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    Surya Kiran Exercise: लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से गूंजा आसमान, दून के ऊपर से गुजरे नौ फाइटर प्लेन

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 09:34 PM (IST)

    फाइटर प्लेन अचानक आसमान में उड़ान भरते देखे जाएं तो हर कसी का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। दोपहर बाद दूनवासी भी कुछ ऐसा ही देखकर हैरत में पड़ गए। दरअसल चार बज के करीब वायुसेना के नौ फाइटर प्लेन एक साथ आसमान में उड़ान भरते देखे गए थे।

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    लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से गूंजा आसमान, दून के ऊपर से गुजरे नौ फाइटर प्लेन।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Surya Kiran Exercise वायुसेना के लड़ाकू विमान (फाइटर प्लेन) अचानक आसमान में उड़ान भरते देखे जाएं तो हर कसी का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। सोमवार की दोपहर बाद दूनवासी भी कुछ ऐसा ही देखकर हैरत में पड़ गए। दरअसल, चार बज के करीब वायुसेना के नौ फाइटर प्लेन एक साथ आसमान में उड़ान भरते देखे गए थे। कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण आम जन ने इन्हें करीब से देखा। विमानों की गड़गड़ाहट सुनकर कुछ देर के लिए सभी नजरें आसमान की ओर टिक गई। हालांकि, अगले कुछ ही सेकेंड में ये सभी की आखों से ओझल हो गए।

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    बताया जा रहा है कि वायुसेना के सूर्यकिरण अभ्यास के तहत इन नौ फाइटर प्लेन ने अपराह्न साढ़े तीन बजे हिंडन एयरबेस से उड़ान भरी। इसके बाद ये सहारनपुर, देहरादून, नंदप्रयाग, हरिद्वार व मेरठ के ऊपर से गुजरते हुए वापस हिंडन एयरबेस पहुंचे। सवा घंटे की इस उड़ान में वायुसेना के फाइटर प्लेन जहां से भी गुजरे सभी हैरत में पड़ गए। भारत-पाक के बीच 1971 युद्ध के 50 साल बीतने के मौके पर विजय गाधा के रूप में इन जहाज ने उड़ान भरी।

    हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड की ओर से 1964 में तैयार किए 190 सूर्यकिरण जहाज देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी भारतीय वायुसेना के शौर्य का प्रदर्शन कई बार कर चुके हैं। इन जहाजों की खूबसूरती व हवा में इनकी कलाबाजियां जन सामान्य को आकर्षित करती है। इसे देखते हुए 1996 में विशेष टीम का गठन वायु सेना ने किया था। यह जहाज 780 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड के साथ उड़ान भर सकने में सक्षम हैं।

    बीते साल दिसंबर में भी सुनाई दी थी फाइटर प्लेन की गर्जना

    आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में भी दून में दोपहर बाद फाइटर प्लेन की गर्जना सुनाई दी थी। अचानक तेज गड़गड़ाहट से आसमान गूंज उठा था। ये दूनवासियों के लिये इस तरह का पहला अनुभव था और इसे लेकर तमाम तरह की अटकलें भी लगती रहीं। हालांकि, इसे वायुसेना की रुटीन एक्सरसाइज बताया गया।