Updated: Wed, 08 Oct 2025 07:09 PM (IST)
पिथौरागढ़ जिले में धौलीगंगा नदी पर बनने वाली 114 मेगावाट की सेला उर्थिंग जलविद्युत परियोजना का मार्ग प्रशस्त हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के केंद्र सरकार से अनुरोध के बाद परियोजना की डीपीआर तैयार होगी। इस प्रोजेक्ट से सालाना 40 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हो सकेगा जिससे राज्य को बाहरी राज्यों से बिजली खरीद पर लगभग 250 करोड़ रुपये की बचत होगी।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। पिथौरागढ़ जिले की धौलीगंगा नदी पर प्रस्तावित 114 मेगावाट की सेला उर्थिंग जलविद्युत परियोजना का रास्ता साफ हो गया है। लंबे समय से अटकी इस परियोजना को राज्य सरकार ने नई ऊर्जा दी है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के केंद्र सरकार से अनुरोध के बाद परियोजना की डीपीआर तैयार होगी। प्रोजेक्ट से सालाना 40 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हो सकेगा। इससे राज्य को बाहरी राज्यों से बिजली खरीद पर करीब 250 करोड़ रुपये की बचत होगी। सेला उर्थिंग जलविद्युत परियोजना को लेकर मुख्य बाधा पर्यावरणीय स्वीकृति थी, क्योंकि इसका क्षेत्र आंशिक रूप से अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य के समीप आता है।
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इस कारण रुकी रही योजना
केंद्र सरकार के स्तर पर 2013 में गंगा और उसकी सहायक नदियों पर परियोजनाओं पर रोक के बाद नीति अस्पष्टता के कारण यह योजना रुकी रही। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से शिष्टाचार भेंट कर धौलीगंगा नदी पर 114 मेगावाट की सेला उर्थिंग परियोजना को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह परियोजना गंगा बेसिन का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में गंगा और उसकी सहायक नदियों के अतिरिक्त अन्य घाटियों पर परियोजनाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसलिए सेला उर्थिंग परियोजना को स्वीकृति दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्र ने इस परियोजना की प्रगति को आगे बढ़ाने की हरी झंडी दी। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड ने बोर्ड बैठक में परियोजना की डीपीआर तैयार करने का टेंडर आमंत्रित किया है।
परियोजना से राज्य को लगभग 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली मिलेगी, जिससे 40–45 करोड़ की वार्षिक राजस्व आय बढ़ेगी। वहीं पिथौरागढ़, मुनस्यारी, धारचूला क्षेत्र में वोल्टेज स्थिरता और ट्रांसमिशन लास में कमी आएगी। सेला उर्थिंग परियोजना रन आफ द रिवर जलविद्युत परियोजना होगी, जिसमें बड़ा जलाशय नहीं बनेगा, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव सीमित रहेगा। तकनीकी प्रस्ताव के अनुसार, इसमें 73 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी डैम, 2.01 किमी लंबी जलवाहक सुरंग व विद्युत ऊर्जा को 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
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