Uttarakhand News: शिक्षा मंत्री के गृह जिले पौड़ी में 186 में से मात्र 20 प्रधानाचार्य कार्यरत, पदोन्नति की मांग तेज
राजकीय शिक्षक संघ शिक्षा मंत्री से मिलकर प्रधानाचार्य पदों को पदोन्नति से भरने की मांग कर रहा है क्योंकि अधिकांश सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य नहीं हैं जिससे प्रबंधन बिगड़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता भी चिंताजनक है। एससी-एसटी शिक्षक संघ परीक्षा का विरोध कर रहा है और शीघ्र भर्ती की मांग कर रहा है ताकि शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारी शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत से नियमित संपर्क कर प्रधानाचार्य पदों को शत प्रतिशत पदोन्नति से भरने की मांग कर रहे हैं, जबकि शिक्षा मंत्री इस बात से परिचित है कि उनके गृह जिले पौड़ी में प्रधानाचार्य के स्वीकृत 186 पदों में से मात्र 20 राजकीय इंटर कालेजों में ही प्रधानाचार्य रह गए हैं।
मुखिया विहीन विद्यालयों का प्रबंधन लगभग पटरी से उतर गया है जिसके प्रतिकूल प्रभाव दिखाई भी दे रहे हैं। ऐसे में शिक्षा मंत्री के लिए भी प्रधानाचार्य पद के लिए परीक्षा से मुंह मोड़ना मुश्किल हो रहा है।
शिक्षा विभाग बेशक उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर रहने को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की विद्यालय शिक्षा को परखा जाता है तो सच्चाई चिंता बढ़ाने वाली है।
एनसीईआरटी की परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट में राज्य की दयनीय स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने विभाग से स्पष्टीकरण तलब किया। केंद्र सरकार की परफारमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआइ) में भी राज्य एक हजार अंकों में से मात्र 526.3 अंक प्राप्त कर सका। पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 11.9 अंक की गिरावट दर्ज की गई। ऐसे समय विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को भरना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं है।
अन्य जिले के 85 प्रतिशत विद्यालयों में प्रधानाचार्य नहीं
शिक्षा मंत्री के गृह जिले पौड़ी ही नहीं टिहरी जिले में प्रधानाचार्य के 192 में से मात्र 26, चमोली में 126 में से 16, पिथौरागढ़ में 128 में से आठ, अल्मोड़ा में 166 में से आठ, उत्तरकाशी जिले में 75 में से तीन,बागेश्वर में 61 में से मात्र दो प्रधानाचार्य कार्यरत हैं। राज्य में प्रधानाचार्य के 1385 पदों में से केवल 205 पर ही नियमित प्रधानाचार्य मौजूद रह गए हैं।
एससी-एसटी शिक्षक एसोसिएशन ने परीक्षा का विरोध किया
एससी-एसटी शिक्षक एसोसिएशन ने प्रधानाचार्य विभागीय परीक्षा भर्ती को पूर्व से विभाग में कार्यरत वरिष्ठ शिक्षकों के हितों के विरुद्ध बताया। एससी एसटी शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने कहा कि शिक्षकों के पूर्व में व्यापक विरोध के कारण यह परीक्षा रद्द की गई है। भर्ती परीक्षा के संशोधन में एससी एसटी शिक्षकों के प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया गया।
पदोन्नति में आरक्षण पर लगी रोक के कारण प्रधानाध्यापक पद पर एससी व एसटी का प्रतिनिधित्व शून्य हो चुका है। इसके मानकों में एससी-एसटी के तीन प्रतिशत शिक्षक भी नहीं आ रहे हैं। इसके बाद भी इस भर्ती में एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व की उपेक्षा करते हुए सरकार की ओर से पुनः इस भर्ती को मंजूरी प्रदान की गई है।
85 प्रतिशत विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं। विद्यालयों में शैक्षिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शीघ्र प्रधानाचार्य पदों को भरे जाने की आवश्यकता है। राज्य लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती की प्रक्रिया लंबी है इसमें एक वर्ष से भी अधिक का समय लगता है। इससे शिक्षकों की पदोन्नति की राह बंद हो जाएगी।
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