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दिल को छू गई एनएसए अजीत डोभाल की सादगी, उनकी गढ़वाली सुन हर किसी ने की तारीफ

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की सादगी हर किसी के दिल को छू गई। दरअसल एनएसए डोभाल मंदिर के बाहर खड़े श्रद्धालुओं को परेशानी हो इसे देखते हुए ज्यादा देर वहां नहीं रुके। उन्होंने मां ज्वाल्पा के दर्शन कर पूजा-अर्चना किए और फिर मंदिर से बाहर निकल आए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 05:31 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:31 PM (IST)
दिल को छू गई एनएसए अजीत डोभाल की सादगी, उनकी गढ़वाली सुन हर किसी ने की तारीफ
दिल को छू गई एनएसए अजीत डोभाल की सादगी।

कोटद्वार(पौड़ी), जेएनएन। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की सादगी हर किसी के दिल को छू गई। दरअसल, एनएसए डोभाल मंदिर के बाहर खड़े श्रद्धालुओं को परेशानी हो इसे देखते हुए ज्यादा देर वहां नहीं रुके। उन्होंने मां ज्वाल्पा के दर्शन कर पूजा-अर्चना किए और फिर मंदिर से बाहर निकल आए। इस दौरान उन्होंने बाहर खड़े ग्रामीणों का हाथ जोड़ अभिवादन किया। डोभाल ने मंदिर समिति कार्यालय में चाय पीते हुए वहां मौजूद लोगों से गढ़वाली में ही बात की, जिससे वहां मौजूद सभी उनकी गढ़वाली की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए।     

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नवरात्रों के मौके पर यूं तो नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 534 पर स्थित ज्वाल्पा धाम में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है, लेकिन इस वर्ष का नवरात्र पर्व मंदिर समिति के लिए विशेष रहा। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपनी पत्नी अनुभा डोभाल के साथ मंदिर पहुंचे और विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना की। जिस शख्स के एक इशारे पर देश हित में बड़े-बड़े निर्णय ले लिए जाते हैं, पूजा के दौरान वे सिर झुकाए पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ मुख्य पुजारी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते नजर आए। सादगी ऐसी कि आमजन को उनकी मौजूदगी से परेशानी न हो, इस कारण इच्छा होने के बाद भी उन्होंने मंदिर में अधिक देर रुकना उचित नहीं समझा। 

दरअसल, अजीत डोभाल के आगमन से करीब पंद्रह मिनट पूर्व ही मंदिर परिसर को खाली करवा दिया गया था और जितनी देर वे मंदिर में रहे, अन्य श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर के बाहर रखा गया था। पूजा-अर्चना संपन्न करने के बाद वे मंदिर से बाहर निकले और गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेंद्र अण्थवाल से मंदिर के इतिहास और महत्ता के बारे में पूरी जानकारी ली।

जैसे ही वे वापस लौटने लगे, राजेंद्र ने उन्हें चाय को न्योता दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मंदिर समिति कार्यालय में उन्होंने मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ चाय पी और फिर बिना देरी के वापस लौट गए। इस दौरान उन्होंने मंदिर परिसर से बाहर खड़े ग्रामीणों को भी दोनों हाथ जोड़ उनका अभिवादन किया। साथ ही उनके कारण माता के दर्शनों को हुए विलंब के लिए क्षमा मांगी।

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गढ़वाली में हुआ पूरा वार्तालाप

ज्वाल्पा धाम मंदिर में पहुंचे एनएसए अजीत डोभाल ने जिस तरह मंदिर समिति पदाधिकारियों और पुजारियों से गढ़वाली में वार्तालाप किया, सभी उनके मुरीद हो गए। मंदिर के पुजारी चंद्रभूषण अण्थवाल ने बताया कि वर्तमान में पहाड़ छोड़ मैदान की ओर पलायन करने वाले गढ़वाली अपनी भाषा से वार्तालाप करने में संकुचाते हैं, लेकिन ऐसे में उचस्थ पद  पर आसीन व्यक्ति के मुख से धारा प्रवाह गढ़वाली सुनना दिल को छू गया। उन्होंने कहा कि अगर हर गढ़वाली आम बोलचाल में अपनी लोकभाषा का प्रयोग करे तो गढ़वाली का अस्तित्व कभी खत्म नहीं हो सकता। 

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