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आपातकालीन सेवा 108 को छह माह का और एक्सटेंशन, मरीजों को राहत

उत्‍तराखंड सरकार ने 108 आपातकालीन सेवा को छह माह का और एक्सटेंशन दे दिया है। इससे मरीजों ने राहत की सांस ली है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 10:33 AM (IST)
आपातकालीन सेवा 108 को छह माह का और एक्सटेंशन, मरीजों को राहत
आपातकालीन सेवा 108 को छह माह का और एक्सटेंशन, मरीजों को राहत

देहरादून, [जेएनएन]: राज्य सरकार ने 108 आपातकालीन सेवा को छह माह का और एक्सटेंशन दे दिया है। इससे 108 सेवा और मरीजों, दोनों ने राहत की सांस ली है। यह भी निर्णय लिया गया है कि इस अंतराल में नए टेंडर भी साथ-साथ कराए जाएंगे।

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बता दें कि 8 मार्च 2008 को उत्तराखंड में 108 सेवा का संचालन शुरू किया गया था। उस समय दस साल के लिए प्रदेश सरकार से जीवीके ईएमआरआई से करार किया गया था। वर्तमान में 108 सेवा के पास 139 एंबुलेंस हैं, जबकि 95 खुशियों की सवारी भी अस्पतालों से गर्भवतियों को घर छोड़ने के काम में जुटी हैं। इसी वर्ष 8 मार्च को कंपनी का सरकार के साथ दस साल का करार खत्म हो गया था। जिसके बाद सरकार ने कंपनी को छह माह का एक्सटेंशन दे दिया था।

आगामी सात सितंबर को छह माह का एक्सटेंशन पूरा होने जा रहा है। इस बीच बजट में बार-बार उत्पन्न व्यवधान के कारण कंपनी ने आगे काम करने की अनिच्छा जता दी थी। दैनिक जागरण ने यह मामला प्रमुखता से उठाया था। आगाह किया था कि इस स्थिति में प्रदेशभर में 108 के पहिये थम सकते हैं। जिसके बाद सरकार व शासन हरकत में दिखाई दिए। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने एक बार फिर 108 सेवा को एक्सटेंशन दे दिया है।

ऐसे में 8 सितंबर से संभावित किसी भी तरह के संकट को भी सरकार ने छह माह के लिए टाल दिया है। वहीं, सरकार के निर्णय से जीवीकेईएमआरआई में कार्यरत करीब 850 कर्मचारियों को भी बड़ी राहत मिली है।

अब उत्तराखंड में सभी को मुफ्त चिकित्सा

राज्य के सभी परिवारों को मुफ्त चिकित्सा सुरक्षा लाभ देने का रास्ता साफ हो गया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने सोमवार को अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को मंजूरी दी। अलग उत्तराखंड राज्य के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर आयुष्मान योजना का नामकरण किया गया। इस योजना में राज्य के करीब 26 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये प्रति परिवार मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिलेगी। वहीं 2.60 लाख राजकीय कार्यरत व सेवारत कार्मिकों और उनके आश्रितों को असीमित स्तर पर बीमा कवर मिलेगा। अन्य महत्वपूर्ण फैसले में राज्य में 108 आपातकालीन सेवा की अवधि में छह माह का विस्तार किया है। इससे आपातकालीन सेवा को टेंडर प्रक्रिया के चलते बाधित नहीं होना पड़ेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में तोहफे के बीच मंत्रिमंडल ने सरकारी कार्मिकों और शिक्षकों को झटका भी दिया। अब सरकारी कार्मिकों को प्रतिकूल प्रविष्टि मिली तो पदोन्नति पर बुरा असर पड़ेगा। एक वर्ष के लिए पदोन्नति रुकना तय हो जाएगा। वहीं दस या इससे कम छात्रसंख्या के चलते 2716 राजकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखा दी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल की सोमवार को सचिवालय में हुई बैठक में डेढ़ दर्जन बिंदुओं पर फैसले लिए गए। बैठक में सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोक प्रस्ताव मंत्रिपरिषद को पढ़कर सुनाया। इसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित आयुष्मान योजना को मंजूरी दी गई। इस योजना के तहत राज्य में निवास करने वाले परिवारों को जो किसी अन्य राजकीय स्वास्थ्य बीमा योजना से आच्छादित नहीं हैं, को पांच लाख रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष के अनुसार चिकित्सा सुरक्षा मिलेगी। आयुष्मान उत्तराखंड में चिकित्सा उपचार को 1350 प्रकार के रोग को सम्मिलित किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों को निर्धारित पैकेज दर पर दस फीसद की अतिरिक्त वृद्धि करते हुए उपचार पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके अतिरिक्त राज्य में स्थित उच्च व विशेषज्ञ सुविधायुक्त चिकित्सालयों के लिए भी पैकेज दर में दस फीसद की वृद्धि के मुताबिक प्रतिपूर्ति की जाएगी।

