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    Russia Ukraine News: डागी को यूक्रेन में छोड़ भारत लौटने को तैयार नहीं देहरादून के ऋषभ

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 28 Feb 2022 07:49 AM (IST)

    Russia Ukraine War News यूक्रेन से कई उत्‍तराखंडी छात्रों को वहां से निकाल लिया गया है जबकि अभी कुछ वहीं फंसे हुए हैं। इनमें एक छात्र ऐसे भी हैं जो अपने पालतू डागी मालीबू के बिना भारत लौटने को तैयार नहीं हैं।

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    Russia Ukraine News: डागी को यूक्रेन में छोड़ भारत लौटने को तैयार नहीं देहरादून के ऋषभ।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: युद्ध के चलते यूक्रेन में हर पल जान का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भारतीय छात्र जहां किसी भी तरह घर वापसी की राह देख रहे हैं, वहीं देहरादून में किशनपुर निवासी ऋषभ कौशिक अपने पालतू डागी 'मालीबू' के बिना भारत लौटने को तैयार नहीं हैं। ऋषभ का कहना है कि मालीबू को जब उन्होंने गोद लिया था, तब उसे पालने की जिम्मेदारी भी उठाई थी, ऐसे में उसे छोड़कर भारत आना संभव नहीं है।

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    ऋषभ कौशिक खारकीव नेशनल यूनिवर्सिटी आफ रेडियो इलेक्ट्रानिक्स से साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। ऋषभ ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने डागी के साथ भारत लौटने के लिए जरूरी सहमतियां लेने की कोशिश की, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। एंबेसी ने उनसे अकेले को भारत जाने की बात कही है, लेकिन उन्होंने फैसला किया है कि अगर उनका डागी उनके साथ नहीं जाएगा, तो वह खुद भी वापस नहीं आएंगे। कहा कि उन्हें पता है कि यूक्रेन में रहना खतरे से खाली नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके दुबई के रास्ते भारत जाने की व्यवस्था हो गई थी, लेकिन उन्होंने अपने डागी के बिना घर जाना ठीक नहीं समझा। कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय दूतावास से इजाजत मिलेगी और दोनों यूक्रेन से सही-सलामत घर पहुंचेंगे।

    भारतीय एंबेसी ने किया निराश

    ऋषभ भारतीय एंबेसी से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि हम युद्ध के बीच फंसे हुए हैं, लेकिन एंबेसी ने मदद करना तो दूर, सीधे मुंह बात तक नहीं की। उन्होंने बताया कि एंबेसी के अधिकारियों ने उनसे साफ बोल दिया है कि हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। आप भारत सरकार से संपर्क कर लीजिए। युद्ध शुरू होने के बाद एंबेसी ने छात्रों को भारत ले जाने के लिए रेलवे स्टेशन या बस स्टाप पर बुलाया है। उसे फालो कर छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर वहां तक पहुंचते हैं तो वहां छात्रों को कोई भी अधिकारी नहीं मिलता। संपर्क करने पर अधिकारी अपने बयान से पलट जा रहे हैं। ऐसे में छात्र एंबेसी के बयानों पर विश्वास करने से कतरा रहे हैं।

    23 को एंबेसी में अधिकारियों से मिलने कीव पहुंचे थे ऋषभ

    ऋषभ ने बताया कि वह दस फरवरी से घर वापसी की जुगत में लगे थे। इसके लिए उन्होंने कीव में भारतीय एंबेसी के साथ दिल्ली में नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय में संपर्क किया, तमाम पत्राचार के बाद भी उन्हें डागी को घर ले जाने की अनुमति नहीं मिली। ऐसे में 23 फरवरी को वह खारकीव से कीव के लिए रवाना हुए थे। कीव में उन्हें भारतीय एंबेसी में मुलाकात कर अपनी समस्या से अवगत कराना था, लेकिन 24 फरवरी की सुबह पांच बजे रूस ने हमला कर दिया। तब से वह कीव में ही फंसे हैं। बताया कि वह कीव में अपने एक परिचित के घर में हैं। बम का धमाका सुनते ही आस-पास बने बंकर में भाग जाते हैं। माइनस दस डिग्री में सात-आठ घंटों तक खड़े रहना आसान नहीं है। अब सिर्फ दो दिन का ही खाना-पानी बचा है। दिनों दिन मुसीबत बढ़ती जा रही है। 25 तारीख को हमारे घर से 400 मीटर दूर एक बिल्डिंग में बम गिरा। जिसमें 23 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। ऐसे में डर का माहौल बना हुआ है।

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