नमो देव्यै महादैव्यै: जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से रोशन कर रही विभा, बचपन से था सपना 'पढ़ाई के लिए कोई न तरसे'
देहरादून की शिक्षिका विभा नौड़ियाल आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का प्रबंध कर रही हैं। वे न केवल मुफ्त ट्यूशन देती हैं बल्कि किताबें और स्टेशनरी भी उपलब्ध कराती हैं। कई संगठनों के साथ मिलकर वह शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ा रही हैं और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भी मदद कर रही हैं। उनका मानना है कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है।

सुमित थपलियाल, जागरण देहरादून। सरकार भले ही बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए बेहतर शिक्षा सुविधा दिलाने की बात कर रही हों लेकिन आज भी समाज में ऐसे कई बच्चे हैं जिनकी पढ़ाई परिवारों की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अधर लटक जाती है।
ऐसे बच्चों के लिए केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका विभा नौड़ियाल एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं। कई जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का खर्चा तो कइयों को निश्शुल्क ट्यूशन पढ़ाती हैं। उनके इस कार्य को देखते हुए उन्हें कई संगठनों ने भी अपने साथ जोड़ दिया है।
पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय हाथीबड़कला-एक में विभा नौड़ियाल शिक्षिका हैं। अध्यापन के बाद उनका अधिकांश समय जरूरतमंद बच्चों के साथ बीतता है। कभी कहीं शिविर में बच्चों की काउंसलिंग करनी हो या फिर किसी को स्टेशनरी वितरित करना हो इसी में उनका समय निकल जाता है। जिन बच्चों को ट्यूशन की जरूरत हो तो उन्हें निश्शुल्क भी पढ़ाती हैं।
इसके अलावा कई ऐसे अभिभावक हैं जो निजी स्कूलों में भी बच्चों का दाखिला करा देते हैं लेकिन कई बार फीस नहीं भर पाते तो विभा इसमें उनकी मदद करती हैं। बच्चों के दाखिले के संबंध में जागरूकता अभियान, फ्री ट्यूशन और पढ़ाई पर परामर्श के अलावा वह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए कार्य करती हैं जिन्हें मानसिक समस्याएं अथवा पढ़ने-लिखने में लर्निंग डिसेबिलिटीज हैं।
उनका मानना है कि बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सर्वोपरि है। इस प्रयास से विद्यालय और समाज में शैक्षणिक, मानसिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे बच्चे आत्मविश्वासी और प्रेरित महसूस कर रहे हैं।
बचपन से था सपना कि शिक्षा के लिए कोई न तरसे
विभा बताती हैं कि वह बचपन से ही चाहती थी कि शिक्षा के लिए कोई भी बच्चा न तरसे। उन्होंने सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले जरूरतमंद घरों से आने वाले छात्र-छात्राओं को कदम कदम पर शिक्षा के लिए संघर्षरत देखा तो उनकी मदद करने का यह जज्बा वहीं से मिला।
फिर जब सरकारी स्कूल में शिक्षिका बनी तो यहां पर भी देखा कि जरूरतमंद घर के बच्चों का दाखिला तो हो जाता है लेकिन उन्हें छोटी-मोटी फीस भरना, किताब और ड्रेस का जुगाड़ करना ही बहुत भारी पड़ता है। बस यहीं से शिक्षा के लिए कार्य करना शुरू किया।
एनएपीएसएआर के बुक बैंक की संचालक भी विभा
नेशनल एसोसिएशन फार पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (एनएपीएसएआर) की ओर से संचालित बुक बैंक की विभा नौडियाल संचालक भी हैं। जिसमें निश्शुल्क किताबें वितरित करती हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों की सहायता से वह सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी रही हैं।
हाल ही में आई आपदा में उन्होंने पहाड़ों में बच्चों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। जिसमें उन्होंने शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण इलाकों के बच्चों तक पुस्तकें और आवश्यक शैक्षणिक सामग्री पहुंचाई।
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