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    उत्तराखंड नदियों को बचाने के लिए जल शोधन परियोजना, साफ होने के बाद नदियों में जाएगा 58 लाख लीटर पानी

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 07:51 PM (IST)

    उत्तराखंड की नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने पहल की है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत सात कस्बों में जल शोधन प्लांट लगाए जाएंगे जिससे प्रतिदिन 58 लाख लीटर दूषित जल को नदियों में जाने से रोका जा सकेगा। इन परियोजनाओं पर लगभग 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों योगदान देंगी।

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    सात परियोजनाओं से 58 लाख लीटर जल शोधन के बाद नदियों में जाएगा। फाइल

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून।हिमालय की वादियों से निकलती नदियां सदियों से जीवनदायिनी रही हैं। अब इन नदियों के उद्गम स्थलों को ही मानव बस्तियों का प्रयुक्त जल दूषित कर रहा है। भगीरथी, अलकनंदा और बालगंगा जैसी नदियों में रोज़ाना लाखों लीटर गंदा पानी घुल रहा है।

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    इसे रोकने के लिए अब पहाड़ के सात कस्बों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रयुक्त जल शोधन प्लांट लगाए जाएंगे। शाेधित जल ही नदियों में प्रवाहित होगा। परियोजनाओं की डीपीआर तैयार हो गई है। परियोजनाओं पर करीब 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे प्रतिदिन 58 लाख लीटर प्रयुक्त जल को नदियों में प्रवाहित होने से रोका जा सकेगा।

    शहरी विकास मंत्रालय स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत प्रयुक्त जल प्रबंधन पर काम कर रहा है। उत्तराखंड में प्रतिदिन 85.6 मिलियन लीटर पानी उपयोग होता है। प्रयुक्त जल को पुन: प्रयोग लायक बनाने की योजनाओं पर काफी धीमी गति से काम हो रहा है।

    शहरी निकायों के लिए अब तक केवल सात वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की डीपीआर ही तैयार की जा सकी हैं। यह संख्या पूरे राज्य के शहरी क्षेत्रों की जरूरत के मुकाबले काफी कम है। इससे ज्यादातर शहरों में प्रयुक्त जल प्रबंधन अब तक अधूरा है।

    परियोजनाओं पर कुल 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे, इसमें 203 करोड़ रुपये केंद्र सरकार व 22 करोड़ रुपये राज्य सरकार देगी। शहरी विकास विभाग ने डीपीआर नेशनल इंस्टीटयूट आफ अर्बन को भेज दी है, ताकि उनके सुझावों काे भी प्रोजेक्ट में शामिल किया जा सके।

    प्रमुख परियोजनाएं

    • चिन्यालीसौड़ (भगीरथी नदी)
    • सतपुली (नयार नदी)
    • घनसाली (भिलंगना नदी)
    • चमीला (बालगंगा नदी)
    • पुरोला (यमुना की सहायक नदी)
    • बड़कोट (यमुना नदी)
    • पौड़ी (लोअर चोप्ता गदेरा)

    प्रयुक्त जल से नदियों को नुकसान

    • नदियों की पवित्रता और धार्मिक महत्व पर असर।
    • बिना ट्रीटमेंट गिराया गया प्रयुक्त जल नदी में आक्सीजन घटा देता।
    • जल पीने योग्य और सिंचाई योग्य नहीं रह पाता।
    • दूषित जल में बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी पनपने लगते हैं।
    • ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के नदी के जल पर आश्रित, इससे खतरे में आते।
    • प्रयुक्त जल में शामिल डिटर्जेंट, तेल, रसायन और प्लास्टिक कचरा जलीय जीवों के लिए नुकसानदायक।
    • नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ने लगता है।
    • पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान।