एसओजी पर फायरिंग के दोषी पिता-पुत्र को सात साल कैद
एसओजी व पुलिस टीम पर फायरिंग करने वाले पिता-पुत्र को अदालत ने सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। मामला डेढ़ साल पहले का है।
देहरादून, [जेएनएन]: डेढ़ साल पहले एसओजी व पुलिस टीम पर फायरिंग करने वाले पिता-पुत्र को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ बृजेंद्र सिंह की अदालत ने सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। पिता पर पांच हजार रुपये और पुत्र पर पांच सौ रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर पिता को छह माह, जबकि पुत्र को एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि देशदीपक बजाज पुत्र मनोहर लाल और उसका बेटा शशांक उर्फ शैलू निवासी मोहल्ला पनवाड़ी, बदायूं (उप्र) 2009 में हुई एक हत्या के मामले में फरार चल रहे थे।
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जून 2015 में एसओजी बदायूं को दोनों के देहरादून में होने की सूचना मिली। 27 जून 2015 को एसओजी इंचार्ज संदीप तोमर टीम के साथ रायपुर थाने पहुंचे। रायपुर के तत्कालीन एसओ अबुल कलाम ने मुखबिरों से जानकारी जुटाई तो पता चला कि देशदीपक और शशांक लाडपुर में हैं।
पुलिस और एसओजी बदायूं की संयुक्त टीम ने इसी दिन शाम को सौंग नदी के पुल पर स्कूटर से आ रहे देशदीपक व शशांक की घेराबंदी की। इस दौरान देशदीपक ने टीम पर फायर कर दिया, पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। हालांकि, फायरिंग में किसी को भी गोली नहीं लगी।
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इसके बाद देशदीपक और शशांक गिरफ्तार कर लिए गए। तलाशी में देशदीपक के पास अमेरिकन मेड पिस्टल और शशांक के पास चाकू मिला। अभियोजन पक्ष ने तत्कालीन एसओ रायपुर समेत पांच गवाह पेश किए।
पेशी से भागने का भी किया था प्रयास
देशदीपक व शशांक ने आठ दिसंबर को पेशी के दौरान कचहरी से भागने का भी प्रयास किया था। इसके लिए दोनों ने साथ आए पुलिस कर्मियों की आंख में मिर्च झोंक दी थी। इस मामले में दोनों पर अलग से मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसकी विवेचना चल रही है।

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