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    कभी चलती थी पैडल बोट, अब बदहाल है झील

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 24 Oct 2020 08:45 PM (IST)

    विकासनगर बैराज व ग्रीन पार्क की उपस्थिति व सामने हरियाली बिखेरेते पहाड़ के सौंदर्य के चलते डाकपत्थर की कृत्रिम झील आज पूरी तरह बदहाल है।

    कभी चलती थी पैडल बोट, अब बदहाल है झील

    संवाद सहयोगी, विकासनगर: बैराज व ग्रीन पार्क की उपस्थिति व सामने हरियाली बिखेरेते पहाड़ की प्राकृतिक सौंदर्यता के चलते पर्यटन स्थली के रूप में विकसित होते डाकपत्थर की कृत्रिम झील में कभी पैडल बोट चला करती थी। रखरखाव के अभाव में अब पूरी झील बदहाल हो चुकी है। हालांकि प्रदेश बनने के बाद पर्यटन विकास के नाम पर सरकार ने झील पर काफी बजट खर्च किया, लेकिन डाकपत्थर के हिस्से में ऐसी कोई योजना नहीं आ सकी।

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    जल विद्युत उत्पादन केंद्रों के संचालन को शक्तिनहर बनने के दौरान डाकपत्थर परियोजना क्षेत्र को विकसित किया गया। डाकपत्थर बैराज के पास स्थित ग्राउंड के एक हिस्से में कृत्रिम झील बनाई गई। डाकपत्थर में इस झील का निर्माण करके इसके आसपास के क्षेत्र को विभिन्न रंगों की लाइटों व फूल-फुलवारियों से सुसज्जित भी किया गया था। यही नहीं झील के आसपास पर्यटकों व यहां घूमने आने वाले क्षेत्रवासियों के बैठने के लिए दो दर्जन से अधिक सीमेंट की छतरियां भी बनाई गई थीं, जिनमें बैठकर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा देखा जा सकता था। यहां की व्यवस्था और मनोहारी दृश्य के चलते यहां हिंदी फिल्म आदमी और इंसान की शूटिग तक हुई। डाकपत्थर क्षेत्र निवासी विजय महर, मोहम्मद इकराम, संजीव कुमार, विशाल आदि का कहना है कि 70 के दशक तक झील व इसके आसपास की खूबसूरती देखते ही बनती थी, लेकिन इसके बाद इसकी उपेक्षा शुरू हो गई। उत्तराखंड बनने के बाद डाकपत्थर का यह मनमोह लेने वाला पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो रहा क्षेत्र धीरे धीरे बदहाल होता चला गया। वर्तमान में कृत्रिम झील सूखी पड़ी है, उसके आसपास बनाई गई छतरियों का नामोनिशान नहीं है। हालांकि प्रदेश बनने के बाद बनने वाली हर एक सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लंबी-चौड़ी योजनाएं बनाईं, परंतु डाकपत्थर इस प्रकार की सभी योजनाओं में अपनी जगह नहीं बना पाया।

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    अपने कार्यकाल में कई बार झील व ग्राउंड के सौंद्रर्यकरण के लिए प्रयास किया, परंतु सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। डाकपत्थर का एक-एक क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां सरकार को अलग से कुछ अधिक करने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ मरम्मत कराकर ही यहां पुराने स्थलों को ठीक किया जा सकता है। इस तरह के तमाम स्थल किसी स्थानीय एनजीओ या संस्था को दे देना चाहिए। सुबोध गोयल, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित पूर्व ग्राम प्रधान डाकपत्थर।

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    कुछ विभागीय खामियां इस प्रकार के मामलों में जिम्मेदार हैं, लेकिन डाकपत्थर क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से बनाए गए सभी स्थलों को विकसित करने या उनके रखरखाव के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। यहां आने वाले पर्यटकों को प्राकृतिक सौंद्रर्य के अलावा अच्छे पार्क, खाने-पीने की व्यवस्था का लाभ मिले, इसके लिए सरकार व विभिन्न विभागों से लगातार बात की जा रही है।

    मुन्ना सिंह चौहान, विधायक विकासनगर।