ट्रस्ट पद्धति पर संचालित होगी आयुष्मान योजना

प्रदेश में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को ट्रस्ट पद्धति के तहत संचालित किया जाएगा। इसके तहत राज्य स्तर पर एक हेल्थ सोसायटी का गठन किया जाएगा। यही एजेंसी इस योजना के तहत इलाज का भुगतान करेगी। योजना के सफल संचालन के लिए आयुष्मान मित्रों की भी तैनाती की जाएगी तो मरीज के उपचार के दौरान सभी प्रकार का सहयोग प्रदान करेंगे। राज्य के सभी परिवारों को निशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना लागू कर रही है। इस योजना को ट्रस्ट पद्धति के जरिये चलाया जाएगा। दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में इसी पद्धति से स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जा रही हैं। पद्धति के तहत राज्य स्तरीय हेल्थ सोसायटी का गठन किया जाएगा। अपर सचिव चिकित्सा इसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर तैनात रहेंगी। इसी सोसायटी के अंतर्गत इलाज के भुगतान के संबंधी सभी प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा। इस योजना में यह स्पष्ट किया गया है कि योजना का लाभ तब दिया जाएगा जब पात्र सदस्य उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हो। इसमें विशेष यह है कि भर्ती होने से तीन दिन पूर्व मरीज द्वारा की गई समस्त जांच का भुगतान भी इस योजना के अंतर्गत दिया जाएगा। निजी अस्पतालों में आयुष्मान मित्रों की तैनाती की जाएगी। जो लाभार्थियों का चयन करने के साथ ही उनके फोटो-वीडियो आदि समय-समय पर सोसायटी को प्रेषित करेंगे। इन्हें आउटसोर्स के जरिये तैनात किया जाएगा। राज्य कर्मचारियों व सेवानिवृतों के लिए इस योजना को चलाने के लिए कुछ शुल्क लिया जाएगा। लेवल एक से पांच तक के राजकीय कर्मचारियों से 100 रुपये प्रति माह, लेवल छह अथवा इसके समतुल्य कर्मचारियों से 200 रुपये प्रति माह, लेवल सात से 11 व इसके समतुल्य अधिकारियों से 300 रुपये प्रतिमाह व लेवल 12 एवं उच्चतर अधिकारियों से 400 रुपये प्रतिमाह का अनिवार्य योगदान लिया जाएगा। राजकीय सेवानिवृत कर्मचारियों से 200 रुपये प्रतिमाह की अनिवार्य योगदान राशि ली जाएगी। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि योजना के लिए चिकित्सालयों को सूचीबद्ध करने का काम चल रहा है।

कैबिनेट के प्रमुख फैसले: 

-विधानसभा का आगामी सत्र 18, 19, 20 व 24 सितंबर को होगा आहूत 

-उत्तराखंड पदोन्नति नियमावली 2016 में संशोधन को मंजूरी, लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर पदों पर पदोन्नति में प्रतिकूल प्रविष्टि से पड़ेगा बुरा असर 

-दस या कम छात्रसंख्या वाले 2716 विद्यालयों पर बंदी का खतरा, नजदीकी विद्यालयों में विलय को मिली मंजूरी 

-उत्तराखंड राज्य में लागू उत्तरप्रदेश शीरा नियंत्रण, 1964 (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2002) की धारा16 में संशोधन पर मुहर, शीरा के गलत इस्तेमाल पर जुर्माना राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये 

-चकबंदी किए गए क्षेत्रों में कम भूमि की खरीद को वैधानिक मान्यता देने को वर्तमान सर्किल रेट का दस फीसद शुल्क रखने को मंजूरी -उत्तराखंड चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी सेवा नियमावली पर लगी मुहर -राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी की व्यवस्था बनाए रखने को एसएलपी दायर किए जाने पर मंत्रिमंडल की भूमिका 

