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ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म, देश में छह लाख गिरी ई-वे बिल की संख्या

ट्रकों की बेमियादी हड़ताल के चलते सेलाकुई और रूद्रपुर में आधी फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप हो गया है। इनके श्रमिकों को भी फिलहाल छुट्टी दे दी गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 05:25 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 10:03 PM (IST)
ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म, देश में छह लाख गिरी ई-वे बिल की संख्या
ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म, देश में छह लाख गिरी ई-वे बिल की संख्या

देहरादून, [जेएनएन]:पूरे उत्तराखंड में ट्रक ऑपरेटरों और व्यावसायिक वाहनों की हड़ताल शुक्रवार को सातवें दिन भी जारी रही। जिससे माल वाहक वाहनों के पहिये थमे रहे। वाहनों की आवाजाही ठप होने से पूरे प्रदेशभर में करीब पांच सौ करोड़ रुपये का कारोबार चौपट हो चुका है। हालांकि, देर रात सरकार के आश्वासन के बाद ट्रक ऑपरेटरों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है।  

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चक्काजाम से पूरे प्रदेश में लगभग 70 हजार छोटे-बड़े वाहन जगह-जगह खड़े रहे। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) के आह्वान पर देशव्यापी अनिश्चितकालीन चक्काजाम में उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट भी शामिल रहा। प्रदेश के तीन मुख्य औद्योगिक जिले ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में चमड़ा उद्योग, दवा, इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा उद्योग, प्लास्टिक गुड्स, लौह उद्योगों की अधिकता है।

देहरादून ट्रक यूनियन के प्रधान हरभजन सिंह मान एवं महामंत्री अशोक ग्रोवर ने कहा कि सरकार ट्रक ऑपरेटर यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ अभी भी वार्ता के लिए तैयार नहीं, जबकि प्रदेश के करीब 59 हजार लघु, मध्यम एवं बड़े उद्योगों में पांच सौ करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हो चुका है। दो लाख से अधिक कामगारों को पिछले आठ दिनों से पलेदारी का काम नहीं मिल रहा है। उद्योगों से तैयार माल बाहर नहीं जा रहा और बाहर से कच्चे माल की आपूर्ति उद्योगों के लिए ठप है। उन्होंने सरकार से न्यायोचित मांगों को लेकर जल्द-जल्द से कोई समाधान निकालने की मांग की।

ये हैं निवेश और औद्योगिक क्षेत्र

उत्तराखंड में वर्तमान में 2873 बड़े उद्योग हैं, जिनमें 43 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। जबकि, एक लाख एक हजार लोगों को रोजगार मिला है। लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमिता संस्थान (एमएसएमई) क्षेत्र के 55023 उद्योगों में 2100 करोड़ का निवेश हुआ है और 2.72 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। प्रदेश के मुख्य औद्योगिक क्षेत्र देहरादून जिले के सेलाकुईं, मोहब्बेवाला, पटेलनगर, हरिद्वार के सिडकुल मंडावर, बहादराबाद, भगवानपुर, ऊधम सिंह नगर में खटीमा, सितारगंज, रुद्रपुर, काशीपुर, पंतनगर, बाजपुर, विक्रमपुर के अलावा प्रदेश के 10 अन्य जिलों में भी छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हैं।

हड़ताल ने तोड़ी उद्योगों की कमर

इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल का प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक असर देखा जा रहा है। कहा कि 28 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है। जिससे विशेषकर हरिद्वार एवं गढ़वाल में मुसीबत और बढ़ेगी। अगले 14 दिनों तक तैयार माल की आपूर्ति पूरे देश में संभव नहीं हो पाएगी।

उत्तराखंड इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मारवाह ने बताया बीते दिनों प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री प्रकाश पंत से हड़ताल को लेकर बातचीत हुई। आग्रह किया गया कि ट्रक ऑपरेटरों की मांगों का जल्द से जल्द निपटाया किया जाए। हड़ताल लंबी खिंचने से हजारों कामगारों के साथ उद्योगपतियों एवं ट्रांसपोर्टरों सभी को करोड़ों का नुकसान होगा।

ट्रक ऑपरेटर्स की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। देश में जहां माल भेजने के लिए बनाए जाने वाले ई-वे बिल की संख्या में छह लाख की गिरावट आ गई है, वहीं उत्तराखंड पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव दिख रहा है।

देश में छह लाख गिरी ई-वे बिल की संख्या

राज्य माल और सेवा कर विभाग के अपर आयुक्त (विशेष ग्रेड) पीयूष कुमार के मुताबिक गुरुवार को देश में करीब 12 लाख ई-वे बिल जनरेट किए गए, जबकि सामान्य दिनों में यह आंकड़ा 18 लाख तक पहुंच जाता है। इसी तरह उत्तराखंड में गुरुवार को 26 हजार ई-वे बिल जनरेट किए गए। यह आंकड़ा भी सामना दिनों में कहीं अधिक 32 हजार के करीब रहता है। उन्होंने माना कि ट्रक ऑपरेटर्स की हड़ताल के चलते कारोबारी माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। इसका प्रभाव इंटर स्टेट व इंट्रा स्टेट दोनों स्तर पर माल की आपूर्ति पर पड़ा है। बताया जा रहा है कि ई-वे बिल में करीब 60 फीसद हिस्सा बड़े ट्रांसपोर्टस का होता है, जो बड़ी मात्रा में माल का परिवहन करते हैं। ट्रक ऑपरेटर्स की हड़ताल के चलते इसी श्रेणी के ई-वे बिल जनरेट नहीं हो पा रहे हैं।  

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