टीईटी के विरोध में शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली में करेंगे प्रदर्शन, 25-31 अक्टूबर तक देशभर के जिलों में होगी मीटिंग
राज्य के लगभग 18 हजार बेसिक शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता का खतरा है। इसके विरोध में शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कक्षा एक से आठ तक के कार्यरत शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य है। शिक्षक संगठनों ने अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया है और आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है कि पहले से कार्यरत शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू न हो।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। राज्य के करीब 18 हजार बेसिक शिक्षकों पर लटकी टीईटी की तलवार के विरोध में यह शिक्षक दिल्ली में 24 नवंबर को होने वाले राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
देश के समस्त राज्यों के जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष, महामंत्री व अन्य सभी शिक्षक संगठनों से अपील की गई है कि वे 24 नवंबर को दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन में भाग लें।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक सितंबर को दिए गए आदेश के अनुसार अब एक से आठवीं तक के कार्यरत सभी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करनी होगी। इस निर्णय का विरोध करते हुए देशभर के शिक्षक संगठनों ने अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया है।
मोर्चे के संयोजक के रूप में उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश त्यागी को चुना गया है, जबकि देश के सभी राज्यों के अध्यक्षों को सह-संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।
तय कार्यक्रम के अनुसार 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के जिलों में बैठकें आयोजित कर जनप्रतिनिधियों से संपर्क साधा जाएगा, जिससे आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन मिल सके।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले देशभर से आए शिक्षक, शिक्षिकाएं और विभिन्न शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्र होकर अपनी एकजुटता और शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य यह है कि पहले से कार्यरत शिक्षकों पर टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता लागू न की जाए।
मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सुभाष चौहान ने कहा है कि यदि इस समय सभी शिक्षक संगठन एक मंच पर नहीं आए, तो भविष्य में सरकार शिक्षकों के खिलाफ दमनकारी नीतियां अपना सकती है। उन्होंने सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे इस मुहिम में बढ़-चढ़कर भाग लें और आंदोलन को सफल बनाकर शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।

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