Move to Jagran APP

उत्तराखंड में उत्खनन से खुलेंगे गोविषाण टीले के रहस्य, दुनिया के सामने आएगी इस टीले में दबी विरासत

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कुमाऊं मंडल के काशीपुर स्थित ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के गोविषाण टीले में उत्खनन कराने पर जोर दिया। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट को भेजे पत्र में कहा है कि इस टीले में दबी विरासत विश्व के सामने उजागर हो सकेगी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 02:01 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 02:01 PM (IST)
उत्तराखंड में उत्खनन से खुलेंगे गोविषाण टीले के रहस्य, दुनिया के सामने आएगी इस टीले में दबी विरासत
उत्तराखंड में उत्खनन से खुलेंगे गोविषाण टीले के रहस्य।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कुमाऊं मंडल के अंतर्गत काशीपुर स्थित ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के गोविषाण टीले में उत्खनन कराने पर जोर दिया है। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट को भेजे पत्र में कहा है कि उत्खनन से इस टीले में दबी विरासत विश्व के सामने उजागर हो सकेगी।

loksabha election banner

कैबिनेट मंत्री महाराज ने पत्र में कहा कि उत्तराखंड पर्यटन, योग और आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां ऐसे कई स्थल हैं। ऐसे ही स्थानों में उधमसिंह नगर की तराई में काशीपुर नगर से आधे मील की दूरी गोविषाण टीला भी है, जो स्वयं में इतिहास समेटे हुए है। उन्होंने बताया है कि काशीपुर को राजा हर्षवर्धन के समय 'गोविषाण' के नाम से जाना जाता था। तब चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाहियान यहां आए थे। अपने यात्रा वृत्तांत में ह्वेनसांग ने लिखा कि मादीपुर से 66 मील की दूरी पर ढाई मील ऊंचा गोलाकार स्थान है।

महाराज के अनुसार कहा जाता है कि इस स्थान पर उद्यान, सरोवर व मछली कुंड थे। इनके बीच ही दो मठ थे, जिनमें बौद्ध धर्मानुयायी रहते थे। नगर के बाहर एक बड़े मठ में दो सौ फीट ऊंचा अशोक का स्तूप था। इसके अलावा दो छोटे-छोटे स्तूप थे, जिनमें भगवान बुद्ध के नख एवं बाल रखे गए थे। इन मठों में भगवान बुद्ध ने धर्म उपदेश दिए थे।महाराज ने कहा कि काशीपुर पर्यटन की दृष्टि से भी समृद्ध है। वहां ऐतिहासिक गोविषाण टीले के पूर्व में हुए उत्खनन में छठवीं शताब्दी तक के अवशेष मिले थे।

भगवान बुद्ध की स्मृतियों के मद्देनजर यह स्थल बौद्ध धर्मानुयायियों के लिए महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्तावित बुद्ध सॢकट में भी इस स्थान को शामिल किया गया है। गोविषाण में उत्खनन से भगवान बुद्ध से जुड़े कई विषयों की जानकारी मिल सकती है। बौद्ध सॢकट विकसित करने के लिए बुद्धिस्ट देशों का भी सहयोग मिल सकता है।

यह भी पढ़ें- Heli Service: केदारनाथ व हेमकुंड हेली सेवा शुरू होने में लगेगा समय, जानें- कितना है एक तरफ का किराया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.