इंजीनियरिंग उद्यमिता और नवाचार से थमेगा पहाड़ों से पलायन Dehradun News
यूटीयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चौधरी ने कहा कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में उद्यमिता और नवाचार पहाड़ों से पलायन थामने में कारगर साबित हो सकता है।
By Edited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 07:23 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 03:37 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। इंजीनियरिंग उद्यमिता और नवाचार के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चौधरी ने कहा कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में उद्यमिता और नवाचार पहाड़ों से पलायन थामने में कारगर साबित हो सकता है। रोजगार की तलाश में युवा शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। अगर हमारी नीतियां पहाड़ों में उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने वाली बनेगी तो युवा घर पर ही स्वरोजगार शुरू करने में रुचि लेंगे।
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर सोमवार को प्रो. नरेंद्र एस चौधरी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। आइएसबीटी के समीप इंजीनियर्स भवन सभागार में 'नवीनतम अभियांत्रिकी परिकल्पना' विषय पर आयोजित सम्मेलन में प्रो. नरेंद्र एस चौधरी ने कहा कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में युवाओं का जरूर रुझान कम हो रहा है, लेकिन उपयोगिता कम होने के बजाय बढ़ रही है।
उन्होंने पिथौरागढ़ और गोपेश्वर जैसे दूरस्थ इंजीनियरिंग कॉलेजों का उदाहरण देते हुए कहा कि इस दुर्गम क्षेत्रों से निकलने वाले इंजीनियरिंग के छात्र देश-दुनिया के विकास के भारीदार बनेंगे, इसलिए उत्तराखंड तकनीकी विवि के लिए भी यह चुनौती है कि वह विवि से संबद्ध इन कॉलेजों में समुचित सुविधाएं जुटाएं। उन्होंने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए यूटीयू अपने स्तर पर भी फ्रेमवर्क कर रहा है। आधारभूत विकास में इंजीनियरिंग अहम मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंह ने कहा कि इंजीनियरिंग की उपयोगिता जितनी पहले थी उससे कई अधिक आज है।
प्रदेश और देश का आधारभूत ढांचा तैयार करने में इंजीनियरिंग की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर नित नई तकनीक के विकसित होने से पूरे विश्व के इंजीनियरों के सामने विज्ञान के क्षेत्र में नए शोध चुनौती के रूप में सामने आ रहे हैं। भारत जैसे विशाल देश में एनआइटी और आइआइटी बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए हमारे इंजीनियरों को और कड़ी मेहनत की जरूरत है। एनआइटी और आइआइटी पर जिम्मेदारी सम्मेलन में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के निदेशक प्रो. श्याम लाल सोनी ने कहा कि देश में एनआइटी इंजीनियरिंग शिक्षा और शोध में बेहतरीन कार्य कर रही हैं।
एनआइटी के कई छात्र देश और दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं। एनआइटी और आइआइटी के कंधों पर देश के विकास की बड़ी जिम्मेदारी है। एपीजे अब्दुल कलाम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी टनकपुर के निदेशक प्रो. अमित अग्रवाल ने कहा कि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर प्रदेश में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है और राज्य के विकास में सहयोग की भूमिका में है। उन्होंने कहा कि नित बदलती तकनीक इंजीनियरिंग के लिए चुनौती भी है और अवसर भी।
इस मौके पर डीआइटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एन रविशंकर, एनआइटी श्रीनगर के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार राकेश, शिवालिक इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक डॉ. संदीप विजय, उत्तराखंड स्किल डेवलपमेंट सेंटर के निदेशक ई. एमपी जैन, डॉ. हरिहरन आदि ने भी इंजीनियरिंग पर अपने विचार साझा किए। 12 शोधार्थी किए गए सम्मानित कार्यक्रम में 12 शोधार्थियों का सम्मान भी किया गया, जिनमें नितिश सोनी, तेजस प्रमोद नायक, अपूर्वा मंडाल, अमर कुमार जैन, मुरीद सतसंगी, नितिश कुमार, गौरव कुमार, गौरव आचार्य, वैभव गुप्ता, इशा चंद्रा, माधुरी मौर्य, वैभव मिश्रा शामिल रहे।
सीएम नहीं देते इंजीनियर्स को समय
द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. नरेंद्र सिंह ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इंजीनियर्स के लिए समय नहीं दे पाते हैं। उन्होंने कहा कि दो साल से बेस्ट इंजीनियर्स का अवार्ड लंबित है। वह तीन से चार बार सीएम से मुलाकात करने गए, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। सीएम के तकनीकी सलाहकार से उन्होंने आग्रह किया कि वह उनकी चिंताओं से सीएम को अवगत करवाएं।
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