सिर्फ पांच रुपये में निरोगी जीवन का मंत्र, जानिए कैसे
ऋषिकेश के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में आप महज पांच रुपये में पंचकर्म चिकित्सा का लाभ उठा सकते हैं। ...और पढ़ें

ऋषिकेश, राहुल नेगी। प्राचीनतम भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की विशिष्टतम चिकित्सा कही जाने वाली पंचकर्म चिकित्सा का लाभ तीर्थनगरी में आप महज पांच रुपये में उठा सकते हैं। यकीन न हो तो चले आइए मुनिकीरेती के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में। यहां मात्र एक रुपये में आप ओपीडी परामर्श ले सकते हैं, जबकि पांच रुपये में एक सप्ताह तक पंचकर्म चिकित्सा का लाभ आपको मिलेगा। फिलहाल विदेशी मेहमान इस विशिष्ट चिकित्सा का जमकर लाभ उठा रहे हैं।
पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा का प्रमुख शुद्धीकरण एवं मद्यहरण उपचार है। पंचकर्म का अर्थ है पांच विशिष्ट चिकित्साओं का मेल। इस प्रक्रिया का प्रयोग शरीर को बीमारियों व कुपोषण के कारण छोड़े गए विषैले पदार्थों से निर्मल करने के लिए होता है। पहले यह चिकित्सा दक्षिण भारत में खासी प्रचलित थी, मगर अब उत्तर भारत में भी बड़ी संख्या में लोग पंचकर्म के लिए पहुंच रहे हैं। योग एवं अध्यात्म की अंतरराष्ट्रीय राजधानी कही जाने वाली तीर्थनगरी अब पंचकर्म व प्राकृतिक चिकित्सा के लिए भी अपनी पहचान बनाने लगी है। ऋषिकेश में पंचकर्म व प्राकृतिक चिकित्सा के कई केंद्र स्थापित हो चुके हैं। निजी चिकित्सा केंद्रों पर जहां पंचकर्म जैसी पद्धति के लिए लोगों को खासा पैसा खर्च करना पड़ता है, वहीं मुनिकीरेती के राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में पंचकर्म पद्धति मात्र पांच रुपये में उपलब्ध है। इस केंद्र पर बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी पंचकर्म का लाभ लेते देखे जा सकते हैं।

चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनडी सेमवाल ने बताया कि प्रतिदिन पांच से आठ लोग पंचकर्म के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें 90 फीसद लोग विदेशी होते हैं। चिकित्सालय में पंचकर्म से उपचार करा रही लंदन निवासी हेलन ने बताया कि वह स्वयं भी सिरदर्द और रक्तचाप की बीमारी से पीडि़त थीं। ऋषिकेश घूमने के दौरान उन्हें पंचकर्म चिकित्सा का पता चला तो बीते एक सप्ताह से यहां पंचकर्म चिकित्सा ले रही हैं। बताया कि वह अब पहले के मुकाबले बेहद स्वस्थ्य महसूस कर रही हैं। बताया कि निजी चिकित्सालयों में यह सुविधा पांच से छह हजार रुपये तक में उपलब्ध कराई जाती है।

पंचकर्म विधि : एक नजर
आयुर्वेद में शरीर में होने वाले रोगों के लिए प्रमुख रूप से तीन कारक बताए गए हैं। इनमें वात, पित्त व कफ अथवा त्रिदोष भी कहा जाता है। इन तीनों दोषों के असम रूप को सम रूप में दोबारा स्थापित करने के लिए पंचकर्म में पांच प्रक्रियाएं प्रयोग में लाई जाती हैं। पंचकर्म से पूर्व, पूर्व कर्म यानी पूर्व शुद्धिकरण उपाय कराया जाता है। इसके पश्चात पंचकर्म की पांच विधियां वमन (उपचारात्मक उल्टी), विरेचन (परिष्करण चिकित्सा), बस्ती (एनिमा), नस्य (नाक की सफाई), रक्त मोक्षण (रक्त बहने देना) आदि शामिल की जाती हैं।
इन बीमारियों में लाभदायी पंचकर्म
यूं तो पंचकर्म चिकित्सा सभी जटिल बीमारियों में लाभकारी है। मगर माइग्रेन, स्ट्रेस, अङ्क्षनद्रा, साइटिका, जोड़ों का दर्द, पाइल्स, वात रोग, उच्च रक्त चाप, मधुमेह आदि रोगों में यह चिकित्सा बेहद कारगर है।
उपचार के साथ-साथ आवश्यक दवाइयां भी दी जाती निश्शुल्क
एनडी सेमवाल (प्रभारी चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय) का कहना है कि चिकित्सालय में उपचार के साथ-साथ आवश्यक दवाइयां भी निश्शुल्क दी जाती हैं। पंचकर्म में तैलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, मगर सरकारी स्तर पर इसे मैनेज कर पाना थोड़ा कठिन है। बावजूद इसके स्वास्थ्य लाभ के लिए आने वाले मरीजों को पूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

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