बच्चों की सुरक्षा पुख्ता, पैरेंट्स की चिंता हुई दूर; अब स्कूल वैन ड्राइवर को शेयर करनी होगी लाइव लोकेशन
उत्तराखंड स्कूल वैन एसोसिएशन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए नया नियम लागू किया है। अब वैन चालकों को स्कूल आते-जाते समय व्हाट्सएप ग्रुप में लाइव लोकेशन डालनी होगी। अभिभावकों को वैन की वास्तविक स्थिति पता चलेगी। वहीं वैन संचालक जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे लगाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। आरटीओ इस मामले में कानूनी सलाह लेंगे।

जागरण संवाददाता, देहरादून । स्कूली बच्चों की सुरक्षा और अभिभावकों की परेशानी दूर करने के लिए उत्तराखंड स्कूल वैन एसोसिएशन ने सभी वैन चालकों से स्कूल के लिए जाते व आते समय वाट्सएप ग्रुप में लाइव लोकेशन डालने का नियम लागू किया है।
बताया गया कि स्कूल वैन में परिवहन करने वाले बच्चों के अभिभावकों का वैन चालक ने वाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ है। इसमें लाइव लोकेशन डालने से अभिभावकों को यह पता चलता रहेगा कि वैन की वास्तविक लोकेशन कहां है।
हाई कोर्ट का आदेश
दरअसल, हाई कोर्ट के आदेश पर परिवहन विभाग ने स्कूल वैन में जीपीएस और सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य कर दिया है। स्कूल वैन संचालक इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि वैन संचालक और चालकों की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि यह उपकरण लगा सकें। इस संबंध में वैन संचालकों ने मंगलवार को आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी से मुलाकात भी की।
उन्होंने बताया कि जीपीएस व सीसी कैमरे का नियम बच्चों की सुरक्षा के लिए लागू किया जा रहा है, लेकिन इन दोनों उपकरणों की अनिवार्यता वर्ष-2019 के बाद पंजीकृत वाहनों पर की जाए। इससे पहले के पंजीकृत वाहनों को छूट देने की मांग की गई। चाहे वह पीली स्कूल वैन हो या सफेद।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से अब वैन चालक अपनी लाइव लोकेशन भी नियमित वाट्सएप ग्रुप पर डालेंगे। इससे अभिभावकों को किसी भी तरह की चिंता नहीं रहेगी। गुप्ता ने कहा कि स्कूल वैन पर टैक्स, इंश्योरेंस फिटनेस, पेट्रोल इत्यादि का खर्च होने के कारण स्कूल वैन चालक की आय बहुत सीमित है। वर्तमान में विभाग द्वारा स्कूली वाहनों में जीपीएस लगाने का फरमान जारी किया गया है व नहीं लगाए जाने पर फिटनेस रोकी जा रही है। इसको लगाने के कारण चालक पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है, जिसको तत्काल अपनी गाड़ियों में लगा पाना मुश्किल हो रहा है, जीपीएस लगाने पर वाहन में तकनीकी खराबी आ रही है और दो दिन में बैटरी खत्म हो जा रही।
आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि मामले में विधिक राय लेने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
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