Cough Syrup Ban तो अब काहे की टेंशन, खांसी से राहत के लिए मौजूद है ये सेफ ऑप्शन और रेमेडीज
केंद्र सरकार द्वारा कफ सिरप पर बैन के बाद, लोग खांसी के इलाज को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों में खांसी के लिए हर बार सिरप जरूरी नहीं। घरेलू उपाय, सुरक्षित दवाएं और डॉक्टर की सलाह से इलाज संभव है। लेवोड्रोप्रोपिज़िन एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, पर डॉक्टर की निगरानी में ही लें। दवा विक्रेताओं से प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री रोकने की अपील की गई है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। राजस्थान, मध्य प्रदेश में कफ सीरप के सेवन से बच्चों के बीमार होने व मृत्यु की घटना के बाद केंद्र सरकार के सभी कफ सीरप पर बैन लगा दिया है। ऐसे में उत्तराखंड में मरीजों के सामने सीरप की जगह क्या इस्तेमाल करें इसकी चिंता सताने लगी है। जिनके मरीज अस्पताल में भर्ती हैं अथवा घरों में खांसी से पीड़ित हैं तो उनके
सामने भी यह समस्या सबसे अधिक है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में बच्चों में खांसी आम है, लेकिन हर बार कफ सीरप लेना जरूरी नहीं। सही घरेलू उपाय, कुछ सुरक्षित दवाएं और चिकित्सक की निगरानी ही पर्याप्त हैं। खासकर दो वर्ष से छोटे बच्चों में अनावश्यक दवाओं से बचना जरूरी है। ज्यादातर मामलों में बच्चों में खांसी अपने आप ही ठीक हो जाती है।
बीते कुछ समय से खांसी के कुछ सीरप पर प्रतिबंधित करने के बाद उत्तराखंड के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने दवा विक्रेताओं को निर्देश दिए थे कि कि पंजीकृत चिकित्सकों के पर्चे पर ही बच्चों का कफ सीरप दी जाए। हालांकि इसके बाद भी कई मेडिकल स्टोर पर खांसी की दवा खुलकर बिकी। अब केंद्र सरकार की ओर से सभी खांसी की दवा की बिक्री पर रोक लगाने के बाद लोग भी असमंजस में हैं कि इस बदलते हुए मौसम में खांसी होना आम बात है इसलिए अब वह सीरप के विकल्प के तौर पर क्या लेंगे।
हालांकि चिकित्सकों ने उनके इस असमंजस को दूर करते हुए विकल्प के तौर पर अन्य दवा को इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही लेने को कहा है। राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल के फिजीशियन डा. असीम रतूड़ी का कहना है कि आमतौर पर देखा जाता है कि लोग जरा सी खांसी होने पर कफ सीरप इस्तेमाल करने लगते हैं। जबकि यदि वायरल डीजीज है तो वह तीन से पांच दिन में आसानी से ठीक हो जाता है। यदि खांसी है तो कफ सीरप के विकल्प के तौर पर एंजी एजर्ली दवा ले सकते हैं। नमक पानी का गरारा सबसे बढ़िया है। इसके अलावा जितना भी हो सके इस मौसम में कोशिश करें कि ठंडी चीजों से बचें और गुनगुना पाने का सेवन करें।
दवा कौन सी लें इसके लिए लोग पहुंच रहे अस्पताल
राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विवेकानंद सत्यवली का कहना है कि कुछ दवा के बैन होने के बाद खांसी से संबंधित दवा कौन सी लें इसके लिए लोग पहुंच रहे हैं। बीते बुधवार को अस्पताल में खांसी की दवा को सील कर दिया गया था। ऐसे में उन्हें विकल्प के तौर पर अन्य दवा लिखकर दी जा रही थी। ऐसे समय में गुनगुना पानी का सेवन करने, ठंड से बचने और ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना होगा।
लेवोड्रोप्रोपिज़िन एक सुरक्षित विकल्प
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. विशाल कौशिक के अनुसार खांसी वास्तव में हमारे शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रक्रिया है, जो वायुमार्ग से बलगम को बाहर निकालकर फेफड़ों की सुरक्षा करती है। अधिकांश मामलों में बच्चों की खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए कोई विशेष दवा लेने की आवश्यकता नहीं होती। यदि खांसी बहुत अधिक परेशानी देती है या सोने और सांस लेने में दिक्कत होती है, तो उपचार की जरूरत होती है। ऐसी दवाओं का उपयोग 4 साल से बड़े बच्चों में ही, डाक्टर की सलाह के अनुसार किया जाता। लेवोड्रोप्रोपिज़िन एक सुरक्षित विकल्प है, लेकिन इसे भी केवल डाक्टर की निगरानी में ही उपयोग करना चाहिए।
सलाइन नेसल ड्राप्स के ज़रिए नियंत्रित कर सकते हैं खांसी
दून मेडिकल कालेज के श्वास रोग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पल्मोनोलाजिस्ट डा. अनुराग अग्रवाल के अनुसार आप भाप लेकर, शरीर को पर्याप्त आराम देकर, गुनगुना पानी पीकर,सलाइन नेसल ड्राप्स के ज़रिए खांसी को नियंत्रित कर सकते हैं। सीरप की ज़रूरत हमेशा नहीं पड़ती। एलर्जी वाले कफ में फेक्सोफेनाडाइन व सेट्रिजीन भी असरदार रहती है। इसके अलावा बच्चों को हम शहद-अदरक का जूस मिलाकर लेने की सलाह देते हैं, जिससे आराम मिलता है। सीओपीडी के मरीजों के लिए कफ सीरप बैन नहीं हैं। उन्हें फिलहाल कफ सीरप लिखा जा रहा है।
प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री को शीघ्र रोकने का आह्वान
देहरादून: होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव तनेजा ने फुटकर और थोक सभी दवा विक्रेताओं से एफडीए का पूरा सहयोग करने और प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री को तुरंत रोकने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रदेश में सुरक्षित और जिम्मेदार दवा वितरण व्यवस्था को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। महासचिव आकाश प्रभाकर ने भी सभी सदस्यों से विभागीय दिशा-निर्देशों का पालन करने, प्रदेश में सुरक्षित औषधि व्यापार सुनिश्चित करने में सहयोग की अपील की है। जिले की बात करें तो देहरादून, ऋषिकेश, विकासनगर में तकरीबन 6500 दुकानों ने ड्रग विभाग से लाइसेंस लिया है। इसमें होलसेल व रिटेलर दोनों शामिल हैं।
केंद्र की ओर से सभी तरह के सीरप बिक्री को बंद करने के आदेश अभी तक नहीं मिला है। जैसे ही आदेश आता है उसका पूरा अनुपालन किया जाएगा। फिलहाल विभिन्न जिलों में टीम मेडिकल स्टोर का औचक निरीक्षण कर अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई कर रही है। सभी जिलों में अधिकारियों से कहा गया है कि निरीक्षण में लापरवाही बर्दाश्त ना करें।
ताजबर सिंह जग्गी, अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन
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