उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बीच उभरे नाराजगी के सुर पर बोले प्रदेश अध्यक्ष, सभी विधायक एकजुट
भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बीच नाराजगी के सुर भी उभर रहे हैं। दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुने जाने के फैसले से पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक नाराज बताए जा रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बीच नाराजगी के सुर भी उभर रहे हैं। दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुने जाने के फैसले से पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें कुछ पिछली तीरथ व त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री रहे वे विधायक हैं, जो कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं और पिछले कुछ वर्षों के दौरान भाजपा में आए हैं। साथ ही भाजपा पृष्ठभूमि के मंत्री रह चुके कुछ वरिष्ठ विधायक भी इनमें शामिल हैं। नेता चयन से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछली सरकारों में मंत्री रहे दो नेताओं को फोन भी किए। हालांकि, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मदन कौशिक ने साफ किया कि कहीं भी किसी तरह की नाराजगी नहीं है। सभी विधायक एकजुट हैं और सभी देहरादून में ही मौजूद हैं।
प्रदेश अध्यक्ष के सामने रख दी है अपनी बात- चुफाल
तीरथ सरकार में पेयजल मंत्री रहे बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के सामने अपनी बात रख दी है। उन्होंने कहा कि अपनी बात रखना उनका अधिकार है। वहीं, दूसरी ओर नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने चुफाल को मनाने के लिए उनके देहरादून के यमुना कॉलोनी में स्थित आवास में मुलाकात की।
उपचुनाव को लेकर संवैधानिक अड़चन को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने तीन दिन पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की विदाई की पटकथा लिख दी थी। तीरथ ने बीते रोज अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने यह तय किया था कि इस बार सिटिंग विधायकों में से ही नेता चुना जाएगा। नए नेता के चुनाव के लिए शनिवार को केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में जब पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगी तो कुछ वरिष्ठ विधायकों में नाराजगी के भाव देखे गए।
नए मुख्यमंत्री के लिए त्रिवेंद्र और तीरथ सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे सतपाल महाराज व डा हरक सिंह रावत के नाम भी चर्चा में थे। विधायक दल की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद ये प्रदेश भाजपा कार्यालय से चले गए। इसे नेता चयन के मामले में नाराजगी से जोड़कर देखा गया। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डा हरक सिंह रावत व सतपाल महाराज को फोन भी किए। हरक सिंह रावत ने उन्हें शाह का फोन आने की पुष्टि की, जबकि सतपाल महाराज से इसकी पुष्टि के लिए संपर्क नहीं हो पाया।
दरअसल, महाराज और हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में कद्दावर माने जाते हैं। दोनों ही उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के पहले से राजनीति में हैं। सतपाल महाराज केंद्र में राज्य मंत्री रह चुके हैं, जबकि हरक सिंह रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। वर्ष 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने पर इन्हें खासे वजनदार मंत्रालय दिए गए थे।
चर्चा है कि ये लोग भाजपा नेतृत्व के स्तर से स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य विधायकों को भी धामी के नेता चुने जाने का फैसला रास नहीं आया है। इंटरनेट मीडिया में शनिवार देर रात यह चर्चा काफी तेजी से चली कि कुछ विधायकों ने अलग बैठक भी की, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। चर्चा इस बात की भी रही कि शपथ ग्रहण के दौरान ये लोग अपनी नाराजगी भी जाहिर कर सकते हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और कहीं भी किसी प्रकार की नाराजगी का भाव नहीं है। सभी विधायक एकजुट हैं। युवा मुख्यमंत्री मिला है। सभी उनके नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और भाजपा फिर से सरकार बनाएगी।
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