उत्तराखंड में कृषि और तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर पुरस्कृत होंगे शिक्षक
उच्च शिक्षा में शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए डा. भक्तदर्शन पुरस्कार की पहल का असर दिखने लगा है। अब उच्च शिक्षा से इतर कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों की ओर से भी पुरस्कार देने की मांग उठ रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उच्च शिक्षा में शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए डा. भक्तदर्शन पुरस्कार की पहल का असर दिखने लगा है। अब उच्च शिक्षा से इतर कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों की ओर से भी पुरस्कार देने की मांग उठ रही है। ऐसे मामले में सरकार ने सकारात्मक संकेत दिए हैं।
बीते वर्ष सरकार ने स्कूली शिक्षा की तर्ज पर उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों को उल्लेखनीय कार्यों के लिए पुरस्कृत करने की योजना शुरू की है। दरअसल स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर के साथ ही राज्य स्तर पर भी शिक्षकों को पुरस्कृत किया जा रहा है। राज्य स्तर पर स्कूली शिक्षकों को शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार दिए जा रहे हैं। उक्त दोनों पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वर्ष सेवा विस्तार देने का प्रविधान किया गया है। उच्च शिक्षा में भी इसी तर्ज पर व्यवस्था की मांग उठी थी, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हुई थी।
उच्च शिक्षा में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष के स्थान पर बढ़ाकर 65 वर्ष की जा चुकी है। इस वजह से शिक्षकों को पुरस्कार स्वरूप सेवा अवधि बढ़ाने का तोहफा देने के बजाय नगद पुरस्कार की व्यवस्था की गई है। उच्च शिक्षा की तर्ज पर अब जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर और वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय के साथ ही तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की ओर से भी उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार देने की मांग जोर पकड़ रही है।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. धन सिंह रावत ने उच्च शिक्षा से इतर अन्य शिक्षकों को भी इसतरह पुरस्कार देने पर हामी भरी है। उन्होंने इस संबंध में जल्द निर्णय लेने के संकेत भी दिए। यही नहीं उन्होंने कहा कि डा. भक्तदर्शन पुरस्कार की धनराशि को बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में यह धनराशि 50 हजार रुपये है।
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