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सरकार की हां-ना में फंसकर रह गए शिक्षक, 'सेवावृद्धि' पुरस्कार के इंतजार में सेवानिवृत्त

उत्तराखंड में शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार सरकार की हां और ना के बीच फंसकर रह गए हैं और हालात ये हैं कि अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

By Edited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 02:22 PM (IST)
सरकार की हां-ना में फंसकर रह गए शिक्षक, 'सेवावृद्धि' पुरस्कार के इंतजार में सेवानिवृत्त
सरकार की हां-ना में फंसकर रह गए शिक्षक, 'सेवावृद्धि' पुरस्कार के इंतजार में सेवानिवृत्त

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार सरकार की हां-ना में फंसकर रह गए हैं। सरकार ने पुरस्कृत होने वाले शिक्षकों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्ष की सेवा वृद्धि देने का फैसला तो कर दिया, लेकिन पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों को भुला दिया। अब हालत ये है कि पुरस्कार के लिए चयनित 29 शिक्षकों में कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में उन्हें पुरस्कार मिल भी जाए तो अब सेवा विस्तार नहीं मिल सकेगा। वर्ष 2018 के शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए शिक्षा महकमे ने 29 शिक्षकों का चयन कर सूची शासन को भेजी, लेकिन अब अजीबोगरीब हालत होने से महकमा और शासन दोनों ही चक्कर खा रहे हैं। 

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दरअसल, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने पुरस्कार हासिल करने वाले शिक्षकों का सेवानिवृत्ति के बाद सेवाकाल दो वर्ष नहीं बढ़ाने के निर्देश महकमे को दिए थे। शिक्षा मंत्री ने सेवा वृद्धि के बजाय अन्य तरीके से प्रोत्साहन दिए जाने पर विचार करने की बात कही थी। उनका तर्क था कि दो वर्ष अतिरिक्त सेवाकाल की चाह में सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंचने वाले शिक्षकों में इस पुरस्कार को हासिल करने के लिए मारामारी रहती है। ऐसे में पुरस्कार शिक्षकों में उल्लेखनीय प्रदर्शन को लेकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा नहीं मिल रहा है। पुरस्कार के एवज में दो वर्ष की सेवावृद्धि नहीं मिलने का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया था। 
उनका कहना है कि उक्त प्रावधान के चलते शिक्षकों में सेवापर्यत बेहतर प्रदर्शन करने की इच्छाशक्ति बढ़ती है। बाद में शिक्षकों की मांग को मंजूर करते हुए मुख्यमंत्री ने दो वर्ष के सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी। सरकार की ना और हां के बीच लंबा फासला होने का नतीजा ये रहा कि शिक्षक दिवस पांच सितंबर तक शैलेश मटियानी पुरस्कारों को शासन की मंजूरी नहीं मिल पाई। अब पुरस्कृत किए जाने वाले शिक्षकों की सूची पहुंच तो गई, लेकिन इसमें ऐसे कई शिक्षक हैं, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस मामले में शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को दो वर्ष सेवावृद्धि दिए जाने को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली है। 
पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षक या प्रधानाचार्य, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनके प्रकरण देखे जाएंगे। सेवानिवृत्ति के बावजूद उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पुरस्कार मिलेगा। शैलेश मटियानी पुरस्कारों पर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर फैसला लिया जाएगा। 
29 शिक्षकों को मिलता है पुरस्कार शैलेश मटियानी पुरस्कार कुल 29 शिक्षकों को दिया जाता है। सभी 13 जिलों से प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर पर एक-एक शिक्षक, माध्यमिक स्तर पर के एक-एक शिक्षक यानी सरकारी विद्यालयों के कुल 26 शिक्षकों का शैलेश मटियानी पुरस्कार दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान से एक विशेषज्ञ शिक्षक और संस्कृत शिक्षा से दो शिक्षकों को उक्त पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार के लिए शिक्षकों के चयन को जिला स्तर पर समितियां गठित की गई थीं।

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