अमीरों को छात्रवृत्ति बांटने पर एसआइटी खामोश, जानिए वजह
छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपों से घिरे 350 छात्र-छात्राओं के प्रकरण पर एसआइटी ने खामोशी साध रखी है।

देहरादून, जेएनएन। दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपों से घिरे 350 छात्र-छात्राओं के प्रकरण पर एसआइटी ने खामोशी साध रखी है। इस मामले में आरटीआइ से मिले पुख्ता दस्तावेज एसआइटी को सौंपे जा चुके हैं। मगर, डोईवाला में एक मुकदमे के सिवाय अधिकांश मामलों पर पर्दा डाला जा रहा है। इसके पीछे शासन और सरकार तक ऊंची पहुंच रखने वालों का डर बताया जा रहा है। यही कारण है कि एसआइटी इन प्रकरणों पर हाथ नहीं डाल रही है।
देहरादून के 15 सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में पढ़े 350 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने फर्जी दस्तावेजों से छात्रवृत्ति प्राप्त की है। आरटीआइ में हुए खुलासे में इनके परिजन सरकारी सेवा में कार्यरत हैं और आयकर देते हैं। बावजूद इसके छात्रवृत्ति के लिए आय कम दिखाई गई। 2012 से 2017 के बीच मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि प्रोफेशनल कोर्स करने वाले छात्र-छात्राओं की पूरी जानकारी एसआइटी के पास मौजूद है। इस मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता की शिकायत पर एक मुकदमा डोईवाला में दर्ज हुआ था। मगर, इसके बाद इस प्रकरण पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है।
सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से ऐसे छात्र-छात्राओं के खिलाफ फिर से पुख्ता जानकारी सामने आने लगी है। इसमें छात्रवृत्ति के लिए न केवल छात्र-छात्राओं ने बल्कि परिजनों ने भी फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाए हैं। यदि इन प्रमाण पत्रों की जांच हुई तो छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने वालों का पर्दाफाश हो जाएगा।
डोईवाला मुकदमे में चार्जशीट की तैयारी
एसआइटी सूत्रों का कहना है कि डोईवाला में दर्ज मुकदमे की जांच पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी जा चुकी है। एसएसपी की तरफ से चार्जशीट देने की अनुमति मिलनी बाकी है। इसके बाद इस मुकदमे में चार्जशीट लग जाएगी।
एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी का कहना है कि एसआइटी पारदर्शिता के साथ जांच कर रही है। अभी हरिद्वार में कार्रवाई चल रही है। जल्द दून के कॉलेजों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी है। इसके लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं। जांच में समय लगता है। ऐसे में सवाल उठाने गलत हैं।
शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन में उलझी एसआइटी
फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों की जांच कर रही एसआइटी प्रमाण पत्रों के सत्यापन में उलझ गई है। पौने दो साल से चल रही जांच में 67 शिक्षकों के खिलाफ मुकदमे की संस्तुति हो चुकी है। मगर, छह माह से जांच आगे न बढऩे से सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट आने में देरी से जांच धीमी हुई है।
सरकार ने जून 2017 में फर्जी डिग्री से शिक्षक बनने वालों की जांच सीबीसीआइडी की एसआइटी को सौंपी थी। इस मामले की जांच करीब डेढ़ साल तक एएसपी श्वेता चौबे के नेतृत्व में की गई। करीब 20 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराने के बाद एसआइटी ने डेढ़ साल के भीतर 66 से ज्यादा शिक्षकों के खिलाफ मुकदमे की संस्तुति की गई। इस दौरान जांच से दहशत में आए कई फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक स्कूल छोड़ कर चले गए थे।
जबकि कुछ ने वीआरएस ले लिया। मगर, एएसपी श्वेता चौबे का ट्रांसफर होने के बाद एसआइटी धीमी पड़ गई है। छह माह के भीतर एक शिक्षक के खिलाफ ही मुकदमे की संस्तुति की गई। जबकि अभी 20 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्रों का सत्यापन होना है। ऐसे में जांच कराने में दो साल से ज्यादा का समय लग सकता है। इस मामले में सीबीसीआइडी के अधिकारियों का कहना है कि प्रमाणपत्रों का सत्यापन जारी है। उप्र समेत अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय से जांच रिपोर्ट न मिलने से कार्रवाई लटकी पड़ी है। सत्यापन रिपोर्ट मिलते ही इस तेजी लाई जाएगी। हालांकि, जांच कब तक पूरी होगी, इस पर अधिकारी कुछ कहने से बच रहे हैं।

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