दून से ऋषिकेश शिफ्ट होगा श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का कार्यालय, पढ़िए पूरी खबर
अब श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का कैंप कार्यालय देहरादून में नहीं रहेगा बल्कि ऋषिकेश से ही चलेगा।
ऋषिकेश, जेएनएन। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीपी ध्यानी ने कहा कि विवि के ऋषिकेश कैंपस को मॉडल कैंपस के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने एलान किया कि विश्वविद्यालय का कैंप कार्यालय अब देहरादून में नहीं रहेगा, बल्कि ऋषिकेश कैंपस से ही विश्वविद्यालय की तमाम गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। पिछले सात साल में अभी तक विवि पीएचडी कार्यक्रम नहीं चल पाया है। अगले सत्र में इसे हर हाल में शुरू करने की योजना है।
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के कुलपति बनने के बाद शुक्रवार को पहली बार प्रो. पीपी ध्यानी ऋषिकेश कैंपस पहुंचे। उन्होंने कैंपस का निरीक्षण करने के बाद मीडिया से बातचीत की। कहा कि विश्वविद्यालय अभी नया है और इसकी तमाम व्यवस्थाओं को आकार दिया जाना है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश कॉलेज को छह अगस्त 2019 को विवि का कैंपस तो बना दिया गया है, मगर अभी इसमें अमूलचूक परिवर्तन किए जाने हैं, जिसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इस कैंपस को विश्वविद्यालय के मॉडल कैंपस के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कैंपस की क्षमताओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। कॉलेज का भवन, जमीन और अन्य संपत्ति को विश्वविद्यालय के नाम कराने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।
कॉलेज के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को विवि में रहने के विकल्प देने समेत तमाम कार्यों को अंजाम दिया जाना है। इसके लिए शासन से गाइड लाइन मांगी गई है। उन्होंने कहा कि वह व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के लिए कटिबद्ध हैं। कहा कि जल्द ही विश्वविद्यालय का शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा। जिसमें समय से परीक्षा और समय से रिजल्ट पर फोकस किया जा सके। परीक्षा प्रणाली की चुस्त-दुरुस्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों को अपनी कार्यशैली में परिवर्तन लाने के निर्देश दिए गए हैं।
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उन्होंने बताया कि विवि के अधीन अभी तक राजकीय और 115 निजी कालेज हैं, जबकि विवि में अधिकारियों तथा कर्मचारियों का ढांचा बेहद कम है। इसे सुदृढ़ बनाने की दिशा में भी काम किए जा रहे हैं। आने वाले समय में विवि की मान्यता संबंधी सभी कार्य ऑनलाइन हो जाएंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुधीर बुड़ाकोटी भी मौजूद थे।
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