UCC Marriage Registration: पोर्टल की अनदेखी पर उत्तराखंड में रोकी जाएगी सैलरी! जारी हुआ वॉर्निंग लेटर
उत्तराखंड में यूसीसी के तहत ऑनलाइन विवाह पंजीकरण में लापरवाही सामने आई है। अधिकारियों द्वारा पोर्टल की अनदेखी के कारण कई पंजीकरण लंबित हैं। नोडल अधिकारी केके मिश्रा ने समीक्षा के बाद अधिकारियों को वेतन रोकने की चेतावनी दी है। 27 मार्च, 2010 के बाद हुए विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य है, और अधिकारियों को 15 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश है।

नोडल अधिकारी केके मिश्रा ने आनलाइन पोर्टल की समीक्षा की. Concept Photo
जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत आनलाइन विवाह पंजीकरण की व्यवस्था की है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी सरकार के पोर्टल की जांच करने में भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस लापरवाही के कारण कई विवाह पंजीकरण लंबे समय से लंबित हैं। मंगलवार को अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) एवं नोडल अधिकारी केके मिश्रा ने आनलाइन पोर्टल की समीक्षा की, जिसके बाद उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को वेतन रोकने की चेतावनी दी।
सरकार ने 26 जनवरी को यूसीसी लागू किया था, जिसके तहत 27 मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। यूसीसी कानून के अनुसार, विवाह पंजीकरण को सरल बनाने के लिए यह प्रविधान किया गया है कि यदि कानूनी स्वीकृति नहीं मिलती है, तो भी आवेदन को स्वीकृत माना जाएगा। यह स्पष्ट किया गया है कि 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसके बाद के विवाहों के लिए पंजीकरण आवश्यक है। यदि किसी ने पहले से विवाह का पंजीकरण कराया है, तो उसे दोबारा कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देनी होगी।
यूसीसी में अधिकारियों की भूमिका को भी स्पष्ट किया गया है, जिसमें उप रजिस्ट्रार को प्राप्त आवेदन पर 15 दिनों के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है। यदि आवेदन अस्वीकृत होता है, तो आवेदक रजिस्ट्रार जनरल की कोर्ट में अपील कर सकता है। मंगलवार को जब नोडल अधिकारी केके मिश्रा ने यूसीसी पंजीकरण पोर्टल की समीक्षा की, तो पाया कि मामले सीधे अपील में जा रहे हैं और निचले स्तर के अधिकारी पोर्टल को खोलकर आवेदन नहीं देख रहे हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए, उन्होंने सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चेतावनी पत्र भेजा है और कहा है कि यदि बिना जांच के मामले सीधे अपील में आए, तो संबंधित अधिकारी का वेतन रोका जाएगा।
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