Updated: Sun, 07 Sep 2025 03:00 AM (IST)
देहरादून प्रदेश सरकार अब उच्च शिक्षा संस्थानों में पारंपरिक शिक्षा के साथ कौशल विकास प्रशिक्षण को भी अनिवार्य करेगी। इसके लिए हर कॉलेज में मल्टी-स्किल सेंटर की स्थापना की जाएगी। सरकार युवाओं के कौशल विकास और रोजगार नीति पर विशेष ध्यान दे रही है। कालेजों में भाषा और सूचना प्रौद्योगिकी कौशल को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले सरकारी कॉलेजों में बुनियादी सुविधाएँ जुटानी होंगी।
अशोक केडियाल, देहरादून। प्रदेश सरकार अब उच्च शिक्षा संस्थानों में पारंपरिक शिक्षा के साथ कौशल विकास प्रशिक्षण को भी अनिवार्य करने जा रही है। इसके लिए हर कॉलेज में मल्टी-स्किल सेंटर की स्थापना करने की जाएगी। इससे युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
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सरकार के स्तर से युवाओं के कौशल विकास और रोजगार नीति पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इसके तहत कालेजों में मल्टी स्किल सेंटर स्थापित करने की तैयारी चल रही है। इनमें भाषा और सूचना प्रौद्योगिकी कौशल को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही छात्रों को नियमित पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का भी अवसर मिलेगा।
पहले सरकारी कॉलेजों में जुटानी होगी बुनियादी सुविधा
प्रदेश के श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, कुमाऊं विवि और सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा में इस समय एक लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। तीनों राज्य विवि से राज्य के 119 राजकीय महाविद्यालय संबद्ध हैं। इन संबद्ध सरकारी कालेजों में से 45 कालेजों के पास अपने भवन तक नहीं हैं।
कई जगह प्रयोगशाला और पुस्तकालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। ऐसे में पहले यहां पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लानी होगी।
उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग जैसे दूरस्थ जनपदों में पढ़ने वाले ग्रामीण छात्रों को कौशल विकास से जोड़ने के लिए सबसे पहले इन कालेजों के आसपास इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित करना जरूरी है। ये सेंटर न केवल विद्यार्थियों को प्रशिक्षण से जोड़ेंगे बल्कि उन्हें नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति से भी परिचित कराएंगे।
पारंपरिक शिक्षा के साथ हर कॉलेज में मल्टी स्किल सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जिसमें भाषा कौशल, सूचना प्रौद्योगिकी कौशल एवं अन्य तकनीकी कौशल को भी प्रारंभ करने की समग्र योजना बनने की योजना है। -डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री।
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