राज्य आंदोलनकारी त्रेपन सिंह चौहान का निधन, लंबे समय से थे बीमार
राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले त्रेपन सिंह चौहान का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार को दून में निधन हो गया।
देहरादून, जेएनएन। राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले त्रेपन सिंह चौहान का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार को दून में निधन हो गया। उनके निधन पर राज्य आंदोलनकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक जताया। त्रेपन सिंह चौहान ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया था। उन्होंने भाग की फांस, सृजन नवयुग, यमुना और हे ब्वारि उपन्यास लिखे। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य आंदोलन का एक सच यह भी नाम से लिखा विमर्श भी चर्चित रहा।
उपन्यास के साथ ही ‘सारी दुनिया मांगेंगे’जनगीत का संग्रह ने भी उन्हें खासी पहचान दिलाई थी। मूल रूप में केपार्स, बासर टिहरी के रहने वाले त्रेपन सिंह चौहान घनसाली चमियाला में रहते थे, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के बाद लंबे समय से देहरादून में थे। करीब चार साल से वे गंभीर रूप से बीमार थे। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि उनका यूं चले जाने से अपूरणीय क्षति हुई है।
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उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई। वे सामाजिक कार्यों में भी योगदान देते थे। कई बार राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैंण को लेकर रैली व आंदोलन में भी उन्होंने बढ़चढ़कर भाग लिया था। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने में कई राज्य आंदोलनकारी साथी दुनिया छोड़कर चले गए। सरकार को चाहिए कि दिवंगत राज्य आंदोलनकारियों के स्वजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करें।
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