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स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल ने खारिज किया संभागीय परिवहन प्राधिकरण का ऑटो में मीटर लगाने का आदेश

स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल ने ऑटो में किराया मीटर लगाने का संभागीय परिवहन प्राधिकरण की 20 फरवरी 2018 की बैठक में दिए आदेश को खारिज कर दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 09:13 AM (IST)
स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल ने खारिज किया संभागीय परिवहन प्राधिकरण का ऑटो में मीटर लगाने का आदेश

देहरादून, जेएनएन। ऑटो में किराया मीटर लगाने का संभागीय परिवहन प्राधिकरण की 20 फरवरी 2018 की बैठक में दिए आदेश को स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया है। प्राधिकरण की ओर से दून शहर समेत ऋषिकेश व हरिद्वार में चल रहे ऑटो के संबंध में यह आदेश दिए गए थे। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में बताया कि मोटल व्हीकल एक्ट-1988 के तहत कदम उठाने के लिए सरकार का अनुमोदन जरूरी है मगर परिवहन प्राधिकरण ने अनुमोदन के बिना ही अपना आदेश को लागू कर दिया। ट्रिब्यूनल ने अब एमवी एक्ट और उत्तराखंड मोटर व्हीकल रूल्स-2010 के तहत ऑटो की फिटनेस और परमिट का काम करने के आदेश दिए हैं। 

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शहर में ऑटो संचालकों की लूट-खसोट बंद करने के लिए परिवहन प्राधिकरण द्वारा जनहित में यह कदम उठाया गया था। साथ ही यह आदेश भी दिए गए थे कि एक मई 2018 से किराया मीटर के बिना ऑटो की फिटनेस और परमिट नवीनीकरण नहीं किए जाएंगे। इस फैसले के विरुद्ध ऑटो चालक सरकार के पास पहुंच गए और सरकार द्वारा एक मई से किराया मीटर की अनिवार्यता के आदेश को रोक दिया गया। बाद में विभाग की ओर से यह फैसला एक जुलाई-2018 से लागू कर दिया गया। हालांकि, मीटर की उपलब्धता न होने के कारण विभाग फिर से बैकफुट पर आ गया और इस परिस्थिति में ऑटो चालकों को दो-दो माह की अस्थायी फिटनेस दी जाती रही। इधर, इस बीच एक ऑटो संचालक राकेश कुमार अग्रवाल द्वारा स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल में फैसले के विरुद्ध अपील दाखिल की। मामले में एक साल से सुनवाई चल रही थी। 

सोमवार को ट्रिब्यूनल में अंतिम सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता कमल सिंह रावत ने प्राधिकरण का बचाव किया जबकि ऑटो संचालक की ओर से अधिवक्ता शिवा वर्मा ने दलीलें दीं। शिवा वर्मा ने दलील दी कि एमवी एक्ट के तहत परमिट पांच साल के लिए दिया जाता है लेकिन प्राधिकरण के आदेश के बाद परिवहन विभाग एमवी एक्ट का अनुपालन नहीं कर रहा। ऑटो चालकों को दो-दो महीने के अस्थायी फिटनेस और परमिट दिए जा रहे, जिससे उनका नुकसान हो रहा। प्राधिकरण चेयरमैन कहकशा खान ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमवी एक्ट का अनुपालन नहीं करने पर प्राधिकरण का किराया मीटर का आदेश निरस्त कर दिया।

दर-दर दौड़ते रहे ऑटो चालक

किराये की लूट-खसोट के मद्देनजर ऑटो में किराया मीटर लगाना अनिवार्य करने के जनहित से जुड़े फैसले के विरुद्ध दून ऑटो रिक्शा यूनियन के सदस्य दर-दर दौड़ते रहे और अब उनकी मंशा पूरी हो गई। वे कभी मंत्री, कभी विधायक, कभी सचिव के दर पर दस्तक देते रहे। किराया मीटर न लगाने के साथ ही वे डीजल ऑटो बंद न करने व किराया बढ़ाने की मांग भी कर रहे थे। जब किराया मीटर पर राहत न मिली तो वे स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल में चले गए।

डीलरों ने भी की मनमानी

ऑटो संचालकों का साथ वाहन डीलरों ने भी जमकर निभाया। विभाग के कड़े निर्देशों के बावजूद डीलरों ने मीटर उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा। विभाग ने सभी डीलरों को यह निर्देश दिया था, जिनकी कंपनी के ऑटो शहर में चल रहे हैं। अब विभाग की ओर से मीटर पर सख्ती की जा रही थी तो ट्रिब्यूनल का नया आदेश आ गया।

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गफलत में ना रहें ऑटो चालक

संभागीय परिवहन प्राधिकरण के सचिव आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने कहा कि जो आदेश ट्रिब्यूनल ने दिया है, उसमें यह नहीं है कि मीटर न लगाए जाएं। ट्रिब्यूनल ने यह कहा है कि एमवी एक्ट के अनुसार आदेश लागू किए जाएं। आदेश पर विधिक राय ली जा रही है और उसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।

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