-राज्य में एथेनाल पर देय परिमट शुल्क समाप्त, एक लीटर पर नहीं देना पड़ेगा 1.10 रुपये 

-राष्ट्रीय खेल विकास संहिता को मंजूरी, खेल व युवा कल्याण महकमे के एकीकरण पर भरी हामी 

-रेनको इनर्जी एंड प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को व्यावसायिक विश्वविद्यालय की स्थापना को मिली अनुमति एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाई 

-कार्बेट नेशनल पार्क के गुर्जर के विस्थापन को वन मंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित -आपातकालीन सेवा 108 को छह माह का विस्तार, टेंडर प्रक्रिया के चलते उठाया कदम 

फार्मा कंपनियों को लाइसेंस जारी करने का खुला रास्ता

कैबिनेट ने फार्मा कंपनियों के लाइसेंस जारी करने के साथ ही इनके काम करने का रास्ता फिर खोल दिया है। दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश में मेडिशनल एंड टॉयलेट प्रिप्रेशन एक्ट 1955 को समाप्त कर दिया था। इस एक्ट में फार्मा कंपनियों के संचालन की व्यवस्था भी थी। एक्ट समाप्त होने के चलते एक जुलाई से इनके लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहे थे। इसके लिए आबकारी नियमावली में संशोधन किया गया है। फार्मा कंपनियों को चलाने में खासी दिक्कतें आ रही थी। इसे देखते हुए कैबिनेट ने आबकारी नीति में संशोधन करते हुए इसके जरिये लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया है। सोमवार को हुई कैबिनेट में आबकारी महकमे से संबंधित तीन मसले उठाए गए। इसमें सबसे अहम एमएनटीपी एक्ट 1955 था। इस एक्ट के तहत जिन उत्पादों में एल्कोहल का इस्तेमाल होता था उन्हें इसके लिए एक्साइज शुल्क भी देना होता था। इसी एक्ट के जरिये यह उत्पाद बनाने वाली कंपनियां संचालित भी होती थी। देश में जीएसटी लागू होने के बाद इस एक्ट को समाप्त कर दिया गया। तब यह माना गया कि चूंकि मामला टैक्स का ही है ऐसे में इस एक्ट का कोई औचित्य नहीं है। जब इसे समाप्त किया गया तब इसका नुकसान सामने आया। इसे देखते हुए कैबिनेट में आबकारी नीति में ही इसे शामिल करने का निर्णय लिया गया। अपर मुख्य सचिव आबकारी डॉ. रणवीर सिंह ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि अब यह अब आबकारी नीति में इस तरह के लाइसेंस देने का प्रावधान किया गया है। इथेनॉल से शुल्क किया समाप्त प्रदेश सरकार ने अपेय इथेनॉल (अल्कोहल) ट्रांसपोर्ट से शुलक हटा दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद शासन ने यह कदम उठाया है। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से इस समय इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल पर जोर दिया जा रहा है। यह राष्ट्रीय बायोफ्यूल कार्यक्रम का भी अहम हिस्सा है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल में पेट्रोल के साथ ही पांच से दस प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता है। इस इथेनॉल पर केंद्र ने टैक्स हटा दिया था लेकिन उत्तराखंड में 1.10 रुपये प्रति बल्क लीटर के हिसाब से इस पर टैक्स वसूला जा रहा था। पेट्रोलियम कंपनियों के अनुरोध व केंद्र के निर्देश के बाद अब यह टैक्स हटा दिया गया है। शीरे में जुर्माने की सीमा बढ़ाई कैबिनेट ने शीरा नियंत्रण अधिनियम का उल्लंघन करने पर दंड की सीमा को पांच हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है। दरअसल, शीरे का बहुत कम इस्तेमाल शराब बनाने में होता है शेष शीरा बेकार जाता है। इसका नियंत्रण सरकार पर रहता है लेकिन कई बार अवैध रूप से इसका इस्तेमाल खराब शराब बनाने के लिए हो रहा था। इसे देखते हुए अब इसके जुर्माने की सीमा बढ़ा दी गई है। वित्तीय प्रबंधन को स्टीयरिंग कमेटी कैबिनेट ने राज्य में लोक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण योजना के तहत दो इकाइयों स्टीयरिंग कमेटी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को मंजूरी दी।

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