उत्तराखंड में आयुष के तहत बनेगा योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ
स्वतंत्र रूप से चल रहे योग केंद्र और योग संस्थानों पर नियंत्रण और उन्हें मान्यता देने के लिए आयुष विभाग के अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी।
By Edited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 02:42 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में अभी स्वतंत्र रूप से चल रहे योग केंद्र और योग संस्थानों पर नियंत्रण और उन्हें मान्यता देने के लिए आयुष विभाग के अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी। यह प्रकोष्ठ योग का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही सरकार को योग संबंधी परामर्श भी देगा। देश में अलग से बनने वाला पहला प्रकोष्ठ होगा। उत्तराखंड बीते कुछ वर्षों से वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो रहा है। इसका एक कारण यहां की प्राकृतिक संपदा और स्वच्छ वातावरण है।
देश-दुनिया से योग साधक उत्तराखंड में योग साधना के लिए आते हैं। योग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उत्तराखंड में प्रतिवर्ष योग महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इसमें देशभर के अलावा विदेश से भी योग साधक आते हैं। इसे देखते हुए राज्य भर में अनेक योग केंद्र और योग संस्थानों की स्थापना हो चुकी है और इनका बेरोकटोक संचालन किया जा रहा है। इन केंद्रों और संस्थानों ने कहीं से भी मान्यता नहीं ली है। ऐसे में कई बार योग के नाम पर देश-विदेश के लोग धोखाधड़ी के भी शिकार हो सकते हैं।
इसे देखते हुए हुए अब प्रदेश में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को मजबूत करने और राज्य में योग संबंधी होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन को आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाएं निदेशालय के अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ गठित करने की तैयारी चल रही है। इसका ढांचा भी प्रस्तावित किया गया है। प्रस्तावित ढांचे में इस प्रकोष्ठ को निदेशक आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के अंतर्गत रखा गया है। इसमें उप निदेशक, चिकित्साधिकारी, लिपिक आदि शामिल हैं।
इसके दायित्वों में योग केंद्रों और संस्थानों का पंजीकरण, इनका नियमित निरीक्षण, पाठ्यक्रम का निर्धारण, आयुष मंत्रालय द्वारा बनाई गई योजनाओं को संचालित करना, योग का प्रचार प्रसार आदि शामिल हैं। इसमें एक सात सदस्य सलाहकार समिति भी प्रस्तावित की गई है, जो विभिन्न विभागों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि होंगे। इस संबंध में आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि देश में यह अपनी तरह की पहली व्यवस्था है। अभी इसे आयुर्वेद के अंतर्गत रखा जा रहा है। भविष्य में आर्थिक स्थिति ठीक होने पर इसका अलग निदेशालय और ढांचा बनाया जाएगा।
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