लखवाड़ और किसाऊ बांध परियोजनाएं जल्द बनाई जाएं
विकासनगर नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन के सीनियर मैनेजर टनल विनोद अग्रवाल ने कहा कि किसाऊ और लखवाड़ बांध परियोजना के कार्य शीघ्र शुरू करने होंगे। उन्होंने कहा कि ग्लेशियर टूटने से बाढ़ और मलबे को बांध के सहारे ऊपरी हिस्से पर ह रोका जा सकेगा इससे नुकसान कम होगा।

जागरण संवाददाता, विकासनगर: नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन के सीनियर मैनेजर टनल व कोंकण रेलवे कारपोरेशन के अधिशासी निदेशक रह चुके विनोद अग्रवाल ने सरकार से लखवाड़ व किसाऊ बांध परियोजनाओं को जल्द बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को बचाने के लिए नदियों के ऊपरी बहाव क्षेत्रों में बड़े बांधों का निर्माण किया जाना जरूरी है। इससे ग्लेशियर टूटने और बाढ़ से आने वाले पानी और मलबे को ऊपरी क्षेत्रों में ही रोका जा सकेगा और नुकसान भी कम होगा। कई टनल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके विनोद कुमार अग्रवाल ने नगर में पत्रकार वार्ता भी की और कहा कि यमुना और टोंस घाटी को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए किसाऊ और लखवाड़ बांध का जल्दी निर्माण होना चाहिए।
मुंबई से आए टनल विशेषज्ञ व इंटरनेशन टनल एसोसिएशन के आजीवन सदस्य विनोद अग्रवाल ने गुरुवार को अपने गृह नगर विकासनगर में पत्रकारों से वार्ता में कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में हुई ग्लेशियर के नदी अवरोधन व त्रासदी समय-समय पर अन्य प्रांतों में भी हो चुकी है। उत्तराखंड में आने वाली आपदाओं से होने वाले जन, धन की हानि को रोकने के उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में इससे भी बड़ी आपदा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और शिमला में आई थी, जब तिब्बत में ग्लेशियर टूटने से सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ गया था। प्राकृतिक आपदा को आने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके लिए जिन नदियों पर जल विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं, उनके ऊपरी क्षेत्रों में सेटेलाइट से चौबीस घंटे निगरानी रखी जानी चाहिए, जिससे कोई भी प्राकृतिक हलचल होने पर निचले क्षेत्रों में सूचना जल्द मुहैया हो सके। इसके साथ ही बड़ी नदियों के ऊपरी बहाव क्षेत्र में बड़े बांधों का निर्माण किया जाना जरूरी है, जिससे पानी को रोकने के लिए बड़ी झील बन सके। यमुना और टोंस नदी घाटी में प्राकृतिक आपदा से जनधन की हानि को रोकने के लिए किसाऊ और लखवाड़ जल विद्युत परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू किया जाना जरूरी है। भविष्य की सुरक्षा को देखते हुए इन परियोजनाओं का विरोध नहीं किया जाना चाहिए। बताया कि वर्ष 2013 की आपदा में ऋषिकेश, हरिद्वार को बाढ़ से बचाने में टिहरी बांध की बड़ी भूमिका रही है, तब भागीरथी के बढ़े हुए जल स्तर को टिहरी बांध ने रोक लिया था। उन्होंने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि जब तक सुरंग की खुदाई पूरी न हो जाए, तब तक सुरंग निर्माण जोखिम भरा कार्य है। इस दौरान पूर्व पालिकाध्यक्ष नीरज अग्रवाल, नीरज ठाकुर व दिनेश अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
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