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    अब कैमरे की निगरानी में सफर करेंगे बच्चे, खतरे के लिए होगा पैनिक बटन

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 02:08 PM (IST)

    देहरादून में बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग सक्रिय हो गया है। अब स्कूली वाहनों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन अनिवार्य होंगे। विभाग ने स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट शुरू कर दिया है और 27 बिंदुओं का परफॉर्मा तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने वाहनों में जीपीएस और कैमरे लगाने के निर्देश दिए हैं। पुलिस स्कूल बस चालकों का सत्यापन करेगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

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    स्कूली वाहन की लोकेशन ट्रेकिंग व भीतर की गतिविधियों की सरकार को रहेगी पूरी जानकारी। प्रतीकात्‍मक

    अंकुर अग्रवाल, जागरण  देहरादून। बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग ने स्कूलों में जाकर स्कूली वाहनों का सेफ्टी आडिट शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि न केवल स्कूली वाहनों की हर पल की लोकेशन ट्रेकिंग हो, बल्कि वाहन के अंदर की गतिविधि के बारे में जानकारी के लिए सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जाए।

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    खतरे से बचने के लिए वाहनों में पैनिक बटन भी लगा होना चाहिए। इस क्रम में परिवहन विभाग ने 27 बिंदु का परफार्मा तैयार किया है, जिसमें स्कूली वाहन की बारीकी से पड़ताल की जाएगी। गुरुवार को आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी के आदेश पर एआरटीओ प्रशासन चक्रपाणि मिश्रा एवं संभागीय निरीक्षक की टीम ने दून में चार स्कूलों में जाकर वाहनों का आडिट किया।

    पुलिस की मदद से स्कूल बस व वैन चालक-परिचालकों का चरित्र सत्यापन भी कराया जाएगा। स्कूली वाहनों से होने वाली दुर्घटना व यौन-उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम और बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग अब मैदान में उतर गया है।

    परिवहन मुख्यालय की ओर से स्कूली वाहनों के लिए जारी गाइड-लाइन में जीपीएस और सीसीटीवी को अनिवार्य कर दिया गया है। आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि विभागीय टीम अब रोजाना अलग-अलग स्कूलों में जाकर सेफ्टी आडिट कर स्कूली वाहनों की पूरी रिपोर्ट तैयार करेगी। गुरुवार को दून लारियल्स एकेडमी, लक्ष्य यूनिवर्सल एकेडमी, ज्ञान आइंसटीन, बिरला ओपन माइंड के साथ ही शिवालिक कालेज आफ इंजीनियरिंग में वाहनों का आडिट किया।

    आरटीओ सैनी ने बताया कि स्कूली शैक्षिक संस्थानों के साथ ही उच्च शैक्षिक संस्थानों की बसें भी परिवहन विभाग में स्कूल वाहन की श्रेणी में पंजीकृत की जाती हैं। ऐसे में उच्च शैक्षिक संस्थानों की बसों की जांच की भी जाएगी। स्कूल बसों के अलावा स्कूली वैन का भी सेफ्टी आडिट होगा, जबकि स्कूली बच्चों को ले जाने वाले आटो, विक्रम आदि में ओवरलोडिंग और फिटनेस की चेकिंग की जाएगी।

    आरटीओ ने छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से अपील की है कि वह स्कूल वैन व बस चालक व स्वामी के बारे में पूरी जानकारी अपने पास अवश्य रखें। समय-समय पर बच्चों से वाहन चालक के व्यवहार के बारे में जानकारी लेते रहें।

    स्कूल वैन में आगे नहीं बैठा सकते छात्रा

    स्कूल वैन में छात्राओं से छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए परिवहन विभाग ने वैन में चालक के केबिन में छात्राओं को बैठाने पर पिछले साल सितंबर में रोक लगा दी थी। चालक केबिन में छात्रा को बैठाने पर वैन सीज करने का प्रविधान है। अगर वैन में केवल छात्राएं ही होंगी तो केबिन में चालक व यात्री सीट के बीच में लोहे की जाली लगाकर विभाजन करना अनिवार्य है।

    80 प्रतिशत वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को ताक पर

    स्कूली बच्चों की परिवहन सुविधा और सुरक्षा पर साल-2018 में सरकार को सौंपी गई राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में साफ हुआ था कि 80 प्रतिशत निजी स्कूलों के वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को ताक पर रखा जा रहा है।

