Pitru Paksha 2025: भ्रांतियों का करें तर्पण, खूब करें खरीदारी; पढ़ें क्या कह रहे ज्योतिषाचार्य
आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार श्राद्ध पक्ष पितरों के प्रति श्रद्धा का पर्व है। इस दौरान खरीदारी और पूजा-पाठ को लेकर संशय नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह पितरों के आशीर्वाद का समय होता है। पिंडदान और तर्पण से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। विद्वत सभा के अनुसार श्राद्ध में गृह प्रवेश जैसे कार्य नहीं होते लेकिन खरीदारी की जा सकती है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सनातन धर्म में देवों की पूजा के लिए अलग अलग माह समर्पित हैं, उसी तरह अश्विन कृष्ण पक्ष देवतुल्य पितरों के नाम है। यह श्रद्धा का विषेष पर्व है। जिसमें पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है।
कई लोग श्राद्ध पक्ष में खरीदारी व पूजा पाठ करने को लेकर संशय में रहते हैं। इस पक्ष में पूजा व दैनिक सामान खरीदारी करनी चाहिए। क्योंकि जिन पर पितरों का आशीर्वाद है इस महीने में उन्हें किसी तरह की खरीदारी करने में शंका नहीं होनी चाहिए। यह कहना है कथा व्यास व ज्योतिष के ज्ञाता आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं का।
उनके अनुसार, चतुर्थी व नवरात्र के बीच श्राद्ध पक्ष आता है। श्राद्ध का मतलब अपने कुल देवताओं व पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पितर पितृलोक से किसी न किसी रूप में अपने स्वजन से मिलने के लिए धरती पर आते हैं, स्वजन के बनाए भोजन व भाव ग्रहण करते हैं।
मान्यता है कि इस दौरान पिंडदान, तर्पण कर्म व ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इन 15 दिनों में उनका आशीर्वाद विशेष रूप से बना रहता है। पितरों का दर्जा देवकोटि में आता है। उन्हें विवाह समेत शुभ कार्यों तक में आमंत्रित किया जाता है।
पितर पक्ष उनके स्मरण व श्रद्धापूर्वक श्राद्ध का काल है। ऐसे में हमें दैनिक पूजा करने के साथ ही दैनिक खरीदारी इतनी करनी चाहिए कि हमारी समृद्धि देखकर पितर भी प्रसन्न हों। धर्म मानव को नियमबद्ध तरीके से जीवन जीने में सहायक करते हैं। पितरों का आशीर्वाद लेते हुए खरीदारी आदि कर सकते हैं।
वहीं उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य विपिन डोभाल का कहना है कि श्राद्ध में गृह, प्रवेश, मकन का मुहूर्त आदि कार्य नहीं होते लेकिन खरीदारी निसंकोच कर सकते हैं। इस महीने पूजा पाठ भी करते रहें।
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