मानसून की तबाही के बाद जागा सिस्टम, देहरादून में सख्ती; खुद नहीं हटाए अवैध कब्जे तो चलेगा बुलडोजर
मानसून की तबाही के बाद देहरादून में प्रशासन सख्त हो गया है। अवैध कब्जों को हटाने के लिए कार्रवाई की जा रही है। लोगों को स्वयं अतिक्रमण हटाने के लिए कह ...और पढ़ें

नदी किनारे स्वयं अतिक्रमण हटाने का अल्टीमेटम। आर्काइव
विजय जोशी, देहरादून। मालदेवता और सहस्रधारा क्षेत्र में बीते वर्षाकाल में आई भीषण आपदा और सौंग नदी के रौद्र रूप के बाद अब आखिरकार सिस्टम की नींद टूटी है। सिंचाई विभाग ने नदी व नहरों पर बढ़ते अतिक्रमण को आपदा का सीधा कारण मानते हुए बड़े अभियान की तैयारी शुरू कर दी है। दुनाली चौक से मालदेवता तक सभी अवैध कब्जों पर 11 दिसंबर तक स्वयं हटाने का अल्टीमेटम दिया गया है।
विभाग ने मुनादी कराई है और चिह्नित निर्माणों को नोटिस थमा दिया है। अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि नदियों के किनारे किसी भी तरह का अतिक्रमण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, अन्य क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर नदियों का गला घाेंटा जा रहा है।
बीते सितंबर में बादल फटने और भारी बारिश के दौरान मालदेवता–सहस्रधारा बेल्ट में नदी ने कहर बरपाया था। नदी के मुहाने पर बने कई रिजार्ट, दुकानें और मकान क्षणभर में बह गए थे। इसके बावजूद पर्यटक दबाव और व्यावसायिक लालच में यहां अवैध निर्माण लगातार बढ़ते रहे। सौंग नदी के किनारे रिजार्ट, कैफे, रेस्टोरेंट और होमस्टे ने नदी की प्राकृतिक चौड़ाई को इस कदर घेर लिया है कि हर मानसून में यहां भयावह स्थिति बन जाती है।
पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि घाटीनुमा क्षेत्रों में भारी बारिश का जोखिम पहले ही अधिक होता है, लेकिन मौसम के बदलते पैटर्न और निर्माण की बेतहाशा दौड़ ने आपदा की आशंका कई गुना बढ़ा दी है। नदियों की धारा मोड़कर होटल–रिजार्ट खड़े किए जा रहे हैं। नदी किनारों का कटाव बढ़ा है, जलप्रवाह बाधित होने से पानी बस्तियों में घुस रहा है। बादल फटने की घटनाएं अब अधिक बड़े पैमाने की तबाही का कारण बन रही हैं।
देहरादून की 12 नदियां और हर जगह खतरा
दून में रिस्पना, बिंदाल, सुसवा, टोंस, आसन, सोंग, नून, जाखन, खलंगा और तमसा समेत 12 प्रमुख नदियां बहती हैं। यह नदी तंत्र शहर की खूबसूरती और जल संतुलन की पहचान है। लेकिन इन सभी नदियों के किनारों पर तेज़ी से अतिक्रमण बढ़ा है। मकान, दुकान से लेकर मल्टीस्टोरी होटल तक उग आए हैं। कई स्थानों पर धाराओं को कृत्रिम रूप से मोड़ा गया है। इससे न सिर्फ नदी की गति और विस्तार बाधित हो रहा है, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं का जोखिम दोगुना हो गया है।
टिहरी में रोक, देहरादून में छूट, सवालों के घेरे में प्रशासन
टिहरी जिले में सौंग नदी के तट पर निर्माण पर सरकार ने कठोर रोक लगा रखी है। लेकिन, देहरादून में इसी नदी के किनारे अनियंत्रित निर्माण जारी है। मालदेवता में नदी किनारे खड़ी स्थायी इमारतें हर मानसून में डूबने और ढहने की कगार पर पहुंच जाती हैं, वहीं प्रशासन की कार्रवाई केवल आपदा के बाद सक्रिय दिखती है।
11 दिसंबर के बाद चलेगा बुलडोजर
सिंचाई विभाग ने संकेत दिए हैं कि 11 दिसंबर के बाद बिना किसी पूर्व सूचना के व्यापक अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा। इस इलाके के लोगों और कारोबारियों में कार्रवाई को लेकर खलबली है, लेकिन स्थानीय निवासियों का मानना है कि प्रशासन की यह सख्ती जरूरी है ताकि मालदेवता जैसी खूबसूरत घाटियां मानवीय लापरवाही की वजह से स्थायी आपदा क्षेत्र न बन जाएं।

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