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    उत्‍तराखंड में पैरोल की व्यवस्था होगी और भी आसान, जानिए क्‍या है योजना

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 11 Oct 2020 11:02 PM (IST)

    प्रदेश में अब कैदियों को पैरोल देने की व्यवस्था को और आसान किया जा रहा है। हाल ही में पैरोल देने का अधिकार पुलिस महानिरीक्षक जेल को देने के बाद अब इस व्यवस्था को ऑनलाइन करने की तैयारी है।

    मकसद यह कि कैदियों को भी जरूरत के अनुसार समय से पैरोल दिया जा सके।

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में अब कैदियों को पैरोल देने की व्यवस्था को और आसान किया जा रहा है। हाल ही में पैरोल देने का अधिकार पुलिस महानिरीक्षक जेल को देने के बाद अब इस व्यवस्था को ऑनलाइन करने की तैयारी है। इसके तहत अब कैदियों के स्वजन तय नियमों के अंतर्गत पैरोल के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इसका निस्तारण भी ऑनलाइन किया जाएगा।

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    मकसद यह कि कैदियों को भी जरूरत के अनुसार समय से पैरोल दिया जा सके। जेल में बंद कैदियों को उनके परिवार के सदस्य, यानी माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, भाई या बहन की बीमारी, मृत्यु अथवा पुत्र, पुत्री या बहन का विवाह अथवा कृषि व बोआई के लिए पैरोल दिए जाने का प्रविधान है। पहले जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पूरी जानकारी की पुष्टि और व्यवस्थाएं बनाने के बाद कैदियों को पैरोल देने का प्रविधान था। वहीं मृत्यु, शारीरिक अंगों के प्रत्यारोपण आदि के लिए विभिन्न अवधि का पैरोल देने का अधिकार मंडलायुक्त और शासन के पास था। कुछ समय पहले एक कैदी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी। उसका आरोप था कि उसके स्वजन की मृत्यु होने के बाद भी उसे पैरोल नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाने को कहा। इस कड़ी में शासन ने पैरोल की व्यवस्था में कुछ बदलाव किए। इसमें कैदी के स्वजन की मृत्यु होने पर 24 घंटे के पैरोल देने का अधिकार जेल के वरिष्ठ अधीक्षक, अधीक्षक अथवा कारागार प्रभारी (जेलर) को देने का निर्णय लिया गया। इसमें यात्रा का समय अलग है। यह भी स्प्ष्ट किया गया कि इस अवधि में बंदी पुलिस सुरक्षा में ही रहेगा।

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    इसी तरह मृत्यु के बाद किए जाने वाले संस्कारों के लिए 15 दिन का पैरोल जेलर के माध्यम से पत्राचार करने पर महानिरीक्षक कारागार स्वीकृत करेंगे। मृत्यु को छोड़ शेष अन्य मामलों में पैरोल के लिए पूर्व की भांति जिला मजिस्ट्रेट और मंडलायुक्त ही स्वीकृति देंगे। अब इस व्यवस्था को ई-प्रिजन योजना के तहत ऑनलाइन किया जा रहा है। इसकी कार्ययोजना बनाने को आइजी जेल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। वहीं, व्यवस्था को ऑनलाइन करने के लिए सचिव गृह नितेश झा ने एनआइसी को पत्र लिखकर इसके लिए जल्द सॉफ्टवेयर बनाने को कहा है। 

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