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लिंगदोह कमेटी के नियम देख ठंडे पड़े छात्रों के तेवर, इन कालेज के छात्र पूर्व में थे आंदोलनरत

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लिंगदोह कमेटी के तहत छात्रसंघ चुनाव करवाने का नियम देख छात्र संगठनों ने चुनाव की मांग कम करनी शुरू कर दी है। लिंगदोह कमेटी का नियम है कि कालेज और विश्वविद्यालय खुलने के 45 दिन के बाद भीतर छात्र संघ चुनाव करना अनिवार्य है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:07 PM (IST)
देख छात्र संगठनों ने इस वर्ष चुनाव करवाने की मांग धीरे-धीरे कम करनी शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून : सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लिंगदोह कमेटी के तहत छात्रसंघ चुनाव करवाने का नियम देख छात्र संगठनों ने इस वर्ष चुनाव करवाने की मांग धीरे-धीरे कम करनी शुरू कर दी है।  लिंगदोह कमेटी का नियम है कि कालेज और विश्वविद्यालय खुलने के 45 दिन के भीतर छात्र संघ चुनाव करना अनिवार्य है। जबकि उत्तराखंड में उच्च शिक्षा संस्थान खुले पूरे दो महीने हो चुके हैं। ऐसे में छात्र संघ चुनाव करने का कोई भी कालेज और विवि जोखिम नहीं ले सकते हैं।

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पिछले एक महीने से डीएवी पीजी कालेज में समस्त छात्र संगठन संयुक्त रूप से छात्र संघर्ष समिति के बैनर तले धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। करीब 13 दिन पहले डीएवी कालेज के दो छात्र मोबाइल टावर पर चढ़ गए जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ। करीब साढ़े छह घंटे बाद दोनों छात्रों को जिला प्रशासन से नीचे उतारा। उधर, श्री गुरूराम राय पीजी कालेज, डीबीएस पीजी कालेज माल देवता राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एनएसयूआइ, अभाविप, आर्यन, एसएफआइ, दिवाकर गुट व सत्यम-शिवम आदि संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। दिसंबर का महीने प्रारंभ हो चुका है ऐसे में कोई भी कालेज और विवि के छात्र-छात्राएं छात्र संघ चुनाव को लेकर विरोध और आंदोलन नहीं कर रहा है। लिंगदोह कमेटी का नियम मानना सबके लिए अनिवार्य है। जिस प्रकार सेमेस्टर परीक्षा का नियम है ठीक उसी तरह छात्र संघ चुनाव करवाने का भी नियम निर्धारित है।

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किसी भी कालेज और विवि को संस्थान खुलने की तिथि से केवल डेढ़ महीने के भीतर ही चुनाव करवाने होंगे। इससे एक दिन भी अधिक नहीं होना चाहिए। उत्तराखंड में एक अक्टूबर को सभी उच्च शिक्षा संस्थान आफलाइन मोड़ में खुले थे ऐसे में दो महीने पूरे होने पर छात्र संघ चुनाव अब संभव होते नहीं दिख रहे हैं।

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