Uttarakhand: पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ SIT जांच शुरू, एसपी क्राइम सर्वेश पंवार जांच अधिकारी नियुक्त
आरोप है कि बीएस सिद्धू ने वर्ष 2012 में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक पद पर रहते हुए राजपुर रोड स्थित वीरगिरवाली आरक्षित वन भूमि में धोखाधड़ी से भूमि खरीदी थी। इसके लिए उक्त भूमि से साल के 25 पेड़ों को भी कटवाया था। प्राथमिक जांच के बाद वन विभाग ने 22 अक्टूबर 2022 को राजपुर थाने में सिद्धू समेत आठ आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया था।

देहरादून, जागरण संवाददाता। सेवानिवृत्त डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बीएस सिद्धू के विरुद्ध एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) ने जांच शुरू कर दी है। एसपी क्राइम सर्वेश पंवार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। शासन से जांच के आदेश मिलने के बाद उन्होंने टीम तैयार कर ली है। इस टीम में सीओ ट्रैफिक अनुज और इंस्पेक्टर गिरीश चंद शर्मा को शामिल किया गया है। टीम जल्द मामले में शिकायकर्ता वन अधिकारी और आरोपी पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के बयान दर्ज करेगी।
पूर्व डीजीपी पर क्या है आरोप
आरोप है कि बीएस सिद्धू ने वर्ष 2012 में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक पद पर रहते हुए राजपुर रोड स्थित वीरगिरवाली आरक्षित वन भूमि में धोखाधड़ी से भूमि खरीदी थी। इसके लिए उक्त भूमि से साल के 25 पेड़ों को भी कटवाया था। प्राथमिक जांच पूरी करने के बाद वन विभाग ने 22 अक्टूबर 2022 को राजपुर थाने में सेवानिवृत्त डीजीपी बीएस सिद्धू समेत आठ आरोपितों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया था।
एसपी क्राइम सर्वेश पंवार ने तैयार की अपनी टीम
शुरुआत में इस मुकदमे की जांच तत्कालीन सीओ मसूरी ने की थी, लेकिन उन्होंने मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी को सौंपने की बात कहते हुए फाइल मुख्यालय भेज दी थी। हालांकि, कुछ दिन बाद मामले की फाइल फिर से जिला पुलिस के पास आ गई। पिछले सप्ताह शासन ने इस मुकदमे की जांच के लिए एसआइटी गठित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद डीआइजी ला एंड आर्डर पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में एसआइटी बनाई गई। इसमें देहरादून एसपी क्राइम सर्वेश पंवार को विवेचना अधिकारी नियुक्त किया गया और उन्हें अपनी टीम गठित करने के निर्देश दिए गए थे। एसपी क्राइम सर्वेश पंवार ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम तैयार कर ली है। जल्द ही मुदकमे की विवेचना शुरू कर दी जाएगी।
अब तक सिर्फ कागजों में हुई जांच
पूर्व डीजीपी सिद्धू के विरुद्ध दर्ज मुकदमे में जांच अब तक सिर्फ कागजों में हुई है। आरोपित की ऊंची पहुंच होने के चलते कोई भी जांच अधिकारी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा पाया। अब शासन के आदेश पर फिर मामले की जांच शुरू हुई तो उम्मीद जताई जा रही है कि कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ेगी।
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