Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में आज से मैदानी क्षेत्रों में शुरू हुआ सावन मास, तैयारियों में जुटी आयोजक समितियां, लाइट और फूलों से सजे मंदिर

सावन मास का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने से प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस महीने में धतूरा बेलपत्र भांग के पत्ते दूध काले तिल और गुड़ अर्पित करना शुभ माना गया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Wed, 13 Jul 2022 03:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 09:40 AM (IST)
उत्‍तराखंड में आज से मैदानी क्षेत्रों में शुरू हुआ सावन मास, तैयारियों में जुटी आयोजक समितियां, लाइट और फूलों से सजे  मंदिर
श्रद्धालुओं ने मंद‍िर पहुंचकर जलाभ‍िषेक कर आराधना की और सुख शांत‍ि की कामना की।

जागरण संवाददाता, देहरादून: शिव की आराधना का सावन मास मैदानी क्षेत्रों में गुरुवार से सावन मास शुरु हो गया है। श्रद्धालुओं ने मंद‍िर पहुंचकर जलाभ‍िषेक कर आराधना की और सुख शांत‍ि की कामना की। वहीं पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। पूरा क्षेत्र बम-बम भोले के उद्घोष से गुंजायमान रहा। पर्वतीय क्षेत्रों में 16 जुलाई से शुरू होगा।

loksabha election banner

श्रद्धालु मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक कर आराधना करेंगे। इसके लिए मंदिरों को लाइट और फूलों से सजाने और श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की जा रही है।

भगवान श‍िव भक्‍तों पर बरसाते हैं कृपा

सावन मास का विशेष महत्व है। इस पूरे महीने में श्रद्धालु शिव की आराधना और जलाभिषेक करते हैं।

मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने से प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस महीने में धतूरा, बेलपत्र, भांग के पत्ते, दूध, काले तिल, और गुड़ अर्पित करना शुभ माना गया है। उत्तराखंड में मैदानी क्षेत्र के लोग पूर्णिमा से सावन मनाते हैं।

आज रात 12 बजकर छह मिनट तक आषाढ़ मास का शुक्ल पक्ष

आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक, कई श्रद्धालु सावन की तिथि को लेकर असमंजस में हैं। उन्होंने बताया कि सावन मास पूर्णिमा से शुरू होता है। बुधवार रात 12 बजकर छह मिनट तक आषाढ़ मास का शुक्ल पक्ष रहेगा, जबकि इसके बाद सावन मास का कृष्ण पक्ष शुरू होगा। ऐसे में रात 12 बजकर सात मिनट यानी गुरुवार से ही सावन की शुरुआत मानी जाएगी।

यह भी पढ़ें-Kanwar Yatra 2022 :14 जुलाई से शुरू हो रहा भोले की भक्ति का पर्व, हरिद्वार आने से पहले कांवड़िए ध्‍यान रखें यह नियम

सावन का पहला सोमवार 18 से

आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में पूर्णिमा से पूर्णिमा जबकि पर्वतीय क्षेत्र में संक्राति से संक्रति तक सावन मास मनाने की परंपरा है। सावन मास का पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा 25, तीसरा एक अगस्त जबकि चौथा और अंतिम सोमवार आठ अगस्त को होगा। सावन मास की शिवरात्रि 26 जुलाई को मनाई जाएगी।

यह भी पढ़ें-आयुष्मान योजना : उत्तराखंड में 37 अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई, 60 करोड़ से अधिक के बिल किए निरस्त


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.