मानसून में पश्चिमी विक्षोभ से चोटियों ने ओढ़ी सफेद चादर, मौसम के बदले मिजाज से विज्ञानी भी हैरान
उत्तराखंड में मानसून के बीच मौसम ने करवट बदली है। गंगोत्री और बद्रीनाथ जैसी ऊंची चोटियों पर हिमपात शुरू हो गया है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में गिरावट आई है। अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश हुई और मानसून में अब तक 25% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पिछले दो दिनों में चोटियों पर हिमपात हुआ है जो पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने का नतीजा है।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में मानसून का सितम जारी है और लगातार भारी वर्षा का सिलसिला बना हुआ है। इस बीच मौसम चौंकाने वाले रंग भी दिखा रहा है। गंगोत्री और बदरीनाथ समेत ऊंची चोटियों पर हिमपात के दौर शुरू हो गए हैं।
दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच पश्चिमी विक्षोभ के व्यापक प्रभाव के कारण पहाड़ों में पारा लुढ़कने से सितंबर की शुरुआत में भी बर्फबारी हो गई। आमतौर पर अक्टूबर मध्य के बाद यह परिस्थितियां बनती हैं, लेकिन इस बार मौसम के बदले मिजाज से मौसम विज्ञानी भी हैरान हैं।
बीते कुछ दिनों से लगातार वर्षा
प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से लगातार वर्षा हो रही है। बीते अगस्त में बादल सामान्य से डेढ गुना बरसे। इसके बाद सितंबर में भी भारी बारिश का सिलसिला जारी है। पूरे मानसून सीजन में ही अब तक सामान्य से 25 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है।
इस बार बारिश का पैटर्न असमान रहा, कुछ जिलों में रिकार्ड तोड़ बारिश हुई, तो कुछ में सामान्य से भी कम वर्षा दर्ज की गई। इसके साथ ही ग्रीष्मकाल में हुई सामान्य से अधिक बारिश के कारण भी प्रदेशभर में तापमान भी लगातार सामान्य या उससे कम बना रहा।
अब बीते करीब पांच दिन से रुक-रुककर लगातार हो रही बारिश के बीच ज्यादातर क्षेत्रों में पारे ने गोता लगाया और छह से 10 डिग्री सेल्सियस तक की कमी दर्ज की गई। अब बीते दो दिन से चोटियों पर हिमपात का दौर भी शुरू हो गया है।
तापमान में गिरावट
दरअसल, उत्तराखंड समेत उत्तरी हिमालयी क्षेत्र में दक्षिण पश्चिम मानसून के साथ पश्चिमी विक्षोभ के साइक्लोनिक सर्कुलेशन के रूप में सक्रिय होने से सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है और तापमान में गिरावट बनी है।
छह हजार मीटर की ऊंचाई पर वर्षभर हिमपात के दौर होते हैं। हिमालयी क्षेत्र में तापमान शून्य या उससे कम होने के कारण बर्फबारी के अनुकूल परिस्थितियां रहती हैं। बीते दो दिन में पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर भी हिमपात हुआ है। जो कि मानसून में पश्चिमी विक्षोभ के अति सक्रिय होने का नतीजा है। तापमान के शून्य डिग्री सेल्सियस के नीचे पहुंच जाने के कारण बारिश की बूंदें बर्फ के रूप में गिरी हैं। आमतौर पर पांच हजार मीटर या उससे कम ऊंचाई पर हिमपात अक्टूबर के बाद ही दर्ज किया गया है। - रोहित थपलियाल, मौसम विज्ञानी
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