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दो साल से लंबित राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव फिर टलने के आसार, जानिए क्या है वजह

राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव एक बार फिर टल सकते हैं। संघ के सदस्यों ने सर्वसहमति से सात-आठ अक्टूबर को हल्द्वानी में चुनाव प्रस्तावित किए थे। पिछले दो साल से शिक्षक संघ के चुनाव विवाद के कारण लंबित थे।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 03:22 PM (IST)
दो साल से लंबित राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव फिर टलने के आसार, जानिए क्या है वजह।

जागरण संवाददाता, देहरादून। पिछले दो साल से विवाद के कारण लंबित राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव एक बार फिर टल सकते हैं। संघ के सदस्यों ने सर्वसहमति से सात-आठ अक्टूबर को हल्द्वानी में चुनाव प्रस्तावित किए थे। इससे पहले एक अक्टूबर को माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी को वर्तमान सत्र 2021-22 की कार्यकारिणी, पिछले कार्यकाल की आडिट रिपोर्ट और कोरोना के बीच चुनाव करवाने के लिए प्रस्ताव दिया जाना था, लेकिन 30 सितंबर तक न तो संघ की आडिट रिपोर्ट तैयार हो सकी है न ही वर्तमान सत्र की सदस्यता सूची।

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संघ की कार्यकारिणी के लिए चार साल पहले 2017 नवंबर में चुनाव हुए थे। 2019 में कार्यकाल पूरा होने पर प्रांतीय कार्यकारिणी ने ब्लाक एवं जिला स्तर के चुनाव आयोजित करने को कार्यकाल छह माह और बढ़ा दिया था। इसके बाद कोरोना के कारण अब तक चुनाव नहीं हो पाए। इस बीच संघ के प्रांतीय महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला पर कई शिक्षकों ने इंटरनेट मीडिया समेत अन्य जगहों पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप भी लगाए। डा. माजिला का कहना है कि वह संघ के चुनाव को संघ के संविधान के अनुसार पारदर्शिता से करवाएंगे।

उन्होंने कहा कि पिछले सालों में कुमाऊं मंडल की कार्यकारिणी ने सदस्यता शुल्क अपने खाते में लेकर गबन किया है, जिसका कोई सदस्य संज्ञान लेने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि कई शिक्षकों ने वर्तमान सत्र और कुछ ने काफी सालों से सदस्यता शुल्क ही नहीं चुकाया है। मुझ पर कई लोग गलत आरोप एवं दबाव बना रहे हैं, लेकिन संविधान के हर नियम को ध्यान में रखते हुए ही चुनाव होंगे।

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कर्मचारी संघ के चुनाव स्थगित

उत्तराखंड राज्य चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के चुनाव अग्रिम आदेशों तक स्थगित किए गए हैं। अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा एसपी खाली ने गुरुवार को आदेश जारी कर अग्रिम आदेशों तक चुनाव स्थगित करने को कहा है। अपर निदेशक ने बताया कि पूर्व में संघ के प्रांतीय अधिवेशन के लिए चार और पांच अक्टूबर का समय दिया गया था, लेकिन कई लोग ने इस पर आपत्ति जताते हुए निदेशालय को पत्र भेजा है। कार्यकारिणी पर संविधान के नियमों के उल्लंघन का भी आरोप है। मामले की जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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