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    एक पेड़ काटने पर लगाने होंगे दस पौधे, पर्यावरण संरक्षण के लिए नगर निगम का अहम फैसला

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 21 Feb 2021 06:10 AM (IST)

    शहर में विकास कार्यों के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम ने अहम फैसला लिया है। नगर निगम पेड़ काटने के लिए मुफ्त में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देगा। इसके लिए कुछ शर्तें व शुल्क तय किए गए हैं।

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    महापौर सुनील उनियाल गामा की अध्यक्षता में कार्यकारिणी सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण को कठोर कदम उठाने की पैरवी की।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: शहर में विकास कार्यों के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम ने अहम फैसला लिया है। नगर निगम पेड़ काटने के लिए मुफ्त में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देगा। इसके लिए कुछ शर्तें व शुल्क तय किए गए हैं। आवासीय प्लॉट में पेड़ काटने पर प्लॉट मालिक को प्रति पेड़ दो हजार रुपये जबकि व्यावसायिक प्लॉट में दस हजार रुपये प्रति पेड़ शुल्क नगर निगम में देना पड़ेगा। यही नहीं, आवासीय प्लॉट के स्वामी को किसी भी भूमि पर पांच पौधे जबकि व्यावसायिक प्लॉट के स्वामी को दस पौधे लगाने पड़ेंगे। इसकी फोटो नगर निगम को देने पर ही उसे एनओसी जारी की जाएगी। 

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    पेड़ काटने के लिए मौजूदा समय में वन विभाग में आवेदन किया जाता है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा संबंधित भू-स्वामी से नगर निगम से भी एनओसी लाने को कहा जाता है। अभी तक नगर निगम इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेता था मगर शनिवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में शहर में पेड़ कटान पर शुल्क एवं शर्तें तय करने का फैसला हुआ। महापौर सुनील उनियाल गामा की अध्यक्षता व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय की उपस्थिति में हुई बैठक में कार्यकारिणी सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अब कठोर कदम उठाने की पैरवी की। जिसके बाद तय हुआ कि अब पेड़ काटने के लिए मुफ्त में एनओसी नहीं दी जाएगी। इसके लिए प्रति पेड़ शुल्क व शर्तें तय कर दी गईं हैं। 

    यह है शहर की मौजूदा स्थिति

    हराभरा दून और सुकून भरी आबोहवा मानो अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। अपनी हरियाली के लिए जाना जाने वाला दून अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। दून की हरियाली कंकरीट के जंगलों में गुम होने लगी है। वैसे तो दून चारों ओर से वन क्षेत्र से घिरा हुआ है, लेकिन शहरीकरण के चलते दून का बदलता स्वरूप लगातार वनों पर दबाव बढ़ा रहा है। हालांकि, हर साल मानसून सीजन में शासन-प्रशासन के साथ ही तमाम संस्थाएं पौधे रोपने और लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती हैं, लेकिन धरातल पर यह प्रयास नजर नहीं आते। दून में अब भी लगभग 50 फीसद वन क्षेत्र है। लेकिन, बढ़ती आबादी और शहरीकरण के बीच वनों के सिमटने के सिलसिला निरंतर जारी है। तेजी से बढ़ती कॉलोनियां, सड़कों का जाल प्रमुख कारण हंै ही, लेकिन भारी मात्रा में किए जा चुके अतिक्रमण और वनों के दोहन को भी नकारा नहीं जा सकता है। ऐसे में अब पौधरोपण, पौधों की देख-रेख एवं वनों के दोहन को रोकने के लिए वृहद स्तर पर गंभीर प्रयास की जरूरत है। 

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    पौधे नहीं लगा सकते तो नगर निगम में देने होंगे पौधे

    पेड़ काटने के बदले पौधे लगाने की शर्त में नगर निगम ने राहत भी दी है। सवाल ये उठ रहा था कि संबंधित भू-स्वामी किसकी जमीन पर पौधरोपण करेगा। जिस पर नगर आयुक्त ने विनय शंकर पांडेय ने बताया कि पौधे केवल अपने प्लॉट में ही नहीं सरकारी जमीन पर भी लगाए जा सकते हैं। यदि इस प्रक्रिया में भी परेशानी है तो भू-स्वामी पौधे नगर निगम में जमा करा सकता है। जिसके बाद निगम खुद पौधरोपण कराएगा। 

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