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उत्तराखंड में आंधी के साथ बारिश, छप्पर में दबने से बुजुर्ग की मौत; तीन घायल

गरमी की मार झेल रहे उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदली। आधी रात के बाद राहत की बौछारों से तापमान में भी गिरावट आई। तूफान के चलते चमोली और उत्तरकाशी में तीन लोग घायल हो गए।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 10:09 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 08:25 PM (IST)
उत्तराखंड में आंधी के साथ बारिश, छप्पर में दबने से बुजुर्ग की मौत; तीन घायल

देहरादून, जेएनएन। पिछले कुछ दिनों से गरमी की मार झेल रहे उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदली। आधी रात के बाद राहत की बौछारों से तापमान में भी गिरावट आई। बारिश के दौरान आंधी व तूफान के चलते सितारगंज में छप्पर में दबने से बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि चमोली और उत्तरकाशी में तीन लोग घायल हो गए। वहीं, बारिश से विभिन्न स्थानों में जंगलों में लगी आग भी बुझ गई। इससे वन विभाग ने राहत की सांस ली।  

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आंधी से गिरे छप्पर में दबकर बुजुर्ग की मौत

सितारगंज में पीलीभीत रोड के गोविंदपुर गांव में बेटी के घर आए वृद्ध के ऊपर तेज हवा के कारण छप्पर गिर गया। हादसे में बुजुर्ग की मौत हो गई है। इसकी सूचना प्रशासन को दे दी गई है। 

थाना पुलभट्टा के ग्राम सेमलपुरा निवासी 68 वर्षीय धर्मपाल पुत्र सुंदरलाल गोविंदपुर गांव में मंगलवार को बेटी के घर आए थे। उनका दामाद लालाराम परिवार के साथ पूर्णागिरी दर्शन को गया है। धर्मपाल घर में अकेले थे। मंगलवार की रात वह झोपड़ी में सो रहे थे। 

बुधवार की सुबह तेज हवा चलने के बाद वह घर में बंधी गाय की रस्सी खोलने के लिए उठे। जैसे ही वह रस्सी खोलने पहुंचे। तेज हवा के कारण छप्पर उनके ऊपर गिर गया। छप्पर में बंधी लकड़ियां लगने से उनकी मौत हो गई। घटनास्थल गांव से कुछ दूरी पर होने के कारण जब हवा रुकी तो गांव के लोग बाहर निकले। उन्होंने लालाराम का छप्पर गिरा देखा। 

इसके बाद ग्रामीणों ने छप्पर के मलबे को हटाया। छप्पर के नीचे धर्मपाल का शव मिला। इसकी सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को हादसे के बाद दे दी गई है। कई घंटा बीतने के बाद भी कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। 

ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग मलबा आने से बाधित 

ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 94 पर नरेंद्रनगर के कुमारखेड़ा बाईपास में तड़के करीब चार बजे पहाड़ी दरकने से सड़क पर भारी मलबा जमा हो गया, जिसके चलते मार्ग पर वाहनों की आवाजाही ठप पड़ी है। मार्ग बंद होने के कारण राजमार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। शादी का दिन होने के कारण शादी के वाहन भी राजमार्ग पर फंसे रहे। यातायात अवरूद्ध होने के कारण प्रशासन ने छोटे वाहनों का रूट डायवर्ट किया। 

बुधवार सुबह चार बजे करीब ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर टिहरी के कुमारखेड़ा बाईपास में ऊपर से पहाड़ी दरक गई, जिसका मलबा राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ गिरा। राजमार्ग बंद होने से दोनों तरफ वाहनों की कतार लग गई। इससे यात्रियों व स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिला  प्रशासन ने मार्ग बंद होने पर छोटे वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया। सुबह दस बजे राजमार्ग से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। तहसीलदार दयाल ङ्क्षसह भंडारी ने बताया कि मलबे को हटाने के लिए जेसीबी लगाई गई है, लेकिन दिनभर की कोशिश के बावजूद मार्ग नहीं खोला जा सका। 

गत देर शाम उत्तरकाशी और चमोली में मौसम ने करवट बदली। तूफान के दौरान चमोली के एक गांव में पेड़ टूटने से दो लोग घायल हो गए। वहीं उत्तरकाशी जिले में तूफान के दौरान पहाड़ी से गिरे बोल्डर की चपेट में आकर एक ट्रक चालक जख्मी है।

मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित हुआ। देर शाम चमोली में आए तूफान के कारण घाट क्षेत्र में एक आम का पेड़ टूटने से दो मकान क्षतिग्रस्त हो गए और एक मकान की छत उड़ गई। इस दौरान मकान में रह रहे दो लोगों को चोटें आई हैं। 

राजस्व उप निरीक्षक कुलदीप शाह ने बताया कि नुकसान का जायजा लेकर रिपोर्ट तहसील प्रशासन को भेजी जा रही है। दूसरी ओर उत्तरकाशी जिला मुख्याल के पास नालूपानी में भी तूफान से एक पेड़ उखड़ गया। 

पेड़ की चपेट में आने से पहाड़ी से पत्थर लुढ़क कर एक चलते ट्रक पर आ गिरा। इससे चालक को गंभीर चोट आई है, हालांकि ट्रक किसी बड़े हादसे का शिकार होने से बच गया।  स्थानीय लोगों ने 108 सेवा के जरिये घायल चालक को जिला अस्पताल पहुंचाया।

मंगलवार की आधी रात के बाद से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला बुधवार की सुबह भी जारी रहा। देहरादून, हरिद्वार के साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं के जिलों में सुबह जमकर बारिश हुई। इससे लोगों ने भी राहत महसूस की। 

मौसम विभाग के अनुसार पहाड़ों में कुछ स्थानों पर बारिश के साथ ओले गिर सकते हैं, लेकिन गर्मी का यह दौर 17 जून तक जारी रहने की संभावना है। इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों में 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा भी चल सकती है। 

मसूरी और नैनीताल के मौसम ने चौंकाया 

इससे पहले गत दिवस तक पहाड़ों में भी झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही थी। मंगलवार को  देहरादून में लगातार दूसरे दिन पारा सामान्य से पांच डिग्री अधिक 39.8 व न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 24.4 डिग्री सेल्सियस रहा।

एक सप्ताह से प्रदेश भीषण गरमी से जूझ रहा है। मैदानी क्षेत्रों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। मंगलवार को रुड़की सबसे गर्म रहा। यहां अधिकतम तापमान 43.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। देहरादून में सुबह 11 बजे ही तापमान 36 डिग्री सेल्सियस पहुंचने से लोग गर्मी से बेहाल दिखे। दिन जैसे-जैसे चढ़ता गया दुकानों के शटर गिरते गए। 

दोपहर एक बजे तक अधिकांश दुकान बंद हो गई और सड़कें, चौराहे, गलियां सब सूनी हो गई। पर्यटक स्थल लच्छीवाला, सहस्रधारा और गुच्चूपानी में दिनभर हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। 

उधर, मंगलवार उत्तरकाशी में सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। यहां अधिकतम तापमान 36.6 व न्यूनतम तापमान 20.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो बीते पांच साल में सबसे अधिक है। उधर, सरोवर नगरी नैनीताल में भी पारा उछाल पर है। 

मंगलवार को यहां अधिकतम तापमान 29.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, रानीखेत में पारा 36 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा है। मौसम में आए बदलाव से पर्यटक भी हैरत में हैं। 

मसूरी में तापमान 30 पार 

मसूरी में अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री अधिक 30.5 जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 20.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। दस साल में यह तीसरा मौका है जब मसूरी में पारा 30 डिग्री के पार गया है। सोमवार को मसूरी में तापमान इतना ही था। 

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से परिजनों के साथ मसूरी आए राजमोहन शर्मा कहते हैं कि वह पिछले आठ साल से हर वर्ष गर्मियों में यहां आ रहे हैं, लेकिन ऐसी गर्मी उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं की। 

वहीं, पंजाब के पटियाला से आए व्यापारी रमनप्रीत ने कहा कि पंजाब में बेहद गर्मी है, वहां के मुकाबले मौसम ठीक है, लेकिन पहले मसूरी में इतनी गर्मी महसूस नहीं होती थी। हालांकि, सुबह-शाम मौसम अच्छा है। 

15 दिन से ड्राइ कंडीशन से बिगड़े हालात 

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार पहाड़ों में तापमान बढ़ने का प्रमुख कारण 15 दिन से ड्राइ कंडीशन का बना रहना है। उन्होंने बताया कि इस दौरान वातावरण में नमी कम हो जाती है। इसके अलावा पहाड़ों में जंगल की आग भी इसमें सहायक बनी हुई है। मानसून में विलंब के चलते फिलहाल पारे में उछाल जारी रहेगा 16 जून से प्रदेश में मौसम करवट ले सकता है। 

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