंजीकृत किया था। पवन की निशानदेही पर राहुल कुमार पुत्र रामपाल निवासी भूलवाना, होडल को गिरफ्तार कर लिया गया। पवन ने बताया कि उनका एक साथी मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में भी फर्जी टैक्स रसीदें काटता है। इस पर पुलिस द्वारा रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर से शाहवेज पुत्र शहजाद निवासी सरवट, कोतवाली सिविल लाइंस मुजफ्फनगर को भी धर दबोचा।

इन सभी के कब्जे से कंप्यूटर, सीपीयू, मॉनिटर, दो मोबाइल आदि बरामद किए गए, जिससे ये गोरखधंधे को अंजाम देते थे। एसएसपी ने बताया कि पलवल निवासी एक आरोपित टिंकू अभी फरार है। 

30 हजार में बनाई फर्जी वेबसाइट 

एसएसपी ने बताया कि पवन ने परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट तीस हजार रुपये में अपने दोस्त टिंकू से बनवाई थी। पवन ने प्रति वाहन तीस प्रतिशत कमीशन पर अपनी आइडी और पासवर्ड शाहवेज को दे दिया। इस पर शाहवेज ने रामपुर तिराहे के समीप शिवा आरटीओ टैक्स के नाम से एक खोखे में कंप्यूटर लगाकर फर्जी टैक्स रसीदें काटने का काम किया। वहीं टिंकू के पासवर्ड और आइडी से राहुल हरियाणा से वाहन चालकों का फर्जी टैक्स रसीदें दे रहा था। 

vaahanparivahan.co.in में डबल 'ए' का किया खेल

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि जो फर्जी वेबसाइट बनाई गई, उसके नाम में दो जगह खेल किया गया। असली साइट में वाहन की स्पेलिंग में 'वी' के बाद सिंगल 'ए' है, जबकि आरोपितों ने इसकी स्पेलिंग में 'वी' के बाद डबल 'ए' लगाया। इसके अलावा असली साइट में वाहन-परिवहन के बाद जीओवी-डॉट-को-डॉट-इन आता है, जबकि आरोपितों ने जीओवी हटा दिया।

आठवीं फेल पर दिमाग शातिर 

गिरफ्तार सभी आरोपित आठवीं फेल हैं पर तकनीक में उनका दिमाग बेहद शातिर निकला। एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि जो रसीद आरोपित वाहन चालकों को देते थे वह हूबहू परिवहन विभाग की ओर से जारी रसीद जैसी होती थी। पहली मर्तबा देखने पर इसे पहचान पाना बेहद मुश्किल है। 

इसलिए वाहन चालक भी यह पता नहीं लगा पाते थे कि रसीद असली है या फिर नकली। सिर्फ रसीद पर पड़े बार कोड को ट्रेस करने पर ही इसे पकड़ा जा सकता है। आरोपित चालकों से टैक्स की नगद रकम लेते थे। डेबिट कार्ड या ऑनलाइन रकम से वे इन्कार कर देते थे। ज्यादातर दून, हरिद्वार आने वाले चालकों को वे निशाना बनाते थे और लंबी दूरी वाले चालकों से कन्नी काट लेते थे, ताकि फंसे नहीं।

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