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    नमाज, जकात और हज की ही तरह रोजा भी फर्ज

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 10 May 2019 08:00 PM (IST)

    माह-ए-रमजान के पहले जुमे को अकीदत के साथ नमाज अदा की गई। मस्जिदों में खासी भीड़ रही और घरों में इफतारी के लिए विशेष पकवान बनाए गए।

    नमाज, जकात और हज की ही तरह रोजा भी फर्ज

    जागरण संवाददाता, देहरादून: माह-ए-रमजान के पहले जुमे को अकीदत के साथ नमाज अदा की गई। शुक्रवार को रमजान का पहला जुमा होने के चलते मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ी। नमाज से पहले माह-ए-रमजान की फजीलतें बताई और अहतमाम के साथ रोजे रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि नमाज-जकात व हज की ही तरह रोजा भी फर्ज है। नमाज के बाद पेश इमामों ने खुशहाली और भाई-चारे की दुआ कराई।

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    पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने अपनी तकरीर में कहा कि रजमान का पाक माह खुदा का है। इसी माह में कुरान पाक नाजिल हुआ। इस महीने में रोजा रखने से खुदा खुश होता है। इस महीने में अल्लाह से जन्नत तलब किया करें। कहा कि नबी पाक ने बंदों को चार काम की ताकीद की है। कलमा अस्तगफार कसरत से पढ़ा जाए। जहन्नुम से निजात मांगकर अल्लाह का जिक्र लोगों के बीच किया करें। गुनाहों से तौबा करें। शहर काजी के बयान के बाद खुतबा हुआ और नमाज पढ़ी गई।

    कंडोली स्थित साबरी मस्जिद में नायब सुन्नी शहर काजी सैय्यद अशरफ हुसैन कादरी ने कहा कि सभी को इस माह केवल अल्लाह की ईबादत करनी चाहिए। सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिए। मुस्लिम कॉलोनी स्थित मस्जिद में शहर मुफ्ती मोहम्मद सलीम अहमद ने कहा कि केवल ऐसे लोगों को रोजे छोड़ने की छूट है, जिसे ऐसी बीमारी हो, जिसके ठीक होने की उम्मीद हो। लेकिन उन्हें रोजे के बदले पौने दो किलो गेहूं या कीमत जरूरतमंदों को अदा करनी चाहिए। इसके अलावा गांधी ग्राम की गोसिया मस्जिद में मौलाना नुरूल हुदा, लोहिया नगर की रजा मस्जिद में मौलाना फिरोज ने नमाज अदा कराई और दुनिया में खुशहाली व भाई-चारे की दुआ कराई। नमाज में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गो ने भाग लिया और सभी ने एक-दूसरे को रमजान की मुबारकबाद दी।

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    घरों में बने विशेष पकवान

    इफ्तार के लिए घरों में विशेष पकवान बनाए गए। शाम को रोजेदारों ने पानी और खजूर से रोजा खोल अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। वहीं, रात को इशा के बाद तरावीह की नमाज अदा की गई। घरों में महिलाएं कुरान पाक की तिलावत कर और नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत में मशगूल रहीं। बाजारों में भी फल, खजूर और अन्य सामग्री की खरीदारी को भीड़ रही।

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