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हरियाली से कम की जाएगी शीशमबाड़ा की दुर्गंध, पढ़िए पूरी खबर

सूबे का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट राज्य सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। यहां से आ रही दुर्गंध ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 07:10 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 07:10 PM (IST)
हरियाली से कम की जाएगी शीशमबाड़ा की दुर्गंध, पढ़िए पूरी खबर
हरियाली से कम की जाएगी शीशमबाड़ा की दुर्गंध, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। कूड़ा निस्तारण के लिए शीशमबाड़ा सेलाकुई में बना सूबे का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट राज्य सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। दरअसल, दावे किए जा रहे थे कि यह देश का पहला ऐसा वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है, जो पूरी तरह से कवर है और इससे दुर्गंध बाहर नहीं आएगी, मगर नगर निगम का ये दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। दुर्गंध से यहां लोग परेशान हैं और लगातार विरोध बढ़ता जा रहा। बाजार तक बंद कराए जा रहे। इस बीच मामला शासन तक पहुंचा तो शासन ने निगम अधिकारियों को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस जगह दुर्गंध रोकने के लिए 500 पेड़ लगाने का आदेश कंपनी को दिया गया है। साथ ही एंजाइम का भी छिड़काव किया जा रहा है। 

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दरअसल, क्षेत्र में बढ़ रहे विरोध के मद्देनजर सरकार ने नगर निगम अधिकारियों को प्लांट का निरीक्षण करने भेजा। इस दौरान शिकायत सही पाई गई। हालात ये हैं कि प्लांट के आसपास ही नहीं बल्कि दो-तीन किलोमीटर तक दुर्गंध से आमजन का सांस लेना मुहाल हो रहा है। प्लांट के उद्घाटन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और सहसपुर के विधायक सहदेव पुंडीर ने भी इसे गलत बताया था।

मुख्यमंत्री ने यहां एंजाइम प्रयोग करने के लिए कहा था, लेकिन नगर निगम और कंपनी ने ऐसा नहीं किया। यही वजह है कि स्थानीय लोगों ने जल्द ही प्लांट पर ताला लगाने का अल्टीमेटम भी दिया हुआ है। नगर निगम ने रैमकी कंपनी को नोटिस भेजकर दुर्गंध दूर करने के निर्देश दिए। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई।

नगर निगम की दरियादिली अब पड़ रही भारी 

रैमकी कंपनी पहले से ही उत्तराखंड में दागी रही है। देहरादून आइएसबीटी निर्माण के हालात से हर कोई वाकिफ है। इसलिए निर्माण क्षेत्र में इस कंपनी से कोई भी काम नहीं लिया जा रहा था। बावजूद इसके नगर निगम ने रैमकी कंपनी को इतने बड़े प्लांट का जिम्मा सौंप दिया। उस दौरान भी नगर निगम की भूमिका पर सवाल उठे थे, मगर अधिकारियों ने बड़े-बड़े दावे कर सवालों को शांत करा दिया। यही नहीं, प्लांट तैयार करने को जिंदल ग्रुप भी राजी था, लेकिन निगम की ओर से इतनी शर्ते लगा दीं गईं कि जिंदल ग्रुप पीछे हट गया। बाद में यही शर्तें रैमकी कंपनी के लिए हटा दी गईं थीं। नगर निगम के अफसरों की रैमकी कंपनी से सांठगांठ अब आमजन पर भारी पड़ रही। 

एक जगह खत्म की मुसीबत, तो दूसरे की झोली में डाल दी 

नगर निगम ने सहस्रधारा रोड से ट्रंचिंग ग्राउंड हटाकर वहां के ग्रामीणों की सालों पुरानी मुसीबत तो खत्म कर दी पर दूसरी जगह ग्रामीणों को स्थायी रूप से मुसीबत दे दी। दरअसल, सहस्रधारा रोड के लोगों ने ट्रंंचिंग ग्राउंड के विरोध में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की शरण ली थी। लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेंचिंग ग्राउंड बंद करने के लिए 30 नवंबर 2017 की तारीख तय की थी। 

इसके बाद एक दिसंबर से पूरे शहर का कूड़ा शीशमबाड़ा में डंप किया जा रहा है। शुरूआत में लोगों को लगा था कि जब प्लांट काम करना शुरू देगा, तब दरुगध खत्म हो जाएगी, मगर ऐसा नहीं हो रहा। शीशमबाड़ा व इसके समीप ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ती जा रही और सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा। 

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