    टिप्पणी की गई थी कि ऐसे स्कूली वाहन न सिर्फ बच्चों की जान संकट में डाल रहे, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन कर रहे हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी परिवहन विभाग से बच्चों की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाने को कहा था। जिस पर राज्य सरकार ने परिवहन विभाग को स्कूल बसों के लिए गाइड-लाइन जारी करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में परिवहन मुख्यालय ने गाइड-लाइन जारी की है।

    स्कूली वाहनों के सेफ्टी आडिट के प्रमुख बिंदु

    • वाहन में सीसीटीवी कैमरा व व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) अनिवार्य।
    • वीएलटीडी का एक्सेस सभी अभिभावकों को देना अनिवार्य, ताकि वह लोकेशन देख सकें।
    • वाहन में पैनिक बटन व अलार्म बेल लगी होना अनिवार्य।
    • वाहन पीला होना चाहिए और दोनों ओर स्कूल का नाम अंकित होना चाहिए।
    • फ्रंट और बैक साइड में स्कूल बस या आन स्कूल डयूटी लिखा होना अनिवार्य।
    • चालक का ग्रे शर्ट या खाकी वर्दी पहनना अनिवार्य। नाम पट्टिका भी होनी चाहिए।
    • चालक का नाम, पता, लाइसेंस नंबर व बैज नंबर वाहन के अंदर व बाहर लिखा होना अनिवार्य।
    • पुलिस हेल्पलाइन नंबर-112 व 110 और परिवहन विभाग का हेल्पलाइन नंबर 0135-2608107 वाहन के अंदर व बाहर लिखना अनिवार्य।
    • वाहन की खिड़की में सुरक्षा राड, दरवाजों में लाक व आपातकालीन दरवाजा होना अनिवार्य।
    • वाहन में स्पीड गवर्नर लगा होना अनिवार्य, जिसमें अधिकतम गति 40 किमी प्रतिघंटा होनी चाहिए।
    • वाहन में पांच-पांच किलो के आइएसआइ मार्क के दो अग्नीशमन यंत्र होने चाहिए।
    • स्कूल बैग रखने की समुचित व्यवस्था व फर्स्ट एड बाक्स होना अनिवार्य।

    बस चालक-परिचालकों के लिए गाइड-लाइन

    • स्कूल बस चालक को न्यूनतम पांच साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना जरूरी।
    • अगर चालक का परिवहन नियम तोड़ने पर पूर्व में दो बार चालान हुआ है तो स्कूल बस चलाने के लिए अयोग्य।
    • यदि चालक का एक बार ओवरस्पीड, खतरनाक ढंग या फिर शराब पीकर वाहन चलाने में चालान हुआ है तो ऐसा चालक प्रतिबंधित रहेगा।
    • बिना योग्य परिचालक के कोई स्कूल बस का संचालन नहीं करेगा।
    • परिचालक की योग्यता केंद्रीय मोटरयान नियमावली के अनुसार होनी अनिवार्य।
    • जिन वाहन का उपयोग छात्राओं को ले जाने में होता है, उसमें महिला सहायक का होना अनिवार्य।
    • निर्धारित संख्या से अधिक छात्र बैठाना प्रतिबंधित।
    • चालक को बच्चों के नाम, पते, ब्लड ग्रुप, रूट प्लान व रुकने के प्वाइंट की पूरी जानकारी होना अनिवार्य।
    • वाहन में सभी बच्चों के अभिभावक का नाम-पता व मोबाइल नंबर की सूची रखनी होगी।
    • स्कूली वाहन में जाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावक, चालक व वाहन स्वामी का एक व्हाटएप ग्रुप बनाना अनिवार्य, जिसमें आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके।

    स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने वाहनों में सीसीटीवी कैमरा, वीएलटीडी व पैनिक बटन अनिवार्य कर दिया है। अब परिवहन विभाग स्कूलों में जाकर प्रत्येक स्कूली वाहन की जांच करेगा। इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिन वाहनों में कमी होगी, उनकी फिटनेस तमाम नियमों को पूरा करने के बाद ही जारी होगी। -  संदीप सैनी, आरटीओ (प्रशासन)

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