Sharad Purnima: सोमवार को शरद पूर्णिमा, चांदनी रात में होगी अमृत वर्षा; दोपहर इतने बजे से शुरू होगा मूहुर्त
शरद पूर्णिमा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन खीर बनाकर रात भर खुले आसमान में रखी जाती है जिसे अगले दिन खाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इस दिन लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा सोमवार को मनाई जाएगी। व्रत रखकर माता लक्ष्मी और चांद की पूजा की जाएगी। रात को खीर को खुले आसमान में रखा जाएगा।
वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को विशेष मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी का जन्म हुआ था। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वीलोक में भ्रमण के लिए आती हैं व घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
16 कलाओं से परिपूर्ण होता है चंद्रमा
धर्मपुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी आचार्य अरुण सती के अनुसार, मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन चांद की रोशनी में खीर का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि उस खीर का भोग लगाने से खीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
पूर्णिमा तिथि दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और मंगलवार सुबह नौ बजकर 16 मिनट तक रहेगी। सोमवार की शाम पूजा करना शुभ होगा। चंद्रोदय शाम साढ़े पांच बजे होगा। खुले आसमान में खीर रखने का समय रात साढ़े आठ बजे के बाद रहेगा।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत बरसता है, यही वजह है कि लोग रात को आसमान के नीचे बर्तन में खीर रखते हैं और अगली सुबह स्नान के बाद इसे खाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस वस्तु को चांदी के पात्र में रखना चाहिए। इस दिन खीर खाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी की पूजा करने से धन की वर्षा होती है।
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