देश का नक्शा बनाने वाले ऐतिहासिक यंत्रों ने किया रोमांचित
सर्वे ऑफ इंडिया का संग्रहालय आमजन के लिए खोला गया। विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने संग्रहालय के भ्रमण कर देश का नक्शा बनाने वाले तमाम ऐतिहासिक उपरकणों को करीब से देखा व उनके बारे में जाना।
देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सर्वे ऑफ इंडिया का संग्रहालय आमजन के लिए खोला गया। विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने संग्रहालय के भ्रमण कर देश का नक्शा बनाने वाले तमाम ऐतिहासिक उपरकणों को करीब से देखा व उनके बारे में जाना। ऐसे दुर्लभ यंत्रों को देखकर छात्र रोमांच से भरे नजर आए।
गुरुवार को छात्रों व आमजन ने सर्वे चौक स्थित सर्वे ऑफ इंडिया के ज्योडीय एवं अनुसंधान शाखा, अंकीय मानचित्रण केंद्र व भू-स्थानिक आंकड़ा केंद्र का भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई नापने वाले ऐतिहासिक उपकरण थ्योडोलाइट को करीब से देखा। इसके साथ ही छात्रों व आमजन ने लेवल मशीन, सेक्सटेंटस जैसे उपकरणों समेत आधुनिक यंत्रों के बारे में भी जाना। संग्राहालय के समन्वयक के रूप में अरुण कुमार ने यंत्रों के बारे में बताया, जबकि ज्योडीय अनुसंधान शाखा के निदेशक डॉ. एसके सिंह व अन्य निदेशक आरके मीणा ने विभिन्न तरह की तकनीकी जानकारी साझा दी। निदेशक एसके सिंह ने कहा कि उनका संस्थान देश का प्रत्येक इंच के बारे में जानता है, क्योंकि देश के प्रत्येक इंच के नक्शे यही से तैयार किए गए हैं।
छात्रों ने नक्शों के बारे में जाना
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सर्वे ऑफ इंडिया के उत्तरी मुद्रण वर्ग, मानचित्र अभिलेख व प्रसार केंद्र की ओर से 'लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग' विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस दौरान छात्रों को मानचित्र तैयार करने और उनके मुद्रण के बारे में विस्तार से बताया गया। छात्रों को बड़ी-बड़ी मुद्रण मशीनें, कैमरे व अन्य उपकरणों को दिखाया भी गया। इस अवसर पर उत्तरी मुद्रण वर्ग के निदेशक ले. कर्नल राकेश सिंह, मानचित्र अभिलेख व प्रसार केंद्र के निदेशक डॉ. चंद्र प्रकाश, मधुकर तिवारी, योगेश अग्रवाल, संजय गर्ग, सीएस डबराल, राजीव वाही आदि उपस्थित रहे।
विज्ञान कांग्रेस में 46 युवा वैज्ञानिक पुरस्कृत
तीन दिवसीय विज्ञान कांग्रेस समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के संकल्प के साथ गुरुवार को संपन्न हो गई। इस अवसर पर 46 युवा वैज्ञानिकों को विभिन्न 16 विषयों पर मौखिक व पोस्ट आधारित शोध पत्र प्रस्तुत करने पर पुरस्कृत किया गया। इसमें 30 महिला विज्ञानी, जबकि 16 पुरुष विज्ञानी शामिल हैं। सर्वाधिक पुरस्कार जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को मिले। इसके बाद कुमाऊं विश्वविद्यालय व जीबी पंत कोसी कटारमल के शोधार्थियों ने सर्वाधिक पुरस्कार प्राप्त किए। गुरुवार को विज्ञान कांग्रेस के समापन समारोह का उद्घाटन लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल आनंद सिंह रावत (रिटा.) ने कहा कि युवा विज्ञानियों में देश प्रेम का जज्बा भरा होना चाहिए। तभी वह देश के लिए बेहतर शोध कार्यों को अंजाम दे सकते हैं। वहीं, भारत सरकार के पूर्व सचिव हेम कुमार पांडे ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में वैज्ञानिक सोच जगाना जरूरी है।
क्योंकि विज्ञान उन्हीं की बेहतरी के लिए है, मगर यह तभी होगा जब शोध कार्यों को आमजन से सीधे तौर पर जोड़ा जाएगा। कार्यक्रम में पूर्व उपमहासर्वेक्षक ब्रिगेडियर केजी बहल (रिटा.) की पुस्तक ग्लिम्पसेस फ्रॉम सर्वे ऑफ इंडिया कंवरिंग 250 इयरर्स का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर पूर्व मुख्य सचिव एन रविशंकर, एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. हेमचंद्र, प्रो. रविकांत, डॉ. वीबी माथुर, डॉ. प्रकाश चौहान, यूकॉस्ट महानिदेशक डॉ. डीपी डोभाल आदि उपस्थित रहे।
इन्हें मिला पुरस्कार देवेंद्र शर्मा, मनीष देव शर्मा, अंजली जोशी, अमित कोटियाल, संध्या बिन्द, दीप चंद्र सुयाल, अंकिता चैहान, विनोद चंद्र जोशी , अनमोल रावत, चंद्र काता, ऋषिका गुलेरिया, रेखा देवरानी, पूजा, रुचि पांडे, प्रतीक देव, मोनिका गैरोला, नितिन कुमार, आकाक्षा, दीपिका आर्य, रेखा गोस्वामी, साधना यादव, शिनी ठाकुर, श्वेता सूरी, पूजा भट्ट, पूनम, अंजू निगम, ब्रिजेश प्रसाद, मयंक पाठक, गुंजन मिश्रा, निशिथ गोविल, उमा रावत, विपिन तिवारी, अलोक सागर गौतम, शुभम काला, आकाक्षा कुमाईं, लवप्रीत कौर, लीला चैहान, दीक्षा गौतम, संदीप कौर, छायना सिंह महापात्रा, आनंद कुशवाहा, फसविल फारुख, नगमा परवीन, नेहा गिरी, उपासना।
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