श्रीदेव सुमन विवि : स्नातक और स्नातकोत्तर करने वाले छात्र-छात्राओं को नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर, अब डिजीलाकर से डाउनलोड करें उपाधियां
विवि की ओर से वर्ष 2020 की करीब सात हजार उपाधियों को डिजीलाकर में अपलोड कर दिया है। उपाधियों को प्राप्त करने के लिए छात्र-छात्राओं को अपने मोबाइल पर डीजी लाकर एप को डाउनलोड करना होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार डिजीलाकर से प्राप्त सभी उपाधियां मान्य हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से वर्ष 2020 में स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को उपाधि के लिए चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। विवि की ओर से वर्ष 2020 की करीब सात हजार उपाधियों को डिजीलाकर में अपलोड कर दिया है। छात्र-छात्राएं अपनी उपाधि को डिजीलाकर से डाउनलोड कर सकते हैं।
शुक्रवार को कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने इस संबंध में एक प्रेस बयान जारी किया। जिसमें कहा है कि उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत की ओर से छात्र हित में विश्वविद्यालयों में अनिवार्य रूप से डिजी लाकर की व्यवस्था शुरू किए जाने के लिए विभिन्न बैठकों में निर्देशित और प्रेरित किया गया था। जिसके अनुपालन में विवि को डिजीलाकर से जोड़ दिया गया है।
उपाधियों को प्राप्त करने के लिए छात्र-छात्राओं को अपने मोबाइल पर डीजी लाकर एप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद छात्र अपने अनुक्रमांक, आधार नंबर एवं नामांकन संख्या अंकित कर उपाधि का प्रिंट प्राप्त कर सकते हैं। इससे छात्र-छात्राओं को अपनी डिग्री के लिए विवि परिसर दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार डिजीलाकर से प्राप्त सभी उपाधियां मान्य हैं। वर्ष 2018 एवं 2019 और बाद में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की उपाधियां भी डिजीलाकर में अपलोड की जाएंगी। जिसके लिए विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक के नेतृत्व में तेजी से कार्य चल रहा है।
उपाधियों के पश्चात वर्ष 2020-21 के छात्र-छात्राओं की अंक तालिकाओं को भी डिजीलाकर में अपलोड किया जाएगा। विवि में डिजीलाकर की व्यवस्था लागू करने में परीक्षा नियंत्रक प्रो. एमएस रावत, कुलसचिव खेमराज भट्ट, सहायक परीक्षा नियंत्रक डा. बीएल आर्य, डा. हेमंत बिष्ट आदि सहयोग दे रहे हैं।
दून मेडिकल कालेज में छात्रों का होगा गोपनीय स्वस्थ सर्वेक्षण
वहीं दून मेडिकल कालेज में छात्रों के कथित मानसिक उत्पीडऩ के मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना को सौंप दी है। छात्रों ने इस मामले में उन्हें जानबूझकर फेल किए जाने का भी आरोप लगाया था। एक महिला प्रोफेसर और एक एसोसिएट प्रोफेसर पर उत्पीडऩ का आरोप लगाया था। कहा था कि इस कारण कई छात्र गहरे अवसाद में हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। इस पर कालेज प्रबंधन ने छात्रों के गोपनीय स्वस्थ सर्वेक्षण के निर्देश दिए हैं। यह स्वस्थ सर्वेक्षण विशेषज्ञों की ओर से किया जाएगा, ताकि जरूरत पडऩे पर छात्रों का उपचार कराया जाए।
प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि छात्रों को जानबूझकर फेल करने के आरोप में कोई सत्यता नहीं पाई गई। किसी भी छात्र को बिना वजह फेल करने का कोई औचित्य भी नहीं है। परीक्षा का संपूर्ण कार्यक्रम विश्वविद्यालय के निश्चित नियमों एवं प्रक्रिया के तहत होता है। परीक्षा में आधे से अधिक परीक्षक बाहर के कालेज और विवि व अन्य प्रदेशों से आते हैं। परीक्षक की ओर से दिए गए अंकों को परीक्षा समाप्त होते ही गोपनीय रूप से विवि को प्रेषित कर दिया जाता है।
लिखित परीक्षा की भी विवि स्तर पर केंद्रीयकृत मूल्यांकन व्यवस्था है। परीक्षाफल घोषित होने के बाद ही शिक्षकों और छात्रों को परिणाम की जानकारी मिलती है। इसलिए जानबूझकर किसी को फेल नहीं किया जा सकता है। वहीं छात्रों से दुर्व्यवहार के मामले में कमेटी ने कहा कि कुछ शिक्षक छात्रावास वार्डन भी हैं। वह छात्र हित में अनुशासन के लिए समय-समय पर नियमों का अनुपालन कराते हैं। इसके लिए कुछ छात्रों में असंतोष हो सकता है। किसी भी शिक्षक के मन में किसी भी छात्र के लिए कोई दुर्भावना नहीं है। प्राचार्य ने बताया कि रिपोर्ट जिलाधिकारी को भी भेजी जा रही है। स्वस्थ सर्वेक्षण का निर्णय छात्र हित में लिया गया है।