नए साल में बिजली-पानी की निर्बाध आपूर्ति की ओर बढ़ेंगे कदम, जानिए
बिजली और पानी से संबंधित कई योजनाएं प्रदेश में गतिमान हैं इनमें कुछ कार्य अधूरे हैं जिन्हें नए साल में पूरा करना पेयजल निगम और ऊर्जाा निगम की प्राथमिकता है।
देहरादून, विजय जोशी। रोजमर्रा की जरूरतों में शुमार बिजली और पानी से संबंधित कई योजनाएं प्रदेश में गतिमान हैं। 2019 में कुछ कार्य पूर्ण भी हुए तो कुछ में अब भी कसर बाकी है। ऐसे में 2020 में अधूरी योजनाओं को पूर्ण करना ही पेयजल निगम और ऊर्जा निगम की प्राथमिकता रहेगी। पेयजल निगम की ग्रेविटी, पंपिंग या सीवरेज प्रोजेक्ट हों या ऊर्जा निगम के डीडीयूजीजेवाई, अआइपीडीएस योजनाएं हों। दोनों ही निगमों के कार्य अभी गतिमान हैं। ऐसे में समय पर योजनाओं को पूरा करना भी अधिकारियों के लिए चुनौती रहेगी।
ऊर्जा निगम सौभग्य योजना का टारगेट पूरा करने का दावा कर रहा है, तो पेयजल निगम अमृत योजना के कार्यों को लगभर पूरा करने की ओर अग्रसर है। हालांकि, पात्रों तक लाभ पहुंचाना और योजना के क्रियान्वयन का सत्यापन करना भी जरूरी है। देखना यह होगा कि 2020 में जन सुविधाओं से जुड़े इन दोनों क्षेत्रों में प्रदेश की जनता को कितनी सुविधा मिल पाती है। दूसरी ओर आपसी समन्यव सुधारने के दावों पर भी निगमों और विभागों को मिलकर खरा उतरने की दरकार है।
2019 में ऊर्जा निगम का रहा 'सौभाग्य'
हर घर को रोशन करने की केंद्र सरकार की योजना सौभाग्य को लेकर उत्तराखंड में तेजी से कार्य हुए। ऊर्जा निगम ने 2017 में शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य पूरा करने में खासी फुर्ती दिखाई और मार्च 2019 तक उत्तराखंड के प्रत्येक घर तक बिजली पहुंचा दी। ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश को सौ फीसद इलेक्ट्रीफाइड कर दिया गया है। पहाड़ों से लेकर मैदान तक हर शहर हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है। लक्ष्य पूरा कर ऊर्जा निगम भी गदगद है। 2019 में सौभग्य योजना का पूर्ण हो चुका है, लेकिन अभी ऊर्जा निगम की जिम्मेदारी बरकरार है। निर्बाध बिजली आपूर्ति की चुनौती से निपटने के लिए निगम को और प्रयास करने होंगे।
सौभग्य एक नजर
अक्टूबर 2017 को प्रधानमंत्री घोषणा के बाद सौभग्य योजना के तहत राज्यों में कार्य शुरू हुआ। 2011 की जनगणना के आधार पर घरों का चिह्नीकरण किया गया। लक्ष्य को ऊर्जा निगम ने मार्च 2019 तक पूर्ण कर लिया।
उत्तराखंड के लिए मंजूर बजट: 149.34 करोड़
विद्युतीकृत घर: दो लाख 49 हजार
शिविर लगे: 3484
ग्रिड: दो लाख 42 हजार
ये रहीं उपलब्धियां
-दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत 94 अविद्युतीकृत ग्रामों को विद्युतीकृत करने का कार्य निर्धारित समय पर पूर्ण किया।
-70 एमवीए क्षमता के चार नग 33/11 केवी उपस्थानों और 42 किमी नई लाइनों का निर्माण किया।
-विद्युत चोरी पर अंकुश लगाने को कुल 3382 प्रकरणों में प्राथमिकी दर्ज की गई।
-पिछले वर्ष के सापेक्ष 300 करोड़ अधिक यानि 6377 करोड़ का रिकॉर्ड राजस्व संकलन किया गया।
-वितरण हानियों की दर को घटाकर 14 फीसद के स्तर पर लाने में सफलता।
-पीडीएस योजना के तहत 4.28 करोड़ लागत की आरटी-डीएएस को स्वीकृति मिली।
उम्मीद-2020
-दून समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों में विद्युत लाइनों को भूमिगत करने पर रहेगा फोकस
-उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर और सौ फीसद डिजिटल मीटर से घरों को लैस करना इस वर्ष का प्रमुख टास्क रहेगा।
-लाइन लॉस रोकने के लिए वृहद स्तर पर किए जाएंगे प्रयास।
-इंसुलेटर और ट्रांसफार्मर की मरम्मत कर निर्बाध विद्युत आपूर्ति पर रहेगा फोकस।
-बिजली चोरी रोकने और लोगों को जागरूक करने को भी बनाई जाएगी योजना।
शायद इसबार मयस्सर हो 'अमृत'
पेयजल निगम की ओर से अमृत योजना के तहत किए जा रहे कार्यों में और तेजी लाने की दरकार है। निगम ने इसके लिए कमर भी कस ली है। साथ ही अन्य योजनाओं के अधिकांश कार्यों को भी 2020 में पूर्ण करने पर फोकस रहेगा। जो कार्य पूर्ण हो चुके हैं उन्हें जल संस्थान को हैंडओवर करने की प्रक्रिया में भी तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। निगम प्रबंधन की ओर से केंद्र की योजनाओं को समय पूरा करने की चुनौती तो है ही, नए कार्यों को समय पर शुरू करने की भी जिम्मेदारी है। प्रदेश में अभी पेयजल निगम अमृत, जेएनएनयूआरएम, स्वैप, नमामि गंगे, एनआरडीडब्ल्यूपी, जलमनि और पीएमजीवाई योजनाओं का निर्माण कार्य कर रहा है। जिनके तहत पंपिंग, वाटर सप्लाई, ट्यूबवेल, सीवरेज आदि के कार्य गतिमान हैं।
पेयजल लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से हजारों लीटर पानी रोजाना व्यर्थ बह जाता है। ऐसे में घरों में पानी की आपूर्ति भी बाधित होती है और जल संस्थान के ओवरहेड टैंक खाली हो जाते हैं। अब नए साल में जल संस्थान इस समस्या से निपटने के लिए कमर कस रहा है। मरम्मत कार्य में तेजी लाने के साथ ही जर्जर हो चुकी पेयजल लाइनों को बदलने के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल संस्थान के कर्मचारी धरातल पर ज्यादा सक्रिय रहेंगे। सूचना मिलते ही अविलंब लाइनों की मरम्मत कर पेयजल बर्बादी रोकी जाएगी।
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2019 में पूर्ण योजनाएं: 6210
2019 में प्राप्त बजट: 45.42 करोड़
2020 में पूर्ण की जाने वाली योजनाएं: 2005
2020 के लिए आवंटित बजट: 41.34 करोड़
लीकेज रोकने को कमर कसेगा जल संस्थान
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