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क्रिप्टो करेंसी के बादशाह शकूर मर्डर केस एसआइएस को होगा ट्रांसफर Dehradun News

हाई प्रोफाइल अब्दुल शकूर हत्याकांड की विवेचना विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआइएस) को देने की तैयारी है। इसकी वजह मामले का 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी बिट क्वाइन से जुड़ा होना है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 01:17 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 01:17 PM (IST)
क्रिप्टो करेंसी के बादशाह शकूर मर्डर केस एसआइएस को होगा ट्रांसफर Dehradun News
क्रिप्टो करेंसी के बादशाह शकूर मर्डर केस एसआइएस को होगा ट्रांसफर Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। हाई प्रोफाइल अब्दुल शकूर हत्याकांड की विवेचना विशेष जांच प्रकोष्ठ  (एसआइएस) को देने की तैयारी है। इसकी वजह मामले का 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी बिट क्वाइन से जुड़ा होना है। हत्या की गुत्थी तो पुलिस सुलझा चुकी है। पांच आरोपित गिरफ्तार भी हो चुके हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी को लेकर किस तरह से शकूर ने अपनी सल्तनत खड़ी की और दोस्तों की उसमें क्या भूमिका थी। इन सब का पता लगाने के लिए प्रेमनगर पुलिस को काफी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि विवेचना में एसटीएफ की भी मदद ली जाएगी।

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बता दें कि अब्दुल शकूर को लेकर उसके दोस्त 12 अगस्त को देहरादून पहुंचे थे। यहां शहर के बाहर प्रेमनगर के पास किराये पर कमरा लिया और वहीं पर क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड जानने के लिए शकूर को यातनाएं देनी शुरू कीं। यातनाओं के चलते 29 अगस्त की रात शकूर की मौत हो गई, जिसके बाद उसके दोस्त शव को मैक्स अस्पताल में छोड़ कर भाग गए। 

दरअसल, शकूर क्रिप्टो करेंसी में लोगों से निवेश कराता था। इसके लिए कोर ग्रुप बना रखा था। कोर ग्रुप में रिहाब, अरशद, आसिफ व मुनीफ शामिल थे। कोर गु्रप के सदस्यों ने भी अपनी टीम बना रखी थी। इस टीम में आशिक, सुफेल, आफताब, फारिस ममनून, अरविंद सी व आसिफ शामिल थे। 

यह टीम निवेश में बिचौलिए का काम करती थी। आशिक शकूर का बचपन का दोस्त था। शुरुआती दिनों में सब ठीक चलता रहा और क्रिप्टो करेंसी में हजारों लोगों से निवेश कराकर शकूर 24 साल की उम्र में ही साइबर बिजनेसमैन बन गया। 

करीब एक साल पहले वह अचानक भूमिगत हो गया। तब उसने दोस्तों को बताया था कि उसका अकाउंट हैक हो गया है, लेकिन शकूर के गायब होने से निवेशक परेशान थे। वह उसकी तलाश में जमीन-आसमान एक किए थे, मगर उसका जब कुछ पता नहीं चला। शकूर जब सामने आया तो उसके दोस्तों ने उसके खिलाफ साजिश रचनी शुरू कर दी। 

दोस्त उसे देहरादून घुमाने के बहाने लाए थे, लेकिन उनका असल उद्देश्य क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड जानकर मालामाल होना था। वारदात में शामिल दस दोस्तों में से पांच गिरफ्तार हो चुके हैं और एक के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी हो रखा है।

केरल पुलिस से संपर्क करना भी बड़ी अड़चन

शकूर हत्याकांड की विवेचना फिलहाल प्रेमनगर पुलिस कर रही है। इसमें सबसे बड़ी बाधा केरल और देहरादून के बीच भाषा को लेकर हो रही है। दूरी भी अधिक होने के चलते पुलिस टीम जो जानकारियां चाह रही है, वह नहीं मिल पा रही हैं। यही वजह है कि फरार दोस्तों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है।

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वहीं यह भी पता नहीं चल सका कि असल में शकूर क्रिप्टो करेंसी का किंग कैसे बना। इसमें उसके दोस्तों की क्या भूमिका है। उसके निवेशक क्या कर रहे हैं, उन्होंने जो शिकायतें केरल की क्राइम ब्रांच को दी, उसमें क्या हुआ। इन सब बातों को लेकर भी पुलिस के पास अभी कोई ठोस जवाब नहीं है।

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एसआइएस खोजेगी कई जवाब 

देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी के मुताबिक, शकूर की हत्या क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन में हुए विवाद के चलते हुई। लेकिन वह क्रिप्टो करेंसी का कारोबार कैसे करता था, उसके निवेशक कौन थे, इसके जैसे कई सवालों के जवाब के लिए मामले को एसआइएस को प्रेषित करने की तैयारी है।

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