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    Solar eclipse 2022 : सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा सूतक, बंद रहेंगे उत्‍तराखंड के चारधाम

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 23 Oct 2022 11:23 AM (IST)

    Solar eclipse 2022 सूर्य ग्रहण पर 25 अक्टूबर को 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाएगा। 25 अक्टूबर को चारधाम बदरीनाथ केदारनाथ गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित सभी छोटे-बड़े मंदिर बंद रहेंगे। इस दौरान श्रद्धालुओं को दर्शनों की अनुमति नहीं होगी।

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    Solar eclipse 2022 : श्रद्धालुओं को दर्शनों की अनुमति नहीं होगी।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून : Solar eclipse 2022 : उत्तराखंड में सूर्य ग्रहण के दौरान 25 अक्टूबर को चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित सभी छोटे-बड़े मंदिर बंद रहेंगे। संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने यह जानकारी दी।

    25 अक्टूबर को 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाएगा

    संस्कृति मंत्री के अनुसार सूर्य ग्रहण पर 25 अक्टूबर को 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए सुबह चार बजकर 26 मिनट पर ग्रहण से ठीक पहले चारधाम में मंदिर बंद हो जाएंगे। इस दिन शाम पांच बजकर 32 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा।

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    सभी मंदिर बंद रहेंगे

    इस दौरान सभी मंदिर बंद रहेंगे। उन्होंने बताया कि ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों में साफ-सफाई के कार्य और सांयकाल को अभिषेक तथा शयन पूजा और आरती संपन्न होगी। इस दौरान श्रद्धालुओं को दर्शनों की अनुमति नहीं होगी।

    यह भी पढ़ें : Surya Grahan 2022: 27 साल बाद दिवाली पर सूर्य ग्रहण, जानिए सूतक काल और शहर के हिसाब से ग्रहण का समय

    वैदिक मंत्रों के बीच शीतकाल के लिए बंद हुए भैरवनाथ के कपाट

    केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। केदारनाथ के कपाट बंद होने से पहले मंगलवार या शनिवार को भैरोनाथ के कपाट बंद होने की परंपरा है।

    भोले बाबा की पूजा-अर्चना कर भोग लगाया

    शनिवार को केदारनाथ के मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने दोपहर ठीक 12 बजे केदारनाथ मंदिर में भोले बाबा की पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। इसके बाद लगभग एक बजे केदारनाथ के मुख्य पुजारी, तीर्थ पुरोहित एवं बदरी-केदार मंदिर समिति के कर्मचारियों के साथ केदारपुरी की पहाड़ी में बसे भैरवनाथ मंदिर पहुंचे, जहां भैरवनाथ के कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गई।

    केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाते हैं भैरवनाथ

    केदारनाथ पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने भैरवनाथ मंदिर में पाषाण मूर्तियों का दूध व घी से अभिषेक किया तथा वेदपाठी एवं तीर्थपुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया। मंदिर में करीब दो घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद ठीक तीन बजे भगवान भैरवानाथ के कपाट पौराणिक रीतिरिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। भैरवनाथ को भगवान केदारनाथ के रक्षक के रूप में यहां पूजा जाता है।