टायलेट क्लीनर से जली महिला की आहार नली, एम्स के डाक्टर बने 'भगवान'; दिया नया जीवन
मुरादाबाद की एक महिला ने गलती से एसिड पी लिया था जिससे उसकी आहार नली जल गई थी। वह 13 महीने से फीडिंग ट्यूब पर थी। एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने सर्जरी करके उसकी आंत से नई आहार नली बनाई। अब वह मुंह से भोजन कर पा रही है और स्वस्थ है। डॉक्टरों की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक किया जिससे महिला को नया जीवन मिला।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। एम्स के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने एक साल से अधिक समय से फीडिंग पाइप से भोजन ग्रहण कर रही महिला की सर्जरी कर नई आहार नली बना दी। आम लोगों की तरह महिला ने मुंह से भोजन करना शुरू कर दिया।
एसिड युक्त टायलेट क्लीनर पेट में चले जाने के कारण मुरादाबाद की एक 24 वर्षीय महिला की आहार नली पूरी तरह से जल गयी थी। इस वजह से वह पिछले 13 माह से फीडिंग ट्यूब के जरिए ही तरल भोजन पर निर्भर थी और मुंह से कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ थी।
इस दौरान उसका जीवन एक ट्यूब (फीडिंगजेजुनोस्टामी) के माध्यम से तरल आहार पर चल रहा था। चिकित्सीय भाषा में पेट में तरल भोज्य पदार्थ पहुंचाने की यह एक ऐसी व्यवस्था है जिससे ट्यूब नली के माध्यम से भोजन को सीधे पेट की छोटी आंत में पहुंचा दिया जाता है। एम्स आने से पहले महिला ने कई अस्पतालों से इलाज भी करवाया।
कई अस्पतालों में एंडोस्कोपी करने के बाद भी उसकी भोजन नली में आई रुकावट दूर नहीं हो पाई। एम्स पहुंचने पर जांचों के बाद सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के डाक्टरों ने रोगी की बड़ी आंत के एक हिस्से से नई आहार नली (इसोफेगस) बनाने का निर्णय लिया। सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के हेड व सर्जरी करने वाले शल्य चिकित्सक डा. लोकेश अरोड़ा ने इस बारे में बताया कि कोलोनिक पुल-अप नामक इस सर्जरी की प्रक्रिया में आंत का हिस्सा पेट से होते हुए छाती के रास्ते गले तक खींचा गया।
जोखिम भरी इस सर्जरी में लगभग सात घंटे का समय लगा। एम्स के विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने मिलकर इसे सफल बनाया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्याश्री ने इस उपलब्धि पर सर्जरी करने वाली टीम के कार्यों की प्रशंसा की है।
यह रही टीम के सामने चुनौती
डा. अरोड़ा ने बताया कि इस सर्जरी की सबसे बड़ी चुनौती आहार नली के पास स्थित वायस बाक्स को सुरक्षित रखना था। ऐसे में थोड़ी सी भी चूक होती तो स्वर यंत्र को स्थायी नुकसान हो सकता था और महिला की हमेशा के लिए आवाज जा सकती थी। इसलिए अलग-अलग विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित की गई और टीम की गहन निगरानी की वजह से यह सर्जरी पूरी तरह सफल रही।
टीम में यह डाक्टर रहे शामिल
डा. लोकेश अरोड़ा के अलावा इस टीम में इसी विभाग की डा. सुनीता सुमन, डा. नीरज यादव, डा. विनय, डा. अजहर, डा. शुभम, डा. अमन, ईएनटी सर्जन डा. अमित त्यागी, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. संजय अग्रवाल व नर्सिंग ऑफिसर दीप, मनीष, सीमा और रितेश आदि शामिल रहे।
जनवरी में आपरेशन, उसके बाद निगरानी
सर्जरी के बाद रोगी को पांच दिन तक सीसीयू में रखा गया। जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के बाद रोगी ने आठवें दिन से मुंह से भोजन करना शुरू किया और 15वें दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि यह सर्जरी जनवरी माह में हो चुकी थी, लेकिन पिछले चार महीनों तक चिकित्सक नियमित तौर पर फोन और फालोअप के लिए बुलाकर उसके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे थे। चिकित्सकों के अनुसार पूरा भोजन करने से अब मरीज का दस किलोग्राम वजन बढ़ गया है और वह सामान्य जीवन जीते हुए पूरी तरह स्वस्थ हैं